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भारत से लेकर नेपाल तक है यहां के खाजा का कद्रदान, क्विंटल में होती है बिक्री

त्रिवेणीगंज जागुर के गोनी साह ने सबसे पहले यहां खाजा बनाने का कारोबार शुरू किया था। लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 10-15 ङ्क्षक्वटल से अधिक खाजा की बिक्री होती थी पर्वों के समय यह बिक्री डेढ़ गुना बढ़ जाती थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 07:25 PM (IST)
भारत से लेकर नेपाल तक है यहां के खाजा का कद्रदान, क्विंटल में होती है बिक्री
सुपौल के पीपरा में खाजा बनाते कारीगर

सुपौल, जेएनएन। पिपरा के खाजा की मिठास इस इलाके में ही नहीं बल्कि नेपाल तक फैली है। नेपाल के लोग भी यहां खाजा खरीदने आते हैं। 50 से अधिक यहां खाजा की दुकानें हैं जहां प्रतिदिन तीन से चार ङ्क्षक्वटल खाजा का कारोबार होता है। इस इलाके में लोग शादियों में विशेष तौर पर पिपरा का खाजा मंगाते हैं। आजादी से पहले से यहां खाजा बनाने का काम हो रहा है।

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त्रिवेणीगंज जागुर के गोनी साह ने सबसे पहले यहां खाजा बनाने का कारोबार शुरू किया था। लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन 10-15 ङ्क्षक्वटल से अधिक खाजा की बिक्री होती थी पर्वों के समय यह बिक्री डेढ़ गुना बढ़ जाती थी।

शुरू में गोल-गोल बनाया जाता था खाजा

स्थानीय खाजा व्यवसायी बताते हैं कि शुरुआती दौर में गोल-गोल खाजा बनाए जाते थे। उसकी विशेषता होती थी कि वह इतना मुलायम होता था कि अगर खाजा पर चव्वनी भी गिर जाए तो धंस जाती थी। बाद में लंबा खाजा बनाना शुरू हुआ और लोगों की मांग पर खाजा को कड़ा किया जाने लगा।

सिलाव की तरह प्रसिद्ध है यहां का खाजा

खाजा को लेकर जिस तरह सिलाव की प्रसिद्धि है वही पिपरा के खाजा की है। सहरसा, वीरपुर, त्रिवेणीगंज, अररिया एनएच के किनारे अवस्थित पिपरा प्रखंड मुख्यालय होकर जो भी यात्री गुजरते हैं वह खाजा जरूर खरीदते हैं। कोसी महासेतु बन जाने के बाद यह रोजगार और बढ़ा है।

दो सौ से अधिक लोगों का हो रहा रोजगार मुहैया

यहां 50 से 75 के करीब खाजा की दुकानें हैं। इन दुकानों से दो सौ से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा था। शुद्ध घी और रिफाइन दोनों से खाजा तैयार किया जाता है। रिफाइन वाला खाजा 80 और घी का खाजा 250 रुपये प्रति किलो बिकता है।

पर्व के समय रखा जाता है शुद्धता का विशेष ख्याल

खाजा का कारोबार शुरू करने वाले गोनी साह की पांचवी पीढ़ी के व्यवसायी रमेश साह, संजीव साह, चंदन साह, सतीश साह, सुरेश साह आदि बताते हैं कि पर्व और लगन में खाजा की मांग काफी बढ़ जाती है। बाहर के व्यापारी भी खाजा खरीदने आते हैं। पर्व के मौके पर शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है।

कोरोना ने किया व्यापार को प्रभावित

कोरोना वायरस के कारण खाजा की बिक्री में गिरावट आई है जिससे इससे जुड़े कारीगरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। दुकानदारों का कहना है कि स्थिति सामान्य हो तो फिर इस रोजगार में तेजी आएगी


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