सृजन घोटाला : सीबीआइ ने खंगाला पूर्व नाजिर का घर, जानिए... क्या मिला Bhagalpur News
जब घोटाला हुआ था उस समय उदय सन्हौला प्रखंड में नाजिर के पद पर थे। सीबीआइ ने दो घंटे से ज्यादा समय तक उदय का घर खंगाला।
भागलपुर [जेएनएन]। सबौर के प्रोफेसर कॉलोनी में सृजन घोटाला मामले को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की आठ सदस्यीय टीम ने उदय कुमार मंडल के घर छापेमारी की। उदय वर्तमान में जिला निर्वाचन शाखा में कार्यरत हैं। जब घोटाला हुआ था उस समय उदय सन्हौला प्रखंड में नाजिर के पद पर थे। सीबीआइ ने दो घंटे से ज्यादा समय तक उदय का घर खंगाला। बता दें कि सन्हौला प्रखंड में भी 48.06 करोड़ की हेराफेरी उजागर हुई थी। मामले में कोतवाली थाने में 19 सितंबर 2017 को घोटाले का केस दर्ज कराया गया था। इसकी जांच सीबीआइ ने दिसंबर 2017 में अपने हाथ में लिया था।
छापेमारी के समय किसी के बाहर निकलने पर थी रोक
जिस समय छापेमारी हुई, उस वक्त उदय समेत उनके अन्य परिवार वाले घर में मौजूद थे। सृजन घोटाले मामले में सीबीआइ ने कई कागजात उनसे मांगे। उनसे और परिवार वालों से भी सीबीआइ ने पूछताछ की है। सीबीआइ अधिकारी व अन्य सदस्य सादे लिबास में अचानक नाजिर के घर पहुंचे। उन लोगों ने अंदर जाते ही दरवाजा बंद कर दिया। किसी का ना अंदर जाने की और ना अंदर से बाहर आने की इजाजत थी। टीम ने खुद भी घर में रखे कागजातों को खंगाला। सीबीआइ की अचानक हुई छापेमारी से इलाके में हड़कंप मच गया। मोहल्ले में छापेमारी चर्चा का विषय बना रहा। आसपास की छतों पर भी लोग सीबीआइ की कार्रवाई देखने के लिए खड़े हो गए थे।
पटना से आई थी टीम
पटना से सीधे सीबीआइ की टीम नाजिर के आवास पर छापेमारी के लिए पहुंची थी। टीम सबौर कृषि विश्वविद्यालय स्थित कैंप कार्यालय में नहीं रुकी थी। आशंका थी कि नाजिर को टीम हिरासत में ले लेगी। लेकिन टीम ने नाजिर या परिवार के किसी अन्य सदस्य को हिरासत में नहीं लिया। पूछताछ के बाद सीबीआइ ने सभी को कहा कि टीम पूछताछ के लिए उन लोगों को बुला सकती है। इस पर नाजिर ने आने की बात कही है।
पकड़ी गई थी 48.06 करोड़ रुपये की हेराफेरी
21 सौ करोड़ से ज्यादा सृजन संस्था द्वारा सरकारी राशि घोटाला मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने तत्कालीन उप-विकास आयुक्त से सभी प्रखंडों के सरकारी खाते की जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट में सन्हौला प्रखंड में भी सृजन द्वारा 48.06 करोड़ की हेरफेर उजागर हुई थी। इस मामले में सन्हौला के तत्कालीन बीडीओ अरविंद कुमार ने कोतवाली थाने में 19 सितंबर 2017 को केस दर्ज कराया था। जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक एवं अन्य कर्मियों समेत सृजन संस्था, सबौर के सभी पदधारकों एवं इससे जुड़े अन्य शामिल संदिग्ध कर्मियों को आरोपित बनाया गया था।
अज्ञात अवैध स्रोतों से राशि होती रही जमा
सन्हौला समेत कई प्रखंडों में करोड़ों रुपये सरकारी राशि का घोटाला उजागर हुआ, लेकिन इन प्रखंडों में दिलचस्प बात यह थी कि प्रखंडों से करोड़ों की राशि की अवैध निकासी तो हुई। लेकिन उन सरकारी खातों में अज्ञात अवैध स्त्रोतों से समय समय पर राशि जमा कर दी जाती थी। इस वजह से करोड़ों का घोटाला होने के बाद भी प्रखंड का कोई भी चेक बाउंस नहीं हुआ। इस मामले में आरोपितों पर भ्रष्ट आचरण, सरकारी अभिलेख से छेड़छाड़, आपराधिक षड्यंत्र, अवैध जमा-निकासी, सूद की राशि का गबन आदि के आरोप लगाया गया था।
बैंक से नहीं लिया गया हिसाब
सन्हौला प्रखंड द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा में तीन अक्टूबर 2009 को एक बचत खाता बीडीओ के नाम से खोला गया। खाता खोलने की तिथि से लेकर 2010 तक इस खाते का पासबुक गायब है। जांच के क्रम में एक पासबुक मिला, लेकिन वह खाली था। बैंक के सरकारी खाते में 27 सितंबर 2007 से लेकर 14 फरवरी 2009 तक विभिन्न आवंटन की राशि करीब 48.06 करोड़ रुपये जमा होनी थी।
अज्ञात स्त्रोतों से राशि हुई थी जमा
लेकिन जांच के क्रम में बैंक स्टेटमेंट के अनुसार ये राशि अवैध रुपये से सृजन के खाते में या तो अन्यत्र हस्तांतरित कर दी गई या निकाल ली गई। अवैध निकासी के पश्चात बैंक स्टेटमेंट निकालने पर पता चला कि सात नवंबर 2007 से लेकर 19 जुलाई 2009 तक सरकारी खाते में 48.06 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोतों से जमा हुए हैं।