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रात को भी खाद लेने के लिए दौड़ लगा रहे किसान, सुपौल में मचा त्राहिमाम-त्राहिमाम

Fertilizer Crisis - खाद की कमी की वजह के सुपौल में 15 फीसद ही बोआई हो पाई है। किसानों की आंखों से आंसू निकल रहे हैं। खाद संकट के बीच जिले में त्राहिमाम की स्थिति है। किसान अब सड़क पर उतरना शुरू कर चुके हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 08:44 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 08:44 AM (IST)
रात को भी खाद लेने के लिए दौड़ लगा रहे किसान, सुपौल में मचा त्राहिमाम-त्राहिमाम
किसानों की समस्या: नहीं मिल रही खाद, क्या करें साहब?

जागरण संवाददाता, सुपौल : Fertilizer Crisis - जिले में गेहूं उत्पादक किसानों के बीच खाद के लिए त्राहिमाम मचा है। खाद के लिए किसान इतना परेशान है कि उन्हें रोज-रोज हंगामा और सड़क जाम करने तक की नौबत आ रही है। बावजूद जिले में खाद की किल्लत को कम करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। फिलहाल खाद की किल्लत ने किसानों की नींद को हराम कर रखा है। उन्हें इस बात की चिंता सताए जा रही है कि यदि रबी की बोआई समय से नहीं होगी तो फिर उनके घर के चूल्हे कैसे जलेंगे। इसके अलावा उन्हें बच्चों की पढ़ाई और बाल-बच्चों की शादी की भी चिंता सता रही है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अब करें तो क्या करें।

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स्थिति ऐसी हो चुकी है कि जब किसानों को किसी दुकान में खाद उपलब्ध होने की खबर मिलती है तो वे आधी रात से ही दुकानों के सामने लाइन में खड़े हो जाते हैं। इधर किसानों की समस्या से विभाग को कुछ लेना-देना है नहीं। जब कभी भी किसान खाद को लेकर उग्र होते हैं तो उन्हें बस अगले रैक लगने की बात कह कर टाल दिया जाता है। मानो किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। अबतक 15 फीसद ही बोआई होने से किसानों की रुलाई फूट रही है।

किसान दे रहे विभाग को दोष

किसानों का तो साफ तौर पर कहना है कि इस स्थिति के लिए विभाग सबसे बड़ा दोषी है। जब सरकार द्वारा खरीफ बाद ही रबी का लक्ष्य और खाद की आवश्यकता निर्धारित कर गई थी तो विभाग पहले ही खाद की आपूर्ति क्यों नहीं सुनिश्चित किया। यदि ऐसा होता तो फिर आज किसानों को यह दिन देखना नहीं पड़ता। दरअसल जिले में खाद को लेकर मारामारी की स्थिति बनी हुई है। किसानों के खेत रबी की बोआई को लेकर तैयार है लेकिन बाजार से डीएपी और एनपीए गायब है। इससे किसान गेहूं की बोआई नहीं कर पा रहे हैं। जबकि कृषि विशेषज्ञों द्वारा गेहूं की बोआई के लिए 15 नवंबर से 15 दिसंबर का समय उपज के लिहाज से बेहतर माना जाता है।

इधर 15 दिसंबर का समय बीतने में लगभग एक सप्ताह का समय बच गया है परंतु जिले में खाद की कमी के कारण 15 फीसद खेतों में ही बोआई संभव हो पाई है। इससे तो यही लगता है कि इस बार जिले में या तो लक्ष्य के अनुरूप गेहूं की बोआई संभव नहीं हो पाएगी या फिर उत्पादन में काफी कमी होगी जिसका सीधा असर किसानों पर ही पड़ेगा।

किसानों की रात की नींद और दिन का चैन है गायब

खाद को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। रोज-रोज किसान खाद को लेकर एक दुकान से दूसरी दुकान का चक्कर लगा रहे हैं परंतु उन्हें एक ही बात सुनने को मिल रही है कि अभी खाद उपलब्ध नहीं है। इससे किसानों का सब्र अब टूटते जा रहा है। परिणाम है कि जिले में रोज-रोज कहीं ना कहीं किसान सड़क पर उतर कर आक्रोश जता रहे हैं। किसानों को इस बात की चिंता खाए जा रही है कि आखिर उनकी किसानी कैसे हो पाएगी। यदि खाद के अभाव में खेतों में बोआई नहीं होगी तो फिर भविष्य का समय कैसे कटेगा। फिलहाल खाद की किल्लत से किसानों की रात की नींद और दिन का चैन गायब हो चुका है।


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