Flood Is Back! लगातार बारिश से किशनगंज में उफानाई कनकई, मधेपुरा में खेतों में भरा पानी
Flood Is Back! बिहार में लगातार हो रही बारिश के बाद सीमांचल क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बन गई है। किशनगंज में कनकई नदी का पानी कई इलाकों में घुस गया है। दूसरी तरफ मधेपुरा में धान की खेती को खासा नुकसान पहुंचा है...
संवाद सूत्र, किशनगंज/मधेपुरा। Flood Is Back! बीते दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण कनकई नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। नदी का जलस्तर बढ़ने से कोचाधामन प्रखंड के कई गांवों में पानी प्रवेश घर गया है जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से कनकई नदी उफान पर है। जिससे मजकूरी पंचायत के लायतोर, मजकूरी पश्चिम, कैरी बीरपुर पंचायत के चैनपुर, डोरिया, कन्हैयाबाड़ी व अन्य टोलों में पानी घुस गया है।
वहीं, बिशनपुर पंचायत के बिशनपुर गांव में पानी प्रवेश कर गया है जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लोगों के घर आंगन में पानी जाने से लोग आसपास ऊंचे जगह पर शरण ले रहे हैं वहीं कई गांव के लोग काफी मशक्कत के साथ पानी के बीच रहने को मजबूर हैं। बाढ़ का पानी गांव में प्रवेश होने की जानकारी पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का विधायक हाजी इजहार असफी, अंचल अधिकारी खालिद हसन ने जायजा लिया तथा पीडि़त परिवारों को सरकारी प्रावधान के अनुसार सहायता उपलब्ध कराने की बात कही है।
मधेपुरा के हालात: आफत की बारिश में डूबी किसानों की किस्मत
- आंधी-पानी से लहलहाती धान की फसल को हुआ नुकसान
- हजारों-हजार हेक्टेयर में लगी फसल हुई बर्बाद
- साग-सब्जी की खेती पर भी असर
मधेपुरा के उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में बेमौसम बारिश फसलों को नुकसान पहुंचाया है। बड़े पैमाने पर धान की फसल को क्षति पहुंची है। वहीं साग-सब्जी की फसल पर भी असर पड़ा है। प्रकृति की मार झेलने को विवश किसानों के सामने जीवन यापन का संकट गहरा गया है। लाचार किसान किस्मत का रोना रो रहे हैं। किसानों का कहना है कि महाजनों से कर्ज लेकर खेती की थी। अब फसल ही बर्बाद हो गई तो कर्ज कैसे चुकता कर पाएंगे। क्या अगली फसल के लिए फिर से महाजन कर्ज देंगे। इस बात की ङ्क्षचता किसानों को सता रही है। वहीं स्वजन के पेट पालने को लेकर भी ङ्क्षचता खाए जा रही है। इन सब के बीच कृषि विभाग क्षति के आकलन में जुटा हुआ है। विभाग के मुताबिक प्रखंड क्षेत्र में अबतक 55 प्रतिशत फसल की क्षति हुई है। आंकड़े में बढोतरी की संभावना है।
किसानों के अरमानों पर फेरा पानी
कोसी क्षेत्र में लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश ने तबाही मचा रखा है। वर्षा के कारण फसलों को नुकसान पहुंचा है। ईलाके में हो रही बारिश की वजह से खेतों खड़ी फसलें बिछ गई है। धान कटाई की तैयारी कर रहे किसानों को धक्का लगा है। कुछ किसानों ने धान की कटाई कर ली थी। वह तैयारी के बास्ते कटे फसल को खेत में ही बिछा हुआ छोड़ रखा था। कई जगह तो खेतों में धान कटी हुई रखी थी जो अब डूब चुका है। पानी की वजह से खेत तालाब बन गए हैं। रविवार के बाद सोमवार व मंगलवार व बुधवार को हुई बारिश ने सब्जी की फसल को भी काफी नुकसान पहुंचाया है।
तेज हवाओं के साथ बारिश ने पहुंचाया नुकसान
महेशुआ गांव के किसान रमण कुमार यादव कहते हैं कि लगभग छह एकड़ में लगी धान की फसल पूरी तरह खेत में बर्बाद हो चुका है। वे बताते हैं कि हम बस फसल काटने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन सोमवार को दोपहर तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने बहुत नुकसान पहुंचाया है। अब बहुत मुश्किल है कि हम आधी उपज भी निकल पाए।
बर्बादी के कगार पर किसान
लगातार हो रही बारिश ने कई तरह के फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इससे किसान बर्बादी के कगार पर पहुंचा गया है। मंजौरा गांव में सब्जी की खेती करने वाले सुनीता देवी ने इस साल करीब दो बीघा खेत में हरी मिर्च की खेती की है। मौसम को देखकर वे परेशान हैं। वे कहते हैं कि क्षेत्र में अभी ज्यादा बारिश नहीं हुई है, लेकिन 15 से 20 फसल खराब हो गई है।अगर मौसम एक दो दिन में साफ नहीं हुआ तो और ज्यादा नुकसान होगा।
सब्जी की खेती को बचाना होगा मुश्किल
कृषि के जानकार लोंगो का कहना है कि यदि स्थिति ऐसी ही रही तो सब्जी की खेती को भारी नुकसान होगा। इस बारिश से आलू व गोभी की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचेगा। लौकी, तरोई, कद्दू आदि की बेले भी हवा में टूट गई हैं। बैगन, मैथी, पालक, मिर्च व मूली आदि को लेकर किसान परेशान है। सरसों की बुवाई जिन लोगों ने एक हफ्ते पहले की है, उस पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन जिन्होंने जल्द ही बुवाई की है उनकी फसल चौपट हो सकती है। जहां फसल गिर गई है, उसे ज्यादा नुकसान पहुंचेगा। गन्ना व सरसों की सहफसल की बुवाई करने वाले किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। खेतों में बोया गया बीज मिट्टी में मिल चुका है।
सबसे ज्यादा धान की फसल को नुकसान
इस समय के लगातार हवा और पानी की वजह से सबसे ज्यादा धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। अनुमंडल क्षेत्र के चौसा , पुरैनी, आलमनगर, उदाकिशुनगंज, ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र के लाखों हेक्टेयर खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद हुई है। तेज हवा में फसल ओंधे मुंह जमीन पड़ गिरा हुआ है। वहीं खेतों कटकर रखें फसल पानी में डूब गया है।
'आंधी- पानी से किसानों को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग को चाहिए कि वास्तविक क्षति का पता लगाकर किसानो को मुआवजा दे। इस संबंध जिला कृषि पदाधिकारी को मोबाइल पर अवगत कराया है।'- रमण यादव, नेता आरजेडी उदाकिशुनगंज
'तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश से फसलों को क्षति हुई है। किसानों पर बड़ी आफत आ गई है। किसानों को फसल क्षति का मुआवजा मिलना चाहिए। इस संबंध में कृषि विभाग के अधिकारी से बात हुई। अधिकारी काम कर रहे हैं।'- अरविंद सिंह, भाजपा नेता उदाकिशुनगंज
'अबतक कराएं गए सर्वे में 52 से 55 प्रतिशत की फसल की क्षति हुई है। यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। फसल क्षति का आकलन रिपोर्ट वरीय अधिकारी को भेजा जा रहा है।'- संजय कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, उदाकिशुनगंज (मधेपुरा)