बालू उठाव के खिलाफ बांका में खड़ी होगी मानव श्रृंखला
बालू खनन के खिलाफ समाजसेवी व बुद्धिजीवी गोलबंद हो रहे हैं।
बांका। जिले की नदियों से लगातार जारी बालू उत्खनन से क्षेत्र में पेयजल संकट गहरा रहा है। बालू खनन के खिलाफ समाजसेवी व बुद्धिजीवी गोलबंद हो रहे हैं। रविवार को बालू उठाव पर रोक के लिए शहर के नगर भवन में सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें एकजुट होते हुए बालू उठाव पर प्रतिबंध की आवाज बुलंद कर शिष्टमंडल ने सरकार के नाम डीएम कुंदन कुमार को दो सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा। जिसमें अविलंब बांका की नदियों से बालू के उठाव को स्थाई तौर पर बंद करने की मांग की। जिससे क्षेत्र में बचे भू-जल स्तर को संरक्षित किया जा सके। यहां की नदियों से बालू के दोहन पर रोक लगाने के लिए स्वचालित वाहनों से बालू की ढुलाई बंद की जाए। ऐसा नहीं होने पर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा। जिसकी पहली कड़ी में 24 सितंबर को शहर में 11 बजे से दोपहर दो बजे तक मानव श्रृंखला बनाकर प्रतिरोध जताया जाएगा। इसमें समाजसेवी, बुद्धिजीवी व किसान शामिल होंगे। फिर भी बालू के खनन पर पाबंदी नहीं लगाए जाने से आंदोलन को और अधिक तेज कर दिया जाएगा। बताया गया कि बांका जिला पहाड़ी पर स्थित है। यहां पेयजल का एक मात्र स्त्रोत नदी है। क्षेत्र में 20 से 30 फीट के अंदर ही पीने योग्य पानी मिल जाता था। लेकिन, नदियों से अधिकांश बालू का उठाव कर लिए जाने से भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया। इससे अधिकांश चापानल व कुंआ सूख गया है। जमीन के अंदर पत्थरों में बो¨रग कर पानी निकाले जाने से पत्थरों में आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा होने से वे पानी के साथ घुल कर निकलता है। जो पानी को जहरीला बना देता है। सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्व प्रमुख ¨बदेश्वरी यादव तथा संचालन एनके प्रियदर्शी ने किया। सभा को दिवाकर प्रसाद ¨सह, नारायण राय, महादेव पंडित, कांता प्रसाद ¨सह, सूर्यनारायण ¨सह, मुखिया प्रवीण झा आदि ने प्रमुख रुप से संबोधित किया।