Move to Jagran APP

आस छोड़ चुके पिता ने जब अपने बेटे को देखा भर आई आंखें, जानिए... आपबीती Bhagalpur news

11 सितंबर को पुलिस ने उसे बेहोशी की हालत में जेएलएनएमसीएच में भर्ती कराया था। नशाखुरानियों ने उसका सबकुछ लूट लिया था। नशे के असर से उसकी याददाश्त भी चली गई थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 01:39 PM (IST)
आस छोड़ चुके पिता ने जब अपने बेटे को देखा भर आई आंखें, जानिए... आपबीती Bhagalpur news
आस छोड़ चुके पिता ने जब अपने बेटे को देखा भर आई आंखें, जानिए... आपबीती Bhagalpur news

भागलपुर [अशोक अनंत]। छह महीने बाद बेटे को सलामत देख पिता की आंखें डबडबा आईं। खुशी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे। वाकया जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) का है, जहां चिकित्सकों और कर्मचारियों की सेवा और प्रतिबद्धता ने याददाश्त खो चुके पड़ोसी देश नेपाल के एक युवक को उसके परिवार से मिला दिया।

loksabha election banner

नेपाल के मादीनगर निवासी रामबहादुर को बस से सिलीगुड़ी जाते समय नशाखुरानियों ने अपना शिकार बना लिया था। पिछले साल 11 सितंबर को पुलिस ने उसे बेहोशी की हालत में जेएलएनएमसीएच में भर्ती कराया था। नशाखुरानियों ने उसका सबकुछ लूट लिया था। नशे के असर से उसकी याददाश्त भी चली गई थी। पहले अस्पताल के इमरजेंसी, फिर इंडोर मेडिसीन विभाग और मानसिक रोग विभाग में उसका उपचार किया गया। मानसिक रोग विभाग में पांच महीने के उपचार के बाद उसे कुछ-कुछ याद आना शुरू हुआ।

सेवा कर बनाई मिसाल

मानसिक रोग विभाग की नर्सों के मुताबिक रामबहादुर की स्थिति नाजुक थी। वह खुद से उठ भी नहीं पाता था। बिस्तर पर ही शौच करता। कर्मचारी उसकी सफाई करते थे। कपड़ा बदलते और खाना भी खिलाते थे। सेवा और दवाइयों से उसे फायदा हुआ। मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत ने बताया कि नाम और खुद को नेपाल निवासी बताने के बाद उसे नेपाल का नक्शा दिखाया गया, लेकिन वह किस जिले का है, बता नहीं पाया।

फेसबुक पर दोस्त को पहचाना

नर्स दीपा, सुरक्षा गार्ड मधुकर यादव और रूपेश ने फेसबुक के जरिये उसके मित्र की पहचान कराई। इन कर्मचारियों ने उसके दोस्त को रामबहादुर की स्थिति और अस्पताल का पता बताया। गुरुवार को उसके पिता कोलबहादुर, बड़ा भाई फाउदा और मित्र अस्पताल में रामबहादुर से मिले। रामबहादुर किसान हैं। उन्होंने कहा कि बेटा आभूषण कारीगर है। काम के सिलसिले में सिलीगुड़ी जा रहा था। पांच दिनों तक उसकी खबर नहीं आने पर वह परेशान हो गए। उन्होंने आशा ही छोड़ दी थी। अस्पताल ने उन्हें बेटे से मिलवाया है। वह इस उपकार को कभी भूल नहीं पाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.