बापू के 150वें जयंती वर्ष पर जेल से रिहा हुए आधे दर्जन सजायाप्ता कैदी
महात्मा गांधी के 15वें जयंती वर्ष मौके पर मंगलवार को आधा दर्जन बंदी शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा से मुक्त कर दिए जाएंगे।
By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 03:02 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 07:52 PM (IST)
भागलपुर (जेएनएन)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष मौके पर शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा में बंद आधा दर्जन सजावार बंदियों को रिहा कर दिया गया। इनकी रिहाई सरकार की ओर से तय की गई बंदियों की सूची में शामिल थी। सूबे की विभिन्न जेलों में बंद ऐसे बंदियों की संख्या 150 तय की गई थी।
इन बंदियों की हुई रिहाई : कारू यादव, शशिकांत मिश्रा, अरविंद कुमार, पवन कुमार गोस्वामी, सोनू पोद्दार और विपिन यादव शामिल हैं। सभी जिले के विभिन्न प्रखंडों के रहने वाले हैं।
बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया फिर गांधी साहित्य के साथ हुई विदाई
शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के अधीक्षक और उपाधीक्षक की मौजूदगी में पटना मुख्यालय से विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे अवकाश रक्षित पदाधिकारी राधेश्याम सुमन ने रिहा होने वाले बंदियों को उनके उज्जवल भविष्य और समाज के मुख्य धारा में बने रहने का संदेशा दिया। उनसे बापू की तस्वीर पर माल्यार्पण कराने के बाद फूल माला पहनाकर गांधी साहित्य भेंट किया गया। बंदियों को जेल से बाहर करने के लिए गेट तक जेल अधिकारी गए और सुरक्षित डी-एरिया तक जेल के बंदी भी उन बंदियों को पहुंचाने गए। जेल गेट से बाहर निकलते समय रिहा होने वाले उन बंदियों के आंखों से आंसू छलक गए। उन्हें विदा करने वाले साथी बंदियों की भी आंखें भर आई। जेल के बाहर उन बंदियों के परिजन पेड़ के नीचे उनके जेल से बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बंदी सोनी की दादी 75 वर्षीय पद्मा देवी ऑटो वाले को 30 रुपये का भाड़ा देकर जेल गेट तक आई थी। उसे काफी खुशी थी कि उसका पोता रिहा होने वाला है। जैसे ही सोनू बाहर निकला उसकी दादी उसे छाती से लगा लिया। जेल के बाहर पवन गोस्वामी का परिवार भी पहुंचा था। सभी के चेहरे पर खुशी के भाव झलक रहे थे। जेल से रिहा होने वाले बंदियों ने भी कहा कि जेल के अंदर बापू की तस्वीर पर माल्यार्पण करते समय यह संकल्प ही नहीं प्रतिज्ञा कर चुके हैं कि फिर कोई अपराध नहीं करेंगे जिससे उनका और उनके परिवार का समाज में सिर शर्म से झुके। अब परिवार के साथ बेहतर जिंदगी गुजारेंगे। मेहनत से कमाकर अपने परिवार की गाड़ी चलाएंगे।
सांस्कृति कार्यक्रम में बंदियों ने सुनाए देशभक्ति गीत
एक सप्ताह के भजन-कीर्तन वैष्णव जन कार्यक्रम की सोमवार एक अक्टूबर की शाम समाप्ति बाद मंगलवार की सुबह यानी दो अक्टूबर को रिहाई बेला पर बंदी काफी प्रफुल्लित थे। रिहा होने वाले बंदियों को रिहाई की खुशी थी तो उन्हें विदा करने वाले बंदियों को साथी की रिहाई को लेकर कुछ न कुछ करने का जुनून था। सांस्कृति कार्यक्रम में आह्लादित बंदियों ने मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती...।
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का, इस देश का यारों क्या कहना...ये देश है वीरों का गहना...। दे दी हमें आजादी बिना खडग़ बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल... जैसे गीत भी गाकर सुनाए।इससे पहले 25 सितंबर से एक सप्ताह तक चलाए जाने वाले जयंती वर्ष साप्ताहिक कार्यक्रम का समापन सोमवार को हो गया। साप्ताहिक कार्यक्रम में सोमवार तक रोज सुबह 7 बजे से 9 बजे तक बंदियों और कारा कर्मियों का संयुक्त स्वच्छता अभियान, एक बजे से 4 बजे तक गांधी उपदेश और गांधी विचार प्रस्तुति तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बंदियों और कारा कर्मियों का सायंकालीन कार्यक्रम वैष्णव जन प्रार्थना सभा में लोकप्रिय भजन वैष्णव जन से...की गूंज रोज जेलों में सोमवार की देर शाम तक गूंजती रही।
