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Inspirational Story: IAS बनने का सपना... पैरों से परीक्षा देने वाले मुंगेर के नंदलाल के हौसले बुलंद, जिद दिलाएगी कामयाबी

Inspirational Story IAS बनने का सपना लिए मुंगेर का दिव्यांग नंदलाल पैरों से अपनी तकदीर की नई कहानी लिख रहा है। मैट्रिक और इंटर प्रथम श्रेणी से पास छात्र ने स्नातक की परीक्षा भी दे दी है। हाथ कट जाने के बाद उसने हिम्मत नहीं हारी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 03:43 PM (IST)
Inspirational Story: IAS बनने का सपना... पैरों से परीक्षा देने वाले मुंगेर के नंदलाल के हौसले बुलंद, जिद दिलाएगी कामयाबी
बिहार के मुंगेर का नंदलाल, जो स्‍नातक की परीक्षा पैर से लिखकर दे रहा है।

संवाद सहयोगी, तारापुर (मुंगेर)। बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर नगर क्षेत्र के संत टोला के रहने वाले अजय कुमार साह और बेबी देवी का पुत्र दिव्यांग नंदलाल अपने दोनों हाथ नहीं रहने के बावजूद पैर के सहारे इतिहास रचने की ठान ली है। बचपन में ही बिजली करंट की चपेट में आने से अपना दोनों हाथ गंवाने वाले नंदलाल अपनी मेधा और आत्मबल के बूते नई इबारत लिख रहा है। स्नातक की परीक्षा पैरों से देते हुए उसने अपने ड्रीम के बारे में भी बताया है। IAS बनने का सपना...

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दिव्यांग नंदलाल बीए पार्ट वन की परीक्षा आरएस कालेज तारापुर परीक्षा केंद्र पर दी हैं। नंदलाल हाथों से दिव्यांग हैं। लेकिन मजबूत हौसलों के चलते वे पैरों से अपनी तकदीर लिख रहे हैं। पिता अजय साह संत टोला के समीप दुकान चलाते है। नंदलाल कुमार ने वर्ष 2019 में इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया है। 500 अंकों में 325 अंक मिले थे। नंदलाल ने भौतिकी में 67, गणित में 60 और रसायन में 73 अंक प्राप्त किए थे। वर्ष 2017 में दिव्यांग नंदलाल ने मैट्रिक की भी परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर खडग़पुर को सम्मान दिलाने के साथ अन्य लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था। वर्ष 2022 में स्नातक अर्थशास्त्र की परीक्षा में दोनों हाथ नहीं रहने के बावजूद कठिन माना जाने वाला स्नातक की परीक्षा को अपनी कड़ी मेहनत के बूते सार्थक कर दिखाने के प्रयास में लगा है।

नंदलाल ने बताया कि 2006 में बिजली के करंट लगने के बाद दोनों हाथ कट गए। दादाजी ने हिम्मत दिया और पैर से लिखना सिखाया। 2017 में मैट्रिक प्रथम श्रेणी से पास किया। तत्कालीन एसडीओ संजीव कुमार ने एक लाख की राशि दी थी। मेरा लक्ष्य बीए करने के बाद बीएड की पढ़ाई करने का है। मेर लक्ष्य आईएएस बनने का है। आर्थिक स्थिति ठीक नही रहने के कारण कोचिंग करना सबसे बड़ी समस्या बन गई है। नंदलाल ने हिम्मत नहीं हारी है। दिव्यांग का मानना है कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है, सफलता जरूर मिलेगी। ऐसी मेरी जिद भी है और विश्वास भी।


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