घर से मिलता संबंधों को परखने और निभाने का संस्कार
एसकेपी विद्या विहार स्कूल में दैनिक जागरण की संस्कारशाला आयोजित की गई। बच्चों को आइसक्रीम पार्टी कहानी सुनाई गई।
भागलपुर। एसकेपी विद्या विहार स्कूल में मंगलवार को दैनिक जागरण की संस्कारशाला आयोजित की गई। विशेष प्रार्थना सभा में हिदी के शिक्षक मुकेश सिंह ने छात्र-छात्राओं को अच्छाई की समझ बढ़ाने वाली कहानी 'आइसक्रीम पार्टी' पढ़कर सुनाई।
उन्होंने बताया कि समाज में संबंधों की बड़ी अहमियत होती है। इसे सदैव मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है। संबंधों को परखने व निभाने का संस्कार घर से मिलता है।
विशेष प्रार्थना सभा में उपस्थित स्कूल के पूर्व प्राचार्य सीडी सिंह ने कहा मानव जीवन और समाज दोनों में संबंधों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। आज अज्ञानता और संस्कारों की कमी के चलते संबंधों का महत्व क्षीण हो रहा है। भागदौड़ भरी इस जिंदगी में अभिभावक बच्चों पर जरूरत के हिसाब से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, जबकि बच्चों की पहली पाठशाला घर है। घर से जो संस्कार और शिक्षा मिलती है वही बच्चों के व्यवहार में झलकती है।
प्राचार्य एसके सिंह ने कहा कि आज जरा-जरा सी बातों पर संबंध टूट रहे हैं। इसलिए हर किसी को संबंधों का महत्व समझने की जरूरत है। आप दूसरों का सम्मान करेंगे तो आपको भी सम्मान मिलेगा। रिश्तों का प्रबंधन तभी मजबूत होगा, जब हम अपने दायित्व को समझकर एक दूसरे से बेहतर व्यवहार करेंगे। माता-पिता, गुरुजन और बड़ों का आदर करना सीखें और छोटों को भी प्यार और सम्मान दें।
लीना और उसके सहपाठियों को कुछ ऐसा ही संस्कार उसके घर से मिला था, जिनके व्यवहार पर लीना के पिता ने कहा था कि इन बच्चों की आइस्क्रीम पार्टी बनती है।
विद्यार्थियों के ज्ञान और संस्कार से ही समाज में गुरु को मिलती है ख्याति
महाभारत और रामायण काल में गुरु और शिष्य एक दूसरे के प्रति समर्पित रहते थे। शिष्य के लिए गुरु ही सब कुछ होते थे। पूरी शिक्षा गुरु के आश्रम में ही होती थी। इसके बाद ही बच्चे अपने घर आते थे। शिष्य की शिक्षा और व्यवहार से ही गुरु को समाज में ख्याति मिलती थी।
जीवन में माता-पिता का स्थान कोई दूसरा नहीं ले सकता, क्योंकि माता-पिता ही हमें इस दुनिया में लेकर आते हैं। जीवन के पहले गुरु माता-पिता ही होते हैं, भाषा, खाना-पीना, चलना-फिरना सब माता-पिता से ही बच्चे सीखते हैं। शब्द ज्ञान और शब्दों का आदान-प्रदान भी घर से मिलता है। यूं कहे कि रिश्तों को निभाने का ज्ञान और संस्कार माता-पिता और गुरु से ही मिलता है।
मणिकांत विक्रम, सचिव, एसकेपी विद्या विहार