इन बंदियों की हुई रिहाई : कारू यादव, शशिकांत मिश्रा, अरविंद कुमार, पवन कुमार गोस्वामी, सोनू पोद्दार और विपिन यादव शामिल हैं। सभी जिले के विभिन्न प्रखंडों के रहने वाले हैं।
बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया फिर गांधी साहित्य के साथ हुई विदाई
शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के अधीक्षक और उपाधीक्षक की मौजूदगी में पटना मुख्यालय से विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे अवकाश रक्षित पदाधिकारी राधेश्याम सुमन ने रिहा होने वाले बंदियों को उनके उज्जवल भविष्य और समाज के मुख्य धारा में बने रहने का संदेशा दिया। उनसे बापू की तस्वीर पर माल्यार्पण कराने के बाद फूल माला पहनाकर गांधी साहित्य भेंट किया गया। बंदियों को जेल से बाहर करने के लिए गेट तक जेल अधिकारी गए और सुरक्षित डी-एरिया तक जेल के बंदी भी उन बंदियों को पहुंचाने गए। जेल गेट से बाहर निकलते समय रिहा होने वाले उन बंदियों के आंखों से आंसू छलक गए। उन्हें विदा करने वाले साथी बंदियों की भी आंखें भर आई। जेल के बाहर उन बंदियों के परिजन पेड़ के नीचे उनके जेल से बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बंदी सोनी की दादी 75 वर्षीय पद्मा देवी ऑटो वाले को 30 रुपये का भाड़ा देकर जेल गेट तक आई थी। उसे काफी खुशी थी कि उसका पोता रिहा होने वाला है। जैसे ही सोनू बाहर निकला उसकी दादी उसे छाती से लगा लिया। जेल के बाहर पवन गोस्वामी का परिवार भी पहुंचा था। सभी के चेहरे पर खुशी के भाव झलक रहे थे। जेल से रिहा होने वाले बंदियों ने भी कहा कि जेल के अंदर बापू की तस्वीर पर माल्यार्पण करते समय यह संकल्प ही नहीं प्रतिज्ञा कर चुके हैं कि फिर कोई अपराध नहीं करेंगे जिससे उनका और उनके परिवार का समाज में सिर शर्म से झुके। अब परिवार के साथ बेहतर जिंदगी गुजारेंगे। मेहनत से कमाकर अपने परिवार की गाड़ी चलाएंगे।
सांस्कृति कार्यक्रम में बंदियों ने सुनाए देशभक्ति गीत
एक सप्ताह के भजन-कीर्तन वैष्णव जन कार्यक्रम की सोमवार एक अक्टूबर की शाम समाप्ति बाद मंगलवार की सुबह यानी दो अक्टूबर को रिहाई बेला पर बंदी काफी प्रफुल्लित थे। रिहा होने वाले बंदियों को रिहाई की खुशी थी तो उन्हें विदा करने वाले बंदियों को साथी की रिहाई को लेकर कुछ न कुछ करने का जुनून था। सांस्कृति कार्यक्रम में आह्लादित बंदियों ने मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती...।
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का, इस देश का यारों क्या कहना...ये देश है वीरों का गहना...। दे दी हमें आजादी बिना खडग़ बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल... जैसे गीत भी गाकर सुनाए।इससे पहले 25 सितंबर से एक सप्ताह तक चलाए जाने वाले जयंती वर्ष साप्ताहिक कार्यक्रम का समापन सोमवार को हो गया। साप्ताहिक कार्यक्रम में सोमवार तक रोज सुबह 7 बजे से 9 बजे तक बंदियों और कारा कर्मियों का संयुक्त स्वच्छता अभियान, एक बजे से 4 बजे तक गांधी उपदेश और गांधी विचार प्रस्तुति तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बंदियों और कारा कर्मियों का सायंकालीन कार्यक्रम वैष्णव जन प्रार्थना सभा में लोकप्रिय भजन वैष्णव जन से...की गूंज रोज जेलों में सोमवार की देर शाम तक गूंजती रही।
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