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बेटियों का मिला साथ तो पपीता मैन बना पिता

भागलपुर : कोसी के कटाव में सबकुछ गंवाने के बाद भी एक पिता ने कठिन परिस्थितियों के आगे घुटने न टेकते हुए फर्श से अर्श तक का सफर तय किया और खुद की एक पहचान बनाई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 02:18 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 02:18 PM (IST)
बेटियों का मिला साथ तो पपीता मैन बना पिता
बेटियों का मिला साथ तो पपीता मैन बना पिता

भागलपुर (धीरज कुमार): कोसी के कटाव में सबकुछ गंवाने के बाद भी एक पिता ने कठिन परिस्थितियों के आगे घुटने न टेकते हुए फर्श से अर्श तक का सफर तय किया और खुद की एक पहचान बनाई। बेटियां पिता का सहारा बनीं, जिनके सहारे कर्ज की जमीन पर पपीते की खेती शुरू कर पिता ने अपने वजूद को नाम भी दