Move to Jagran APP

नक्सलियों के तालिबानी फरमान का खौफ: जमुई में पिता-पुत्र के शव पर किसी ने नहीं लगाया हाथ, पत्नी और बच्चे देखते रहे राह

शुक्रवार को जहां नक्सलियों ने तालिबानी फरमान सुनाते हुए गांव वालों को कह दिया था कि अगर पिता-पुत्र के शव को छुआ या अंतिम यात्रा में शामिल हुए तो खैर नहीं उसका खौफ शनिवार को देखने को मिला। दोनों के शव को किसी ने भी हाथ नहीं लगाया।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 06:22 PM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 06:22 PM (IST)
नक्सलियों के तालिबानी फरमान का खौफ: जमुई में पिता-पुत्र के शव पर किसी ने नहीं लगाया हाथ, पत्नी और बच्चे देखते रहे राह
नक्सलियों का तालिबानी फरमान: रोते बिलखते रहे पत्नी और बच्चे।

संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई)। चकाई के जंगली इलाकों में नक्सलियों का किस कदर खौफ है। यह उस वक्त देखा गया, जब थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित बोंगी पंचायत के बाराजोर गांव में नक्सलियों द्वारा पिता पुत्र की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि में पास-पड़ोस के ग्रामीण नहीं पहुंचे। नक्सलियों के तालिबानी फरमान के डर से दिनभर पिता-पुत्र का शव अंत्येष्टि के इंतजार में घर के सामने पड़ा रहा लेकिन एक भी ग्रामीण शव को छूने नहीं आया। देर शाम अंधेरा ढलते ही घरवालों ने ही पिता-पुत्र को आदिवासी रीति रिवाज के साथ मिट्टी देकर अपना कर्तव्य पूरा किया।

loksabha election banner

इस अंत्येष्टि में मात्र छह लोग ही शामिल हुए। जानकारी के अनुसार पोस्टमार्टम के बाद पिता-पुत्र के शव को शुक्रवार की सुबह नौ बजे के करीब चरकापत्थर एसएसबी की टीम लेकर अपने साथ गांव पहुंची। लेकिन नक्सली फरमान के कारण एक भी ग्रामीण शव लेने को तैयार नहीं हुए। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से सुरक्षाबलों ने घरवालों और एक दो ग्रामीणों को समझा-बुझाकर बुलाया और शव को सौंप दिया। शव को लेने के बाद कुछ ग्रामीण मृतक के घर के समीप पहुंचे और शव को खाट पर रखकर वहां से अपने अपने घर चले गए। इस दौरान दिनभर अंत्येष्टि के इंतजार में मृतक का शव घर के सामने पड़ा रहा लेकिन एक भी ग्रामीण अंत्येष्टि के लिए नहीं पहुंचे।

तब मृतक अर्जुन के ससुराल के कुछ लोगों एवं स्वजनों तथा कुछ ग्रामीणों ने शाम ढलते ही अंधेरे में गुप्त रूप से पिता-पुत्र के शव को समीप के जोरिया के समीप मिट्टी दिया। ग्रामीण सूत्रों की मानें तो आदमी की कमी के कारण एक ही खाट पर किसी तरह पिता-पुत्र के शव को लेकर लोग अंत्येष्टि के लिए गए। अब इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस इलाके में नक्सलियों का कितना आतंक है।

इधर घटना के तीसरे दिन भी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा और लोग घरों में दुबके रहे। मालूम हो कि बुधवार की रात नक्सली दस्ते ने चौपाई हेंब्रम एवं उसके पुत्र अर्जुन हेंब्रम की गोली मारकर हत्या कर दी थी तथा घटनास्थल पर पर्चा छोड़कर पुलिस मुखबिरी के आरोप में घटना को अंजाम दिए जाने की बात कही थी। वहीं गुरुवार की रात को फिर नक्सलियों ने गांव पहुंच ग्रामीणों को पिता- पुत्र की अंत्येष्टि में भाग लेने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.