Teacher's day : भागलपुर के युवाओं पर ‘आशीर्वाद’ बन बरस रहा गोपाल झा का जुनून Bhagalpur News
गोपाल बताते हैं कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर 2000 में इस संस्था की शुरुआत उन्होंने की थी। इसके बाद तो युवाओं के प्रेरणाश्रोत बन गए।
भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर में गोपाल कृष्ण झा और हमीरपुर, उत्तर प्रदेश में अखिलेश शुक्ल साधनहीन युवाओं के कर्णधार बन बैठे हैं। ये वाकई ऐसे शिक्षक हैं, जो उन धनलोलुप शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थानों को आईना दिखा रहे हैं जिनके लिए धन ही एकमात्र सरोकार है। गोपाल और अखिलेश बिना कोई फीस लिए युवाओं का भविष्य गढ़ने में जुटे हुए हैं। इनके मार्गदर्शन में अनेक युवाओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं में बाजी मारी और बड़े अफसर बने हैं। यह सिलसिला सालों से चल रहा है।
चार हजार युवाओं ने पाई सरकारी नौकरी
भागलपुर की गलियों में गोपाल कृष्ण झा और उनका शैक्षणिक संस्थान आशीर्वाद एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। 19 वषों से चल रहे इस संस्थान के करीब चार हजार युवा विभिन्न सरकारी नौकरियां प्राप्त कर चुके हैं। गोपाल बताते हैं कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर 2000 में इस संस्था की शुरुआत उन्होंने की थी। स्वयं 2006 में प्रतियोगी परीक्षा में बैठे तो नागालैंड में खुफिया विभाग में चयन हो गया। पर संस्था में अपनी आवश्यकता को उन्होंने तरजीह दी और वापस लौट आए। छात्रों को नि:शुल्क पढ़ाने का कार्य फिर शुरू कर दिया। लेकिन अपनी आजीविका भी जरूरी थी, लिहाजा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) में जब भर्ती निकली तो परीक्षा दी और नौकरी हासिल की। इस नौकरी में उन्हें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं थी। आज यहां करीब 1700 छात्र-छात्रएं बगैर किसी शुल्क के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पढ़ाई कर रहे हैं। गोपाल आज भी किराए के मकान में रहते हैं।
पिता ने शहर में ही थोड़ी जमीन खरीदी थी, उसी पर एक कमरा बनवा लिया, अस्थायी शेड डालकर बिजली-बत्ती लगा दी। इसी में कक्षाएं चलती हैं। हाल ही बिहार में दारोगा भर्ती में यहां के 26 छात्रों का चयन हुआ है। बिहार सचिवालय, केंद्रीय सचिवालय में 48 प्रतियोगी चयनित हुए हैं। जबकि अब तक पांच सौ से अधिक युवा सहायक स्टेशन मास्टर और लोको पायलट की नौकरी पा चुके हैं। एक टीस भी है। वे कहते हैं, हमारी सोच थी कि कोई सफल छात्र नौकरी से छुट्टी पर लौटेगा तो एक-दो दिन आकर छात्रों को पढ़ाएगा। पर अधिसंख्य नहीं आ पाते हैं।