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कहां गया इनपुट अनुदान, कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं किसान

कारण किसान रबी की बुआई महाजनों से कर्ज लेकर कर रहे हैं। खेतों में नमी की मात्रा कम होने की वजह से उन्हें डीजल पंप से सिंचाई कर गेहूं एवं मक्का की खेती करनी पड़ रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 07:43 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 06:50 AM (IST)
कहां गया इनपुट अनुदान, कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं किसान
कहां गया इनपुट अनुदान, कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं किसान

भागलपुर (जेएनएन)। प्राकृतिक आपदा की लगातार मार झेल रहे जिले के किसानों का बुरा हाल है। सरकार बाढ़ एवं सुखाड़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए इनपुट अनुदान देने की घोषणा तो करती है पर आज तक किसानों को उसका कुछ भी लाभ नहीं मिल पाई है। आखिर कहां गया इनपुट अनुदान? यह प्रश्न किसानों के हृदय में टीस मार रहा है। जबकि विषम परिस्थितियों में भी उनकी कड़ी मेहनत से राष्ट्रीय स्तर पर बिहार को चौथी बार कृषि कर्मण्य अवार्ड से के लिए चुना गया है।

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जीविकोपार्जन का एक मात्र साधन खेती होने के कारण किसान रबी की बुआई महाजनों से कर्ज लेकर कर रहे हैं।

खेतों में नमी की मात्रा कम होने की वजह से उन्हें डीजल पंप से सिंचाई कर गेहूं एवं मक्का की खेती करनी पड़ रही है। एक एकड़ खेत की सिंचाई करने में 12 से 15 घंटे समय लग रहा है। जबकि प्रतिघंटा डीजल पंप से सिंचाई के लिए किसानों को 125 रुपये खर्च करना पड़ रहा है। ऐसे में खेती-किसानी कितना लाभदायक होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का ढिंढोरा पीट रही है। यह सब किसानों के हक में कितना संभव हो पाएगा यह समय के गर्भ में छिपा है। किसानों की माली हालत में अगर सुधार नहीं हुई तो आने वाला वक्त सबके लिए परेशानी का सबब बनेगा।

जिले में यूं होती है रबी फसल की खेती

गेहूं - 45 हजार हेक्टेयर

मक्का - 17 हजार हेक्टेयर

दलहन - 13 हजार हेक्टेयर

तेलहन - 04 हजार हेक्टेयर

अन्य फसलें - 04 हजार हेक्टेयर

दो वर्ष पूर्व बाढ़ से हुई क्षति का नहीं मिला है अनुदान

वर्ष 2016 में आई भीषण बाढ़ से किसानों को हुई व्यापक क्षति का आज तक किसानों को क्षतिपूर्ति अनुदान नहीं मिल पाया है। बता दें कि जिला कृषि विभाग के सर्वे के आधार पर बाढ़ से 40 हजार 144 हेक्टेयर में लगी मक्का एवं धान सहित अन्य फसल बुरी तरह बर्बाद हो गया था। जिससे 68 हजार 704 किसान प्रभावित हुए थे। जिला प्रशासन ने उक्त क्षति की भरपाई के लिए सरकार को 51 करोड़ 36 लाख 94 हजार 425 रुपये का डिमांड भेजा था। करीब छह माह पूर्व सरकार ने अनुदान राशि वितरण के लिए जिले को 25 करोड़ 50 लाख रुपये आवंटित किया था, जिसे डीएम ने किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर के लिए प्रखंडों को आवंटित कर दिया है। बावजूद इसके उक्त राशि बीडीओ के लॉगिन में पड़ा है। किसान उक्त अनुदान का बीते दो वर्षो से बाट जोह रहे हैं। किसानों की आर्थिक लाचारी पर न बीडीओ का ध्यान है और न जिला प्रशासन का।

खरीफ 2018 में भी सुखाड़ की मार, किसान बेहाल

खरीफ के मौसम में अल्प वृष्टि के कारण जिले के 52 हजार हेक्टेयर में होने वाली धान की फसल नौ प्रखंडों में बुरी तरह प्रभावित हुई। किसान ने अपनी कड़ी मेहनत एवं पूंजी लगाकर उक्त फसल को बचाने का खूब प्रयास किया फिर भी वह घाटे का सौदा रहा। मौसम की मार से किसानों की बेहाल स्थिति को देख सरकार ने नौ प्रखंडों के 54 हजार 876 हेक्टेयर भू-भाग को घोषित कर दिया। इसके लिए भी किसानों को क्षतिपूर्ति अनुदान देने की घोषणा कर दी गई। बता दें कि सुखाड़ से हुई फसल क्षति का अनुदान लेने के लिए प्रभावित प्रखंडों के 46,820 किसानों ने ऑन लाइन आवेदन किया है। इसकी जांच की प्रक्रिया कृषि समन्वयक स्तर पर चल रही है। अनुदान की राशि वितरण के लिए सरकार से 68 करोड़ 35 लाख 40 हजार 192 रुपये का डिमांड सरकार को भेजा गया है।

किसान है बेचारा, सरकारी योजना का नहीं मिल रहा सहारा

खेती किसानी एवं कृषि विकास के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही अनुदानित योजना पर किसानों की जब जागरण ने प्रतिक्रिया जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि किसान तो बेचारा है, सरकारी योजना का उसे नहीं है सहारा।

शाहकुंड प्रखंड के अंबा गांव निवासी प्रगतिशील किसान मृगेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा खेती किसानी का अभी हाल मत पूछिए। 1980 में जहां खेती में 20 पैसे खर्च पर 80 पैसे का लाभ मिलता था, वहीं आज यह ठीक उलट हो गया है। किसान सिर्फ खुद का वजूद बचाने के लिए खेती कर रहे हैं। बहरहाल धान की कटनी, तैयारी एवं घर तक पहुंचने में सिर्फ लेबर कास्ट 60 फीसद लगता है।

नाथनगर के किसान ललन राय ने कहा कि खरीफ में सुखाड़ पडऩे रबी की खेती ने किसानों की कमर तोड़ दी है। गेहूं-मक्का की उपज आगे क्या होगी यह तो नहीं पता लेकिन फसल लगाने की लागत काफी बढ़ गई है। खेतों में नमी की कमी के कारण बिना सिंचाई किए फसल लगाना मुश्किल हो रहा है। रंगरा के किसान वेद व्यास चौधरी ने कहा कि दियारा में किसानों के खेतों में गेहूं व मक्का के पौध निकाल आया है और सरकार अभी बीज बांट रही है। यही है सरकार की किसानोपयोगी योजना। बाबूपुर के किसान मनोज मंडल ने कहा कि सरकार सिर्फ हम किसानों के लिए बिजली-पानी की व्यवस्था कर दे हमें कोई अनुदान की जरूरत नहीं है।

बाढ़ फसल क्षति का इनपुट अनुदान जल्द करें वितरण

जिला आपदा प्रबंधन के वरीय उप समाहर्ता सुरेंद्र प्रसाद ने जगदीशपुर एवं खरीक प्रखंड को छोड़कर शेष प्रखंडों के बीडीओ को चेतावनी देते हुए कहा है कि पांच माह पूर्व 2016 में आई बाढ़ से हुई फसल क्षति का इनपुट अनुदान आवंटित किया गया है। किसानों के बीच इसके वितरण को लेकर जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने भी दो-बार पत्र दिया है बावजूद इसके आवंटित राशि कोषागार में पड़ी है। उक्त राशि की निकासी कर दो दिनों के अंदर किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से वितरण कर उसकी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। ताकि शेष राशि की मांग सरकार से की जा सके।


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