महीने भर बाद घर लौटने की तैयारी में पहिलका, 29 अगस्त को तस्करों से कराया गया था मुक्त
सुंदरवन स्थित कछुआ रेस्क्यू सेंटर में फिलहाल पांच कछुए हैं। इसमें से एक निलसोनिया गंगेटिका नस्ल का है जिसे दरभंगा से लाया गया है। यह अब महीने भर बाद अपने प्राकृतिक आवास में लौटने की तैयारी कर रही है।29 अगस्त को तस्करों से छुड़कर सुंदरवन पहुंचाया था।
भागलपुर [अभिषेक कुमार]। सुंदरवन स्थित कछुआ रेस्क्यू सेंटर में भर्ती 20 साल का घायल मादा कछुआ 'पहिलकाÓ महीने भर बाद अपने प्राकृतिक आवास में लौटने की तैयारी कर रही है। उसके गले के पास बने सुराख लगभग भर गए हैं।
इस कछुए को 29 अगस्त को तस्करों से छुड़ाकर दरभंगा से वन विभाग की टीम ने सुंदरवन पहुंचाया था। इसका इलाज वेटनरी विभाग के डॉ. संजीत कुमार कर रहे हैं। उनके मुताबिक कछुए के अगले हिस्से में धारदार हथियार से दो बड़े-बड़े सुराख किए गए थे, जिसे भरने में एक माह लग गए। अब इसे इसके प्राकृतिक आवास गंगा में छोडऩे की तैयारी है।
भागलपुर में मिला नीक नेम
18.30 किलो वजन के निलसोनिया गंगेटिका नस्ल का यह कछुआ देश के उन्नत नस्ल में एक है। साथ ही यह सुंदर वन परिसर में बने रेस्क्यू सेंटर का पहला कछुआ भी है। इस नाते इसे डीएफओ एस. सुधाकर, पर्यावरणविद् अरविंद मिश्रा और पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजीत ने 'पहिलकाÓ नाम दिया। इसके पीछे तर्क यह है कि पहिलका अंगिका शब्दावली है, जिसका अर्थ प्रथम होता है।
चिकित्सक और केयर टेकर दिनरात लगे रहे
छह माह पहले बने इस सेंटर में पहिलका के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। इसे साफ पानी में रखा जा रहा है। साथ ही हर 15 दिन पर पानी बदल दिया जाता है। उसके रहने के लिए सूखी जगह पर मिट्टी और पुआल का छोटा जैसा घर भी बनाया गया है। चिकित्सक और केयर टेकर दिनरात इसकी देखभाल में लगे रहे। डॉ. संजीत ने बताया कि पहले यह सही से भोजन नहीं कर रहा थी। लेकिन अब सबकुछ धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। भोजन के रूप में उसे अभी चिकन और मछली दिए जा रहे हैं।
रेस्क्यू सेंटर में फिलहाल पांच कछुए
सुंदरवन स्थित कछुआ रेस्क्यू सेंटर में फिलहाल पांच कछुए हैं। इसमें से एक निलसोनिया गंगेटिका नस्ल का है, जिसे दरभंगा से लाया गया है। तीन इंडियन फ्लैप सेल्प नस्ल का है। इसमें से दो को नवगछिया में तस्करों से मुक्त कराया गया है। जबकि एक कछुए भागलपुर शहर में मिला है। एक कछुआ सुंदरी नस्ल का है, जिसे दो दिन पहले तस्करों से मुक्त कराया गया है।
सुंदरवन स्थित कछुआ रेस्क्यू में सबसे पहले निलसोनिया गंगेटिका नस्ल के कछुए को लाया गया है। इस नाते इसे नीक नेम 'पहिलकाÓ दिया गया है। एक महीने तक इलाज के बाद अब यह स्वस्थ्य हो गया है। गले के पास के सुराख भी लगभग भर गए हैं। -एस. सुधाकर, डीएफओ।