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केलांचल के किसानों को रास आया लाल गाजर, अच्छी उपज के बाद फ‍िर बढ़ी परेशानी

नवगछिया के किसान अब केला की फसल बर्बाद हो जाने के कारण दूसरे फसल की पैदावार करने लगे। किसानों को गाजर के उत्‍पाद में काफी लाभ हुआ, लेकिन अच्‍छी उपज के बाद भी इसे अब बेच नहीं पा रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 04:16 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 03:43 PM (IST)
केलांचल के किसानों को रास आया लाल गाजर, अच्छी उपज के बाद फ‍िर बढ़ी परेशानी
केलांचल के किसानों को रास आया लाल गाजर, अच्छी उपज के बाद फ‍िर बढ़ी परेशानी

भागलपुर [जेएनएन]। केलांचल के नाम से प्रसिद्ध नवगछिया अनुमंडल में अब किसान लाल गाजर की खेती पर भी भरोसा जताने लगे हैं। इसकी शुरुआत नारायणपुर में मो. सुलेमान ने 12 कट्ठा जमीन पर गाजर लगाकर की है। सुलेमान को देखकर इलाके के अन्य किसान भी इस खेती में रुचि लेने लगे हैं। ये किसान अबतक केला, आम, लीची और मकई की खेती से ही जुड़े थे। इनके पास आकर अब किसान गाजर की खेती करने के गुर भी सिख रहे हैं। सभी को लाल रसीली गाजर की खेती खूब रास आने लगी है।

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मंडी नहीं मिलने से मुनाफा पर असर

किसान सुलेमान ने कहा कि गाजर की खेती कर सोचा था कि अच्छी आमदनी होगी, लेकिन मंडी नहीं मिलने से मुनाफा पर असर पड़ा है। खेत से ही 12-14 रुपये प्रति किलो गाजर बेचने की मजबूरी है। यही गाजर व्यापारी बाजार ले जाकर बीस से पच्चीस रुपये किलो बेचते हैं। सुलेमान को अब यह चिंता सता रही है कि अच्छी उपज के बाद भी हम ज्यादा मुनाफा नहीं कमा पा रहे।

बीस क्विंटल गाजर की उपज

सुलेमान ने बताया कि खरीक के अठगामा गांव में उनका एक रिश्तेदार है, जिसने गाजर की खेती करने को प्रोत्साहित किया और तरीका भी बताया। रिश्तेदार के सुझाव पर बीते अक्टूबर माह में बारह कट्ठा जमीन पर दस हजार की लागत से गाजर का बीज बोया। दो बार पटवन किया। बारह कट्ठा में करीब बीस क्विंटल गाजर की उपज हुई है।

अक्टूबर से दिसंबर के बीच का वातावरण उपयुक्त

किसान ने बताया कि गाजर के लिए अक्टूबर से दिसंबर के बीच का वातावरण सबसे उपयुक्त होता है, इससे गाजर पूरी तरह रसीली हो जाती है। इसका रस कई दिनों तक नहीं सूखता है। गाजर की खेती से श्रमिकों को रोजगार भी मिल जाता है। श्रमिक गाजर उखाडऩे का काम करते हैं, जिन्हें दिहाड़ी मिलती है। गाजर उखाडऩे के बाद इसके उपर से हरी शाखा को काटकर अलग कर नहर पर लाकर धुलाई की जाती है। उनकी योजना नारायणपुर को गाजर हब बनने की है। ताकि यहां की गाजर राज्य से बाहर की मंडियों में भी जा सके।


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