सरकारी कॉलेजों में लड़कियां पढ़ेंगी निश्शुल्क, जानें राज्य सरकार आपको किस प्रकार से देगी राशि
पिछले दिनों राजभवन में हुई बैठक में कुलपतियों ने यह मामला उठाया था, जिस पर सरकार ने यह व्यवस्था करने की बात कही।
भागलपुर (जेएनएन)। सरकारी कॉलेजों में लड़कियों को अब मुफ्त शिक्षा मिलेगी। राज्य सरकार इसके लिए कॉलेजों को राशि उपलब्ध कराएगी। सरकार ने अपनी इस योजना के तहत कॉलेजों को न्यूनतम दस लाख और अधिकतम 20 लाख रुपये कंटिंजेंसी देने का निर्णय लिया है। पिछले दिनों राजभवन में हुई बैठक में कुलपतियों ने यह मामला उठाया था, जिस पर सरकार ने यह व्यवस्था करने की बात कही। ऐसे में अब तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के उन सभी कॉलेजों को कंटिंजेंसी मिलेगी, जहां या तो केवल छात्राओं की पढ़ाई होती है या को-एजुकेशन है। हालांकि कुछ प्राचार्यों ने बताया कि राशि मिलने के बाद ही छात्राओं से शुल्क नहीं लेने का निर्णय कॉलेज स्तर पर किया जाएगा। कॉलेज शुल्क नहीं लें और सरकार से राशि मिलने में देर हो जाए तो स्थिति बदतर हो जाएगी।
लड़कियों के लिए मुफ्त उच्च शिक्षा की राह में कंटिजेंसी बाधक नहीं बनेगी। सरकार ने महिला कॉलेजों और को-एजुकेशन वाले कॉलेजों में लड़कियों की मुफ्त उच्च शिक्षा के लिए ऐसे कॉलेजों को राशि देना तय किया है। ऐसे में लड़कियों को मुफ्त उच्च शिक्षा देने की सरकार की करीब तीन साल पहले शुरू हुई योजना का लाभ छात्राओं को मिलने की उम्मीद बंधी है। अब तक कॉलेज छात्राओं से तमाम तरह के शुल्क यह कहकर लेते रहे कि अगर शुल्क नहीं लेंगे और सरकार से राशि नहीं मिलेगी तो कॉलेज की जरूरत कहां से पूरी होगी। दरअसल इस योजना पर अब तक काम नहीं होने की मुख्य वजह खुद सरकार ही थी, जिसने योजना तो बना दी, लेकिन यह तय नहीं किया कि कॉलेज छात्राओं से शुल्क नहीं लेंगे तो इसकी भरपाई कैसे होगी।
पूर्व कुलपति प्रो. रमा शंकर दुबे के कार्यकाल में सरकार की यह योजना बनी थी। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर योजना का लाभ छात्राओं को दिलाने का निर्देश दिया था। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने भी सभी कॉलेजों को पत्र भेजकर स्नातक की पढ़ाई कर रही छात्राओं से शुल्क नहीं लेने का निर्देश दे दिया था। इसके आधार पर जब छात्राओं ने शुल्क लेने का विरोध किया तब प्रो. दुबे ने प्राचार्यों की बैठक बुलाकर शुल्क लेने की वजह पूछी थी। कॉलेजों ने तब बताया था कि शुल्क नहीं लेंगे तो कॉलेज की जरूरतें कैसे पूरी होंगी। तब से ही मामला अटका हुआ था।