दियारा में पनाह ले किसानों को आतंकित कर रहे कुख्यात, अत्याधुनिक हथियारों से रहते हैं लैस
सक्रिय आपराधिक गिरोहों के सरगनाओं के संरक्षण में पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, साहिबगंज, भागलपुर, बांका, मुंगेर, गोड्डा आदि के कई शातिर वहां से भाग कर पनाह लिए हुए हैं।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। गंगा-कोसी दियारा में फसल लहलहाने वाले किसानों को बंदूक का भय दिखा उनकी खुशियां छीन रहे अपराधियों के आतंक का जल्द खत्म हो जाएगा। पुलिस मुख्यालय दियारा में पनाह लिए अपराधियों की करतूतों को संज्ञान में लेते हुए उन्हें दबोचने के लिए एसटीएफ को लगाया है। एसटीएफ के जवान दियारा में ऐसे शातिर को उनके मांद से खींच निकालेगी। कार्रवाई के पूर्व एसटीएफ ने दियारा में सक्रिय आपराधिक गिरोह और उसके सरगना के संरक्षण में पनाह लिए दूसरे जिलों के कुख्यात अपराधियों की सूची भी तैयार कर ली है। अब दियारा में पनाह लेने वाले कुख्यात किसानों को ज्यादा दिनों तक आतंकित कर उनकी फसलें नहीं लूट सकेंगे। उनसे रंगदारी की रकम नहीं वसूल सकेंगे।
इन इलाकों में त्रस्त हैं किसान
खगडिय़ा के चौथम, मानसी, सलारपुर, दुधैला, रहीमपुर, अलौली, अमौसी का दियारा क्षेत्र। बिहपुर कोसी दियारा के गोबिंदपुर, गड़ैया, बुढऩा, रहुआ, तरहना, कहारपुर, मधेपुरा सीमा स्थित बड़ी खाल, आहुति, हडज़ोड़ा, किशनपुर, बनबाड़ी, खरीक के बगड़ी बहियार, भवनपुरा दियारा, लोकमानपुर, ढोढिया, खैरपुर दियारा, लोदीपुर, फरीदपुर, गोपालपुर के तिनटंगा, इस्माईलपुर, रंगरा का चापर दियारा। सुलतानगंज-अकबरनगर के शाहाबाद, गंगापुर, मोतीचक, कोदरा भि_ा, मकनपुर, रन्नुचक, नाथनगर का दियारा। पीरपैंती के कटिहार, साहिबगंज से सटे दियारा में गदाई दियारा, अठनियां, गोबराही, झुरबन्नी, कमालपुर, बैजनाथपुर, कुरसेला दियारा, बखिया दियारा शामिल है।
पुलिस से ज्यादा बंदूकबाजों पर भरोसा करना मजबूरी
दियारा में अपनी मेहनत से फसल लहलहाने वाले किसानों को दियारा के दुर्गम इलाके में स्थानीय पुलिस से ज्यादा भरोसा वहां सक्रिय आपराधिक गिरोहों पर ही होता है। यह किसानों की मजबूरी है। घरों से दूर जब दियारा में वे किसानी को जाते हैं तो वापस लौटते समय लहलहाती फसलों को सुरक्षित रखने में उन्हें उन्हीं बदमाशों पर भरोसा करना मजबूरी बन जाता है। स्थानीय थानों की पुलिस दियारा में गश्त लगाती नहीं है। ऐसे में अपराधी ही दिन हो या रात हथियारबंद गश्त करते नजर आते हैं। किसानों से फसल और रकम की रंगदारी आसानी से वे वसूल लेते। जान बचाने की गरज से किसान इसकी शिकायत भी पुलिस से नहीं कर सकते। मामला चाहे कलाई की मलाई की हो या मक्का, गेहूं, चना, सरसो, ईंख की। आपराधिक गिरोहों का फरमान ही उनके लिए सबकुछ हो जाता। दियारा में किसान घुंट-घुंट कर जीने को विवश हैं। बच्चों को शहरों में पढ़ाई को भेज देते हैं ताकि बच्चे बदमाशों से सुरक्षित रह सके। खुद प्रताडि़त हो जिंदगी की जंग लड़ रहे रहे हैं दियारा के किसान।
गंगा-कोसी दियारा में सक्रिय प्रमुख आपराधिक गिरोह
गंगा कोसी दियारा में जहां खगडिय़ा इलाके से सटे इलाके में पसराहा थानाध्यक्ष का हत्यारा दिनेश मुनी और उसके गिरोह की सक्रियता है। वहीं सिंटु-पप्पू गिरोह, शबनम यादव, मुन्ना सिंह का गिरोह किसानों पर कहर बरपा रहा है। पीरपैंती दियारा में मोहन ठाकुर का गिरोह, वासुकी ठाकुर का गिरोह सक्रिय है। चापर में मोती, भक्ता गिरोह, गोपालपुर में कमांडो का गिरोह सक्रिय है।
इन सक्रिय आपराधिक गिरोहों के सरगनाओं के संरक्षण में पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, साहिबगंज, भागलपुर, बांका, मुंगेर, गोड्डा आदि के कई शातिर वहां से भाग कर पनाह लिए हुए हैं। इन सरगनाओं के संरक्षण में ही रहकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। अबतक आधा दर्जन से अधिक अपराधी दियारा में गिरफ्तार हो चुके हैं जो दूसरे जगहों से आकर पनाह लेते थे। इनमें गोड्डा का इनामी कुख्यात महेंद्र हांसदा, मोहना ठाकुर आदि की गिरफ्तारी शामिल है।