खेती-बारी : खेती से विमुख हो रहे किसानों को मिलेगा नवजीवन, बगीचे की खाली जमीन पर उगाएंगे अदरक
सीमांचल के किसान अब आम के साथ अदरक की भी खेती करेंगे। इस लिहाज से आम लीची व अन्य बगान में खाली पड़ी जमीन पर अदरक हल्दी ओल आदि की खेती की जाएगी। इससे किसानों के उन्नति की राह प्रशस्त होगी।
सहरसा [कुंदन कुमार]। लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और इलाके के आर्थिक उन्नयन के लिहाज से समन्वित उद्यानिक फसल योजना के तहत कोसी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अदरक, हल्दी और ओल की खेती की जाएगी। इसकी खेती के लिए छायादार जमीन की आवश्यकता होती है। इस लिहाज से आम, लीची व अन्य बगान में खाली पड़ी जमीन पर अदरक, हल्दी, ओल आदि की खेती की जाएगी। इस योजना में कोसी दियारा में हर वर्ष बेकार रह जाती जमीन का भी उपयोग होगा तथा परम्परागत खेती से किसानों से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाने के कारण खेती से विमुख हो रहे किसानों को नया अवसर मिलेगा। कृषि विभाग के इस प्रयास से पिछडेक कोसी क्षेत्र का भी आर्थिक उन्नयन होगा।
किसानों को अनुदान व तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा विभाग
समन्वित उद्यानिक फसल योजना के तहत अदरक, हल्दी और ओल की खेती करनेवाले किसान को विभाग तकनीकी सहायता के अलावा इसका बीज व खाद के लिए पचास प्रतिशत अनुदान मिलेगा। कोसी प्रमंडल के तीनों जिले में लगभग सात सौ हेक्टेयर में पहली बार इसकी खेती होगी। सहरसा जिले में एक सौ हेक्टेयर में हल्दी, 52 हेक्टेयर में अदरक और 50 हेक्टेयर में ओल की खेती की योजना है। इसी प्रकार विभाग ने सुपौल और मधेपुरा जिले के लिए भी जिलास्तर पर लक्ष्य निर्धारित किया है। कृषि विभाग का मानना है कि अदरक, हल्दी और ओल की पूरे प्रदेश में काफी मांग है। इस योजना से न सिर्फ कोसी क्षेत्र समृद्ध होगा बल्कि राज्य के अन्य भागों में भी अदरक, हल्दी और ओल को बेचा जा सकेगा।
पिछड़े कोसी क्षेत्र के लिए समन्वित उद्यानिक फसल योजना काफी लाभकारी होगा। इससे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा और क्षेत्र का भी आर्थिक उन्नयन होगा। आनेवाले दिनों में बड़े पैमाने पर अदरक, हल्दी व ओल की खेती जाएगी। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है।
-दिनेश प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।