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कृषि यंत्रों के सहारे आय बढ़ा रहे गोराडीह के किसान, KVK ने किया इस तरह मदद Bhagalpur News

अब किसान वैज्ञानिक तरीकों से खेती कर रहे हैं। किसानों को इससे ज्‍यादा लाभ प्राप्‍त होता है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र और बैंक दोनों मदद कर रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 01:42 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 01:42 PM (IST)
कृषि यंत्रों के सहारे आय बढ़ा रहे गोराडीह के किसान, KVK ने किया इस तरह मदद Bhagalpur News
कृषि यंत्रों के सहारे आय बढ़ा रहे गोराडीह के किसान, KVK ने किया इस तरह मदद Bhagalpur News

भागलपुर [ललन तिवारी]। किसानों की आय दोगुनी का सपना इन दिनों गोराडीह प्रखंड में साकार हो रहा है। लागत अधिक और उत्पादन कम होने से परेशान बड़हरी गांव के निवासी रंजन कुमार सुमन ने पांच साल पहले आधुनिक कृषि यंत्रों का सहारा लिया। लाभ बढ़ा तो अन्य किसान भी इस ओर उन्मुख हुए। मांग को देखते हुए रंजन ने अपना कृषि यंत्र बैंक बना लिया है। यह बैंक गांव के किसानों के लिए वरदान बन चुका है।

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आज इस बैंक में ट्रेक्टर, जीरो टीलेज, रेज्डवेज, ट्रैक्टर माउंटेड, स्प्रे और लेजर लेवल सहित कई छोटे-बड़े यंत्र हैं। आसपास के किसान किराये पर इन यंत्रों को ले जाते हैं। इलाके में पांच साल पहले तक किसानों को लागत मूल्य का महज आठ से दस फीसद तक ही लाभ मिल पाता था। कृषि यंत्रों ने यहां की तस्वीर बदल दी है। नई तकनीक से खेती से किसानों को 40 फीसद तक लाभ मिल रहा है। रंजन का कहना है कि पहले घर का खर्च मुश्किल से निकल पाता था। अब खेती और कृषि यंत्र बैंक से दस लाख रुपये सालाना तक की आमदनी हो जाती है।

कृषि विज्ञान केंद्र से मिला प्रशिक्षण

पांच साल पहले खेती में कम लाभ और घर में बढ़ते खर्च से रंजन परेशान थे। इसी बीच वे कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के संपर्क में आए। कृषि यांत्रिकरण के महत्व को समझा और प्रशिक्षण लिया। 2014-15 में प्रायोगिक तौर पर शून्य जुताई तकनीक से दो एकड़ में गेहूं की खेती की। बंपर पैदावार हुआ। यंत्र का उपयोग करने से श्रम और सिंचाई में कम खर्च आया। अच्छी आमदनी हुई। फिर सुमन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इन फसलों में हो रहा है यंत्रों का उपयोग

कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के प्रभारी डॉ. विनोद कुमार कहते हैं कि गेहूं की शून्य जुताई के साथ ही मक्का, गेहूं, मसूर और सरसों आदि की मेड़ पर बोआई, धान की सीधी बोआई, जमीन समतल करने और स्प्रे आदि में मशीन का इस्तेमाल होता है।

पर्यावरण के अनुकूल

कृषि विज्ञान केंद्र के इंजीनियर पंकज कुमार की मानें तो कृषि यंत्रों का इस्तेमाल पर्यावरण के अनुकूल है। इससे मिट्टी की उर्वरता बरकरार रहती है। पानी का भी खर्च बहुत कम होता है।

कृषि यंत्रों से खेती लाभप्रद है। रंजन की तरह अन्य किसानों को भी कृषि यंत्र का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। - डॉ. आरके सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक बीएयू सबौर


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