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किसानों के बीच पॉपुलर हो रहा पॉपुलर का पौधा, जानिए... क्या है इसकी खासियत Bhagalpur news

नवगछिया अनुमंडल में अब पॉपुलर की बागवानी बड़े पैमाने पर होने लगी है। इसके जरिये कई युवा किसान समृद्धि की नई इबारत लिख रहे हैं। इससे प्‍लाई बनता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 10:46 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 10:46 AM (IST)
किसानों के बीच पॉपुलर हो रहा पॉपुलर का पौधा, जानिए... क्या है इसकी खासियत Bhagalpur news
किसानों के बीच पॉपुलर हो रहा पॉपुलर का पौधा, जानिए... क्या है इसकी खासियत Bhagalpur news

भागलपुर, जेएनएन। आम, केले और लीची के लिए देश दुनिया में प्रचलित नवगछिया अनुमंडल में अब पॉपुलर की बागवानी बड़े पैमाने पर होने लगी है। इसके जरिये कई युवा किसान समृद्धि की नई इबारत लिख रहे हैं। मात्र पांच-छह वर्ष में पेड़ की ऊंचाई 60 फुट और मोटाई चार फुट तक हो जाती है। इस कारण पॉपुलर का पौधा किसानों के बीच पॉपुलर होता जा रहा है।

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नवगछिया के बिहपुर, नारायणपुर और खरीक प्रखंड के कई गांवों में घुसते ही खेतों की मेढ़ पर लगे पॉपुलर के लंबे और सीधे पेड़ झूम-झूम कर स्वागत करते मिल जाएंगे। इसकी लकड़ी से क्रिकेट का बल्ला, विकेट, कैरमबोर्ड, उसकी गोटी, दिया-सलाई, पेपर आदि सामान बनाया जाता है। नवगछिया अनुमंडल की जलवायु भी इसे पौधे के लिए काफी उपयुक्त है।

झंडापुर के युवा किसान सौरभ कुमार ने की थी बागवानी की शुरुआत, हो चुके हैं सम्मानित

इसकी बागवानी की शुरुआत बिहपुर के झंडापुर निवासी युवा किसान सौरभ कुमार ने 2013-14 में की थी। उस समय जब सौरभ ने अपने खेतों की मेड़ पर इसका पौधा लगाया था, तो लोगों ने मजाक उड़ाया था। घर में भी लोगों को समझाना पड़ा था। अब स्थिति ऐसी है कि आसपास के गांवों में भी पॉपुलर के पौधे धड़ल्ले से लगाए जा रहे हैं। सौरव ने मकंदपुर के राकेश कुमार के साथ मिलकर इलाके में किसानों को इसके लिए जागरूक किया। दोनों ने नर्सरी भी खोली, ताकि किसानों को आसानी से पॉपुलर का पौधा मिल सके। कृषि वानिकी योजना को उन्नत तरीके से संचालित करने में सौरभ को बीते वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सम्मानित भी कर चुके है।

एक बीघा खेत की मेढ़ पर लगा सकते हैं 200 पौधे, मिलती है प्रोत्साहन राशि

सौरभ बताते हैं कि हरियाली मिशन के तहत चलने वाली दो योजनाओं में से एक में मोहगनी, सागवान, कहुआ, नीला, एमसोल व पॉपुलर प्रजाति का पौधा भी शामिल है। इसका पौधा पांच-छह साल में ही पेड़ बन जाता है। जबकि अन्य प्रजाति के पौधों को पेड़ बनने में 10-15 वर्ष लग जाते हैं। एक बीघा खेत की मेढ़ पर इसके दो सौ पौधे लग सकते हैं। नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों में 30 हजार से ज्यादा पौधे बीते कुछ वर्षों में लगाए जा चुके हैं। वन विभाग द्वारा भी 30 हजार पौधे लगाए गए हैं। तीन साल तक पौधों को संरक्षित रखने पर विभाग द्वारा 60 रुपये प्रति पौधा की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पेड़ बेच कर अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।


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