Move to Jagran APP

यूपी-बिहार में आपको बुढ़ापा बांट रहा है पीने का पानी; संसद में भी उठ चुका है मामला

आपके पीने का पानी आपको बुढ़ापे की ओर धकेल रहा है तो ऐसी परेशानी से बचने के उपाय यहां जानें...

By Digpal SinghEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 02:22 PM (IST)Updated: Tue, 20 Feb 2018 11:58 AM (IST)
यूपी-बिहार में आपको बुढ़ापा बांट रहा है पीने का पानी; संसद में भी उठ चुका है मामला
यूपी-बिहार में आपको बुढ़ापा बांट रहा है पीने का पानी; संसद में भी उठ चुका है मामला

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। क्या आप या आपके किसी परिचित के सिर के बाल समय से पहले ही सफेद हो गए हैं? क्या कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दिख रहे हैं? क्या उनकी हड्डियों में विकृति आ रही है या वह टेढ़ी हो रही हैं? अगर इन प्रश्नों में से किसी का भी जवाब हां में है तो आप इसकी वजह जरूर जानना चाहेंगे।

loksabha election banner

आपके जानने वाले, परिचित, रिश्तेदार और यहां तक कि आस-पड़ोस के लोग भी आपको कई तरह के सुझाव देंगे। कई लोग इसका कारण बताते हुए ऐसे-ऐसे उपाय बताएंगे जो शायद आप कर भी न पाएं। एक कारण हम आपको बता रहे हैं। हो सकता है यही वह कारण हो जिसने आपकी रातों की नींद उड़ा रखी हो। हम यहां आपको इस तरह की परेशानियों से बचने के उपाय भी बताएंगे।

पानी है आपकी समस्याओं की जड़

संभवत: आपकी समस्याओं की जड़ वह पानी ही है, जिसे आप पीते हैं। जिससे आप खाना पकाते हैं और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की हर जरूरत में इस्तेमाल करते हैं। हो सकता है पानी के बारे में भी आपको किसी ने कहा हो, लेकिन यहां हम आपको उदाहरण सहित बता रहे हैं कि कौन सा पानी आपको ऐसी बीमारियां दे रहा है और आप इससे कैसे बच सकते हैं।

बुढ़ापा बांट रहा डीप बोरिंग का पानी

शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी पानी की सप्लाई में खामियों के चलते हम और आप जमीन में डीप बोरिंग करके जहां भू-गर्भ जल स्तर को प्रभावित कर रहे हैं, वहीं अब इससे समय से पहले बुढ़ापा भी आ रहा है। टीएमबीयू पीजी भूगोल विभाग के हालिया शोध में यह बात सामने आई है।

बिहार में भागलपुर शहर के पांच अलग-अलग क्षेत्रों में हुए एक शोध के बाद जो तथ्य एकत्रित किए गए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। 150 फीट से नीचे पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है। इससे दांत पीले होने के साथ-साथ हड्डियों में ढेढ़ापन जैसी बीमारी बढ़ रही और लोग जल्द बुढ़ापे के शिकार हो रहे हैं।

क्यों बढ़ रहा है खतरा

शोधकर्ता डॉ. एसएन पांडेय ने बताया कि भागलपुर के शहरी क्षेत्र के भूगर्भ में रूपांतरित चट्टानें हैं जो नाइस कहलाती हैं। नाइस जमीन के नीचे काफी गहराई तक फैली हैं, जिसके काले हिस्से में फ्लोराइड रहता है। जिस भूगर्भ जल का उपयोग हमलोग रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते हैं, वह भी वर्षा जल ही है। वर्षा जल भूगर्भ में 150 फीट की गहराई तक पहुंचता है। यह भूगर्भ में फ्लोराइड के प्रभाव को कम या संतुलित करता है। यही वजह है कि इतनी गहराई वाले जल से बीमारी का खतरा नहीं रहता है।

टीएमबीयू में भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एसएन पांडेय कहते हैं, फ्लोराइड की अधिक मात्रा मानव शरीर में जाने से हड्डियों में टेढ़ापन आता है। इस वजह से 35-40 के महिला-पुरुष भी 75-80 वर्ष के वृद्ध की तरह झुककर चलते हैं। दांत में पीलापन, थायरॉयड, आंख, कान और लीवर पर भी प्रभाव पड़ता है।

बता दें कि 200 फीट गहरे बोरिंग के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होती है। यहां आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि मानक से अधिक फ्लोराइडयुक्त पानी के सेवन से हड्डियों में विकृति आती है।

यहां हालात हैं बेहद खराब
फ्लोराइड कितना खतरनाक हो सकता है यह यूपी के सोनभद्र जिले में पड़वाकोदवारी गांव में देखने को मिलता है। यहां के विजय की उम्र करीब 45 साल है, लेकिन वह 75 साल के बुजुर्ग से कम नहीं दिखते। वे इतनी कम उम्र में ही खाट पकड़ चुके हैं। जिस्म की हड्डियां इस कदर कमजोर हो गई हैं कि उनसे खुद उठते-बैठते भी नहीं बनता है। किसी ने सहारा देकर उठा दिया तो बैठे रहने के लिए भी रस्सी पकड़नी पड़ती है। रस्सी छूटते ही वे खाट पर गिर पड़ते हैं।

विजय की इस हालत के लिए फ्लोरोसिस रोग जिम्मेदार है जो हड्डियों को बेहद कमजोर बना डालता है। सोनभद्र के सैकड़ों गांवों में विजय जैसे हजारों पीड़ित कराहते दिख पड़ते हैं। यहां भूजल में फ्लोराइड की मात्रा मानक से कई गुना तक अधिक बताई जा रही है। मामला संसद तक भी पहुंचा है, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।

ढाई सौ से ज्यादा गांवों में 9000 बीमार
जिले में सरकारी तौर पर 269 गांव चिन्हित हैं, जहां भूजल में फ्लोराइड की मात्रा मानक से कई गुना अधिक पाई गई है। विभिन्न संस्थाओं के मुताबिक इन सैकड़ों गांवों के करीब 9000 लोग फ्लोरोसिस की चपेट में हैं। इनमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। हालांकि पीड़ितों की संख्या को लेकर सरकारी तौर पर कोई रिकॉर्ड नहीं है।

पार्लियामेंट में उठा मुद्दा
सोनभद्र के पानी में फ्लोराइड की अधिकता का मामला राज्यसभा और लोकसभा में भी उठ चुका है। साल 2014 में तत्कालीन सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने लोकसभा में और उनसे पहले सांसद प्रभात झा ने राज्यसभा में इसे उठाया था। स्थानीय सांसद छोटेलाल खरवार ने भी पिछले साल इस मामले को लोकसभा में उठाया था। बावजूद इसके अब तक कोई हल नहीं निकल सका है।

क्या करें?

अगर आपको लगता है कि इतनी गहराई से पानी निकालने के बाद आप उसे गर्म करके पीने के लिए सुरक्षित बना सकते हैं तो यह आपका भ्रम है। इस विषय पर दैनिक जागरण ने हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. केके अग्रवाल से बात की। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पहले तो इतनी गहराई पर बोरिंग करनी ही नहीं चाहिए। इसके बावजूद भी अगर आप इतनी गहराई तक बोरिंग करके पीने के लिए पानी निकाल रहे हैं तो आरओ के जरिए ही आप उसे पीने योग्य बना सकते हैं। उनके अनुसार उबालकर पानी से फ्लोराइड के नुकसान को कम नहीं किया जा सकता है। यही उन्होंने बताया कि विभिन्न शहरों के जल बोर्ड का पानी पीने के लिए सुरक्षित होता है, क्योंकि वह कई परिक्षणों के बाद आम जनता को सप्लाई किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.