अब माफिया के निशाने पर नदी
गंगा में अगुवानी और भरतखंड के पास धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा हैं।
खगड़िया: एक ओर बालू की किल्लत है, वहीं दूसरी ओर जिले की कोसी, बागमती और गंगा नदी में अवैध खनन जारी है। बालू माफिया 'नदियों के नैहर' में तबाही मचाने को तैयार है। माफिया के निशाने पर इन नदियों की चमचमाती बालू है। मालूम हो कि बालू माफिया सुदूर इलाके में खनन कार्य करते हैं, ताकि पुलिस-प्रशासन की जल्द नजर नहीं पड़े। इधर, अवैध खनन के कारण सुदूर अलौली प्रखंड के चेराखेरा पंचायत की दक्षिणी बोहरवा गांव में बागमती की धारा मुड़ने की प्रबल संभावना है। मालूम हो कि यहां वर्षों से बागमती की कटाव जारी है। बीते वर्ष भी एक दर्जन से अधिक घर नदी में समा गए थे। अभी भी नदी गांव से सटकर बह रही है। कई लोगों ने मकान खाली कर दिया है। ऐसे में, यहां बालू का खनन आफत ला सकती है।
खैर, बीते दिनों पुलिस-प्रशासनिक कार्रवाई उपरांत यहां खनन कार्य पर बहुत हद तक विराम लगा है। वहीं बागमती नदी में चौथम के इलाके में छिटपुट खनन जारी है। जबकि बेलदौर इलाके में कोसी पर बालू माफिया की नजर बनी हुई है। दूसरी ओर अभी बालू माफिया का साफ्ट टारगेट गंगा नदी है। अगुवानी और भरतखंड के आसपास बालू माफिया द्वारा धड़ल्ले से खनन कार्य जारी है। सूत्रों के अनुसार प्रति ट्रैक्टर एक हजार की दर से बालू बेचे जा रहे हैं। इस कार्य में दर्जनों ट्रैक्टर लगे हुए हैं। इधर, जलयोद्धा प्रेम वर्मा ने कहा कि किसी भी नदी में अवैध खनन गलत है। नदी पर्यावरण से छेड़छाड़ नुकसानदेह है। जबकि जल कार्यकर्ता कृष्ण मोहन ¨सह मुन्ना ने भी अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग की है। वहीं खनन निरीक्षक का कहना है कि अवैध बालू खनन पर कठोर कार्रवाई हुई है। अगर कहीं से भी सूचना मिलेगी, तो कार्रवाई जरूर होगी। कोट 'अवैध खनन से नदी की प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित होती है। नदी में निवास करने वाले जीव-जंतु समेत वनस्पति पर भी असर पड़ता है। इससे नदी पर्यावरण पर गंभीर असर होता है।'
रंजीव, नदी विशेषज्ञ