पशु शेड दिलाने के नाम पर हो रही अवैध उगाही, ठंडे बस्ते में पड़ा जिला का आदेश
सुपौल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पशुओं के पुराने घर को नया रूप मिलेगा। पशुपालकों में मनरेगा योजना से पशु शेड की योजना लेने में होड़ मची हुई है। इस पशु शेड के पीछे सरकार की मंशा पशुपालन को बढ़ाना है। पर इसमें रिश्वत का खेल चल रहा है।
सुपौल, जेएनएन। पशुपालकों को पशुपालन हेतु बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा की राशि से पशु शेड निर्माण कराने के नाम पर सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में कथित तौर पर कमीशन की उगाही शुरू हो चुकी है। इससे पहले झिल्ला-डुमरी पंचायत में पशु शेड के नाम पर लोगों से 15 से 20 हजार रुपये तक की वसूली का मामला सामने आने पर जिला स्तर से दिया गया आदेश मनरेगा कार्यालय में ठंडे बस्ते में पड़ा है। जानकारी अनुसार सरकार पशुपालकों को पशुपालन के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए पशु शेड हेतु राशि दे रही है जिसमें पशुपालकों को चार पशुओं के लिए शेड बनाना है। इसके लिए मनरेगा से राशि निर्गत होनी है। जानकारी अनुसार प्रखंड क्षेत्र में कई जगह पर पशु शेड दिलाने के नाम पर कुछ बिचौलिए लोगों से कमीशन के रूप में राशि की उगाही कर रहे हैं। यह मामला पहले भी सामने आया था तब जिला स्तर से जांच आदेश दिया गया था लेकिन वह आदेश अब तक धरातल पर नहीं पहुंचा है।
राशि उगाही ही बातें आ रही सामने
इधर विधानसभा चुनाव के बाद जैसे ही कार्य शुरू हुआ कि एक बार फिर विभिन्न जगहों पर राशि उगाही की बातें सामने आने लगी। कहा जा रहा है कि जो लोग कमीशन के रूप में मुंह मांगी राशि देते हैं उसी को पशु शेड का आवंटन होता है। हालांकि यह मामला सभी जगह पर नहीं दिखाई देता है। जानकारी अनुसार पशु शेड निर्माण की होड़ इस कदर लगी हुई है कि कई लोग अपने-अपने पुराने गोहाल या घर को नया रूप देकर उस राशि को पाने में आतुर हैं। जबकि जिला स्तर से जो मॉडल दिया गया है उसी के अनुसार पशु शेड का निर्माण होना है। मिल गई जानकारी अनुसार पुराने घर को नया रूप देकर पशु शेड का राशि निर्गत करने के नाम पर अधिक कमीशन की मांग हो रही है। वैसे कई जगहों पर निर्धारित मॉडल के अनुसार ही पशु शेड का निर्माण हो रहा है।
इस बाबत मनरेगा के कनीय अभियंता का कहना है कि पशु शेड के नाम पर राशि उगाही की जानकारी उन्हें नहीं है।
बोले परियोजना अधिकारी शेड के लिए कोई राशि नहीं देनी होगी
परियोजना पदाधिकारी ने कहा कि पशु पालक को पशु शेड लेने के लिए कोई राशि नहीं देनी है। यदि कोई भी बिचौलिया राशि की मांग कर रहा तो इसकी जानकारी कार्यालय को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां कहीं से पशु शेड के नाम पर राशि उगाही का मामला सामने आ रहा है वहां पशु शेड नहीं बन सकता है क्योंकि पशु शेड जरूरतमंद लोगों के लिए है। परियोजना पदाधिकारी ने कहा कि पुराने घर को दिखाकर यदि कोई पशु शेड की राशि लेना चाह रहे हैं तो उसे सफलता नहीं मिलेगी, क्योंकि जियो टैग के बाद बार-बार कार्य का प्रगति प्रतिवेदन कार्यालय को देना आवश्यक होगा।