यहां बनेगी महिलाओं के लिए सूबे में पहली खुली जेल, अब तक सिर्फ पुणे और अकोला में है ऐसी जेल Bhagalpur News
भागलपुर में इसके लिए पर्याप्त जमीन पहले से उपलब्ध है। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा भागलपुर की कई एकड़ जमीन वर्षों से खाली पड़ी है।
भागलपुर, जेएनएन। महाराष्ट्र के पुणे और अकोला की तरह अब बिहार में भी महिला कैदियों के लिए खुली जेल बनाने की तैयारी है। सूबे की पहली महिला खुली जेल भागलपुर में खोले जाने पर विचार किया जा रहा है।
कारा मुख्यालय राष्ट्रीय महिला आयोग की तरफ से दिए सुझाव को मूर्त रूप देने वाला है। भागलपुर में इसके लिए पर्याप्त जमीन पहले से उपलब्ध है। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा भागलपुर की कई एकड़ जमीन वर्षों से खाली पड़ी है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही महिलाओं के लिए खुली जेल भागलपुर में होगी। इसमें अच्छे आचरण वाली सजायाफ्ता महिला कैदियों को रखा जाएगा। उन्हें कई एकड़ वाली खुली जेल में बागवानी और खेती करने का मौका मिलेगा। इसकी आजादी दिन में ही रहेगी। शाम होते ही उन्हें बैरक में लौटना होगा। उन्हें जेल में ही नवीनतम खेती के गुर सिखाए जाएंगे। जरूरत पडऩे पर प्रशिक्षण के लिए बाहर भी भेजा जाएगा। अपने हुनर से वे अपने और परिवार के लिए कुछ पैसे भी कमा सकेंगी। यही नहीं बेहतर प्रदर्शन उनकी सजा अवधि कम करने में मदद करेगी।
सूरज देखना भी नसीब नहीं
भागलपुर महिला मंडल कारा में 90 और पूर्णिया में 57 महिला कैदी हैं। सूबे की जेलों में महिला कैदियों की संख्या पांच सौ से अधिक होगी। जहां महिला कैदियों को रोज सूरज देखना भी बमुश्किल नसीब होता है। खुली जेल बनने पर उन्हें मुक्त आकाश में और बागवानी, खेती करने का मौका मिलेगा। उन्हें इस दौरान इमारतों, आसपास का नजारा भी देखने को मिलेगा।
तनाव हो जाता है हावी
जेल की बंद कोठरी में रहते हुए महिला कैदी तनाव में होती हैं। चिड़चिड़ी हो अक्सर मारपीट कर लेने की शिकायतें मिलती है। खुली जेल में उन्हें उंची चारदीवारी के अंदर खुली हवा में सांस लेने का मौका मिलेगा। वह बेहतर महसूस कर सकेंगी।
महिला कैदियों के लिए भागलपुर में खुली जेल पर विचार किया जा रहा है। इस पर फैसला मुख्यालय स्तर पर होना है। - संजय कुमार चौधरी, जेल अधीक्षक, शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, भागलपुर