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हिमोग्लोबीन की कमी और बच्चादानी फटने से प्रसव के वक्त बढ़ जाती है परेशानी, हो रही मौत

जेएलएनएमसीएच के प्रसव एवं रोग विभाग में प्रति सप्ताह एक या दो मरीज की मौत होती है। इन मरीजों को जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों से गंभीर स्थिति में रेफर किया जाता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 07:58 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 07:58 PM (IST)
हिमोग्लोबीन की कमी और बच्चादानी फटने से प्रसव के वक्त बढ़ जाती है परेशानी, हो रही मौत
हिमोग्लोबीन की कमी और बच्चादानी फटने से प्रसव के वक्त बढ़ जाती है परेशानी, हो रही मौत

 भागलपुर [जेएनएन]। जेएलएनएमसीएच में प्रसव करवाने आई 50 फीसद महिलाओं में हिमोग्लोबीन की कमी रहती है। इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य केंद्रों से प्रसव के बाद जेएलएनएमसीएच रेफर होने वाली कई महिलाओं की मौत हो जाती है। इसकी वजह है स्वास्थ्य केंद्रों में महिला चिकित्सकों के बदले नर्स या आशा द्वारा प्रसव करवाना है। प्रसव के दौरान महिलाओं की बच्चदानी फट जाने से उसकी मौत हो जाती है।

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आंकड़ों के मुताबिक जेएलएनएमसीएच के प्रसव एवं रोग विभाग में प्रति सप्ताह एक या दो मरीज की मौत होती है। इन मरीजों को जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों से गंभीर स्थिति में रेफर किया जाता है। झारखंड के जिलों से रेफर किए गए मरीजों की संख्या अधिक है। अमरपुर स्वास्थ्य केंद्र से रेफर महिला की मौत हो गई।

अमरपुर में प्रसव करवाने के बाद उसका बच्चादानी फट गई थी। गंभीर स्थिति में उसे जेएलएनएमसीएच रेफर कर दिया गया। जहां कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। इसके अलावा हिमोग्लोबीन की कमी की वजह से भी प्रसव के दौरान मौत हो जाती है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रोमा यादव ने बताया कि झारखंड के गोडडा, साहेबगंज, बरहरवा, पाकुड से वैसे मरीजों को रेफर किया जा रहा है जिसका प्रसव करवाने के दौरान बच्चादानी फटा रहता है। ऐसी महिलाओं की मौत हो जाती है।


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