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सृजन घोटाला : जयश्री सहित 12 के खिलाफ आरोप पत्र दायर, जानिए... और किसका-किसका है नाम

सीबीआइ ने प्राथमिकी संख्या आरसी 9ए/2018 में आरोप पत्र दायर किया। इस मामले की आरोपी जयश्री ठाकुर और सरिता झा पहले से जेल में हैं। अन्य आरोपी फरार हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 12:33 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 12:33 PM (IST)
सृजन घोटाला : जयश्री सहित 12 के खिलाफ आरोप पत्र दायर, जानिए... और किसका-किसका है नाम
सृजन घोटाला : जयश्री सहित 12 के खिलाफ आरोप पत्र दायर, जानिए... और किसका-किसका है नाम

भागलपुर [जेएनएन]। सृजन घोटाले में सीबीआइ ने 12 के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर दिया। एजेंसी के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी कुमार गुंजन की अदालत में सृजन महिला विकास समिति की सचिव मनोरमा देवी को मृत दिखाते हुये बांका की तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर सहित 12 के खिलाफ आरोप पत्र दायर हुआ।

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जयश्री के अलावा जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया उनमें बांका जिला भू-अर्जन कार्यालय के तत्कालीन नाजिर अनीस अंसारी, बांका स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन मैनेजर नवीन कुमार साहा, तत्कालीन क्लर्क संत कुमार सिन्हा, भागलपुर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन मैनेजर व वर्तमान में भोपाल में बैंक के मुख्य प्रबंधक सुजीत कुमार श्रीवास्तव, इंडियन बैंक के तत्कालीन सहायक व वर्तमान में रांची में सहायक मैनेजर दिनकर टिग्गा, इंडियन बैंक के तत्कालीन सहायक हरे कृष्ण अडक, कोऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन मैनेजर अशोक कुमार गुप्ता और विजय कुमार शर्मा तथा सहायक बाल मुकुंद यादव, बांका स्थित कोऑपरेटिव सोसाइटी के तत्कालीन ऑडिटर सतीश कुमार झा और सृजन महिला विकास सहयोग समिति की तत्कालीन मैनेजर सरिता झा शामिल हैं।

जयश्री व सरिता हैं जेल में

सीबीआइ ने प्राथमिकी संख्या आरसी 9ए/2018 में आरोप पत्र दायर किया। इस मामले की आरोपी जयश्री ठाकुर और सरिता झा पहले से जेल में हैं। अन्य आरोपी फरार हैं। इसके पूर्व जयश्री ठाकुर आरसी 5ए/2018 में भी चार्जशीटेड हैं। चार्जशीट 26 अप्रैल 2019 को दायर की गई थी। आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति अभी तक नहीं आई है जबकि सीबीआइ अनुमति की मांग कर चुकी है।

आरसी 9ए/2018 मामले में 12 करोड़ का घोटाला

जिस मामले में सीबीआइ ने आरोपपत्र दायर किया उस मामले में 12 करोड़ रुपये का घोटाला है। जांच एजेंसी के अनुसार घोटाला करने के लिये जयश्री ठाकुर ने नाजिर अनीस अंसारी को मिला लिया था। दोनों ने मिलकर बैंक के पदाधिकारियों को भी अपने साथ मिला लिया था। उस वक्त के भागलपुर व बांका के ज्यादातर जिलाधिकारी आंख मूंदकर जयश्री की हां में हां मिलाया करते थे।

छह प्रकार की चल रही थीं विकास योजनाएं

मार्च 2009 में भागलपुर व बांका जिले में विकास से संबंधित सरकार की छह योजनाएं चल रही थीं। इनमें शहरीकरण योजना, सुलतानगंज-देवघर रेललाइन बिछाने की योजना, मंदार हिल रेल-लाइन योजना, अनेक संपर्क पथ बनाने की योजना, रेडियो स्टेशन निर्माण योजना, शुगर मिल विकास योजना आदि। इन योजनाओं के लिए काफी जमीन का अधिग्रहण किया जाना था। इसके लिये चालाकी से जयश्री ठाकुर ने अपने लोगों को औने-पौने भाव में उसी इलाके में जमीन खरीदवा दी जिस इलाके में विकास योजना लागू होनी थी। फिर उसी जमीन को अधिग्रहण करवाया। वर्ष 2009 से 2011 की अवधि में सरकार के खाते से सृजन के खाते में अनेक चेकों के माध्यम से जयश्री ने 12 करोड़ रुपये स्थानांतरित करवा दिए। ये सभी रुपये विभिन्न विभागों के थे।

रुपये आते सरकार के खाते में जाते थे सृजन के खाते में

मनोरमा देवी सृजन की सचिव थीं। योजना के रुपये जैसे ही सरकार के खाते में रुपये आते, आरोपित चालाकी से सरकार के खाते से रुपये सृजन के खाते में भेज देते। मुआवजा राशि का चेक जब भुगतान के लिये बैंक में आता तब बैंक कर्मचारी मनोरमा देवी को सूचना दे सृजन के खाते से पुन: सरकार के खाते में रुपये भेज देते थे।

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