सुपौल: यूरिया के लिए रोड पर उतरे किसान, एनएच-106 को एक घंटे तक रखा जाम
यूरिया को लेकर सुपौल में किसानोंं ने रोड जाम कर विरोध-प्रदर्शन किया। करीब एक घंटे तक एनएच 106 पर इस दौरान परिचालन बाधित रहा। बाद में अधिकारियों के आश्वासन के बाद किसानों ने जाम हटाया। इस दौरान रोड के दोनों ओर...
संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल)। रतनपुर पंचायत के नया बाजार में यूरिया का वितरण नहीं करने से गुस्साए किसानों ने एनएच 106 को शुक्रवार को जाम कर यूरिया वितरण करने की मांग की। लगभग एक घंटे बाद रतनपुर पुलिस के पहुंचने पर जाम खत्म किया गया। इसके बाद स्थानीय खाद दुकानदारों के द्वारा यूरिया वितरण करवाया गया। किसानों की संख्या अधिक रहने के कारण स्टाक खत्म होने से सभी किसानों को खाद नहीं मिल सकी। इससे किसानों का आक्रोश खत्म नहीं हुआ।
मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि खाद दुकानदारों के द्वारा खाद वितरण नहीं किया जा रहा था। वितरण नहीं होने किसानों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया और वे एनएच पर उतर आए। किसानों ने एनएच को जाम कर दिया। इससे एक घंटे तक आवाजाही बाधित रही। एनएच पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। स्थल पर मौजूद कई यात्रियों ने बताया कि वे जरूरी काम से जा रहे थे लेकिन जाम के कारण समय से नहीं पहुंच पाएंगे।
खैर, पुलिस के आने के बाद जब वितरण शुरू हुआ तो जाम समाप्त हुआ और वाहनों की आवाजाही शुरू हुई। इधर किसानों का कहना था कि जिन किसानों के पास किसान पंजीकरण उपलब्ध था उन्हीं किसानों को यूरिया दिया गया। जितनी संख्या किसानों की थी, उतनी मात्रा में यूरिया उपलब्ध नहीं थी। जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है। किसानों का कहना है कि सभी किसानों ने अपना पंजीयन नहीं कराया है और वे खेती करते हैं। ऐसे में उनकी फसल मारी जाएगी।
दुकानदारों के द्वारा कहा जा रहा है कि यूरिया स्टाक में उपलब्ध नहीं है। पंजीकृत किसानों को भी पर्याप्त मात्रा में यूरिया नहीं मिल पाया। किसानों ने बताया कि फसल की ङ्क्षसचाई कर ली है। अब यूरिया नहीं मिलने से फसल बर्बाद हो रही है। वे लोग यूरिया के लिए इस बाजार से उस बाजार भटकते रहते हैं। समय से यूरिया नहीं देने पर फसल उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता में भी कमी आ जाएगी। इससे किसान को आर्थिक संकट का सामना कर पड़ सकता है। किसानों ने बताया कि बोआई के समय भी डीएपी और पोटाश के लिए इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा। खाद की कमी के कारण समय से बोआई नहीं हो पाई अब यूरिया के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं।