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Hindi day : TMBU के फाइलों में आने के लिए तरस रही हिंदी

Hindi day विश्वविद्यालय के सारे कामकाज हिंदी में नहीं होंगे तब तक हिंदी का उत्थान संभव नहीं हैं। हम छात्रों को हिंदी की ओर तभी आकर्षित कर सकते हैं जब विश्वविद्यालय में इसका प्र

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 01:11 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 01:11 PM (IST)
Hindi day : TMBU के फाइलों में आने के लिए तरस रही हिंदी
Hindi day : TMBU के फाइलों में आने के लिए तरस रही हिंदी

भागलपुर, जेएनएन। Hindi day :  सरकारी स्तर पर किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद हिंदी को वह रुतबा हासिल नहीं हो सका है, जिसकी वह हकदार है। सरकारी कार्यालयों में आज भी अधिकांश कामकाज अंग्रेजी में ही निपटाए जाते हैं, भले ही यह आम जनता को समझ में आए या नहीं आए। यहां बनने वाली मोटी-मोटी फाइलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हिंदी मानों तरस रही है। कार्यालय ही क्यों, सामुदायिक और व्यक्तिगत स्तर पर भी हिंदी उपेक्षा की शिकार है। जहां अंग्रेजी का ज्ञान है, वहां हिंदी दोयम दर्जे की ही भाषा बनी हुई है।

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बात तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की करें तो यहां अब भी ज्यादातर अधिकारी पत्राचार और अधिसूचना आदि अंग्रेजी में ही जारी कर रहे हैं। ऐसा पहले नहीं था। एक जमाने में यहां हिंदी का बोलबाला था। तब राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर इस विश्वविद्यालय के कुलपति हुआ करते थे। समय का पहिया आगे बढ़ा, विकास हुआ, विश्वविद्यालय में संसाधन बढ़े, लेकिन हिंदी पिछड़ती चली गई।  

हिंदी के उत्थान के लिए हस्ताक्षर से करें शुरुआत

मानविकी विभाग के डीन और स्नातकोत्तर (पीजी) हिंदी विभाग के प्रोफेसर बहादुर मिश्र कहते हैं कि जब तक विश्वविद्यालय के सारे कामकाज हिंदी में नहीं होंगे, तब तक हिंदी का उत्थान संभव नहीं हैं। हम छात्रों को हिंदी की ओर तभी आकर्षित कर सकते हैं, जब विश्वविद्यालय में इसका प्रयोग हो। हिंदी को बढ़ावा देने की शुरुआत हमें हस्ताक्षर से करनी होगी। अगर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी हिंदी में हस्ताक्षर करने लगें तो हिंदी का प्रचार-प्रसार होगा। डॉ. मिश्र ने कहा कि वे कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से इसकी मांग कर चुके हैं, लेकिन इस पर कोई ध्यान ही नहीं देता है।

नेट-जेआरएफ में बढ़ी है हिंदी छात्रों की संख्या

टीएमबीयू स्नातकोत्तर (पीजी) हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने कहा कि व्यवस्था पटरी पर लौटने के बाद हिंदी को आगे बढ़ाने की पहल की जाएगी। इसके तहत यूजीसी को अलग-अलग विषयों पर शोध का प्रस्ताव दिया जाएगा। भाषा सुधार के लिए भी कक्षाओं में अलग से कार्यशाला आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि नेट-जेआरएफ में हिंदी के छात्रों की संख्या बढ़ी है। इस बार पैट इंटरव्यू में 42 लड़के शामिल हुए हैं। पिछले पांच सालों में हिंदी के प्रति छात्रों में रुचि बढ़ी है, लेकिन वैकल्पिक प्रश्नों की परीक्षा के कारण इसका स्तर घटा है।


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