शुगर के लिए रामवाण स्टीविया की खेती करेंगे किसान, बीएयू कर रहा विकसित, आप भी उठाएं इसका फायदा Bhagalpur News
अमेरिकी देशों जैसे ब्राजील में स्टीविया पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल प्राकृतिक स्वीटनर के तौर पर होता आ रहा है। आज स्टीविया प्रकृति प्रदत्त मीठा के विकल्प के तौर पर मशहूर है।
भागलपुर, जेएनएन। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के हाइटेक वनस्पति उद्यान में देश और विदेश की कई दुर्लभ प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं। उसी कड़ी में औषधीय गुणयुक्त स्टीविया के पौधे का विकास भी बीएयू कर रहा है। इसे किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। किसानों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। शुगर के लिए राम वाण स्टीविया किसानों के समृद्धि के द्वार खोलेगा।
क्या है स्टीविया
सदियों से दक्षिणी अमेरिकी देशों जैसे ब्राजील में स्टीविया पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल प्राकृतिक स्वीटनर के तौर पर होता आ रहा है। आज स्टीविया पूरे विश्व में पाया जाता है और प्रकृति प्रदत्त मीठा के विकल्प के तौर पर मशहूर है।
आधा ग्राम पाउडर के इस्तेमाल से रुकेगी शुगर की मात्रा
विश्वविद्यालय के जीव रसायन एवं पादप कार्य विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एमपी मंडल कहते हैं कि स्टीविया शुगर रोगियों के लिए रामबाण है। इसके पाउडर का मात्र आधा ग्राम इस्तेमाल करने से यह ब्लड में शुगर की मात्रा बढऩे नहीं देता है। साथ ही चीनी से 20 गुणा ज्यादा मिठास देता है। अन्य कई बीमारियों को यह जड़ से मिटाने में सक्षम है।
वनस्पति उद्यान में पौधा का हो रहा है विकास
पीआरओ डॉ. आरके सोहाने कहते हैं कि वनस्पति उद्यान में पौधा का विकास हो रहा है। आने वाले समय में किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा और इसके खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए बाजार की समस्या नहीं। औषधीय पौधे की खेती कर किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी।
औषधीय पौधों को संग्रहित कर उसका व्यापक विस्तार किया जा रहा है। आने वाले समय में किसानों के खेतों पर स्टीविया जैसे औषधीय पौधे दिखेंगे। विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा है। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर