Move to Jagran APP

Land dispute in Banka : एक भूखंड के चार दावेदार खूनी संघर्ष के बड़ रहे असार

बांका में एक सरकारी भूखंड के लिए कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है। अगर पुलिस प्रशासन ने सख्‍ती से इस विवाद को समाप्‍त नहीं किया तो मामला भयवाह रूप ले लेगा। किसी भी पक्ष ने इस मामले लिखित सूचना पुलिस को नहीं दी है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 11:39 AM (IST)
Land dispute in Banka : एक भूखंड  के चार दावेदार खूनी संघर्ष के बड़ रहे असार
बांका में जमीन विवाद का मामला गहराता जा रहा है।

बांका, जेएनएन। जयपुर में जमीन के लिए कब किसका कत्ल हो जाए यह कहना मुश्किल है। कारण यहां एक नही कई सरकारी जमीन के चार चार दावेदार है। सरकारी तो सरकारी यहां रैयती जमीन का भी यही हाल है। अब ऐसे जमीन के मामले में यहां जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत सिद्ध होती जा रही है। ऐसे में  फिर एक बार  जयपुर की सरकारी जमीन खूनी संघर्ष का अखाड़ा बनता जा रहा है। पहले भी जमीनी विवाद को लेकर जयपुर थाना क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक लोगों की जानें जा चुकी जा चुकी है।

prime article banner

फिर भी जमीन संबंधी ऐसे विसंगतियों को सुधारने के लिए विभाग की अब तक नींद नहीं खुली है। राजस्व विभाग की उल्टा फेरी के कारण जयपुर में फसादो की बात करें तो थाना में दर्ज होने वाली 80 फीसद मामले जमीन से जुड़े होते हैं। ऐसे जमीन संबंधी मामलों में मारपीट खूनी संघर्ष को लेकर पुलिस के पास पक्षकारों को जेल भेजने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं रहा जाता है। अपराधिक मामलों से ज्यादा यहां की पुलिस जमीन विवाद को सुलझाने में उलझे रहते हैं। जयपुर  में  80 फीसद सरकारी जमीन  कि किसी न किसी के नाम पर फर्जी जमाबंदी चल रही है। जबकि  20 फीसद जमीन की खरीद बिक्री भी हो चुकी है।

पिछली बार अपने जिले का भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री बनने के बाद लोगों को लगा कि प्राथमिकता के तौर पर अपने जिले में जमीन संबंधी व्यापक गड़बड़ियों का समूल नाश हो जाएगा। मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अभी ताजा मामला  जयपुर पंचायत अंतर्गत यादव मार्केट स्थित मुर्गी चौक  स्थित  खेसरा 183 की है। जयपुर जमदाहा मुख्य सड़क किनारे बेशकीमती एक जमीन पर चार चार दावेदार है। ये जमीन मुख्य सड़क किनारे सबके नजर पर होने के कारण अब तक कोई इस पर दखल करने की हिमाकत नहीं कर सका था।

स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक राजस्व कर्मचारी के मिलीभगत से इस खेसरा के कुछ जमीन को पहले ही बेचा जा चुका है। शेष बचे जमीन जयपुर क्षेत्र के माल मवेशी चरने के काम आता था। इसी भूखंड पर एक सरकारी तालाब भी है।  जो सिंचाई के अलावा  मवेशियों का प्यास बुझाता था। मगर इसी महीने अधिकारी की सह पर उसका भी अतिक्रमण हो चुका है। अब इस जमीन को हथियाने के लिए शेष दावेदारों के बीच कभी भी इस विवादित जमीन पर खूनी संघर्ष होने की संभावना बढ़ गई है।

स्थानीय ग्रामीणों की माने तो  सूचना मिलते ही  अंचल अधिकारी को संज्ञान लेते जनउपयोगी इस जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर  किसी भी अप्रिय घटना के जिम्मेदार आखिर कौन होगा  यह  बड़ा सवाल है। फिलहाल  अंचल अधिकारी सागर प्रसाद लिखित शिकायत का इंतजार कर रहे हैं। इधर डीसीएलआर पारूण प्रिया ने जांच कर कार्रवाई का आदेश दिए है।  

जयपुर में जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। थाना में दर्ज होने वाले अधिकांश मुकदमा जमीन से संबंधित ही आता है। पंकज कुमार राउत थानाध्यक्ष जयपुर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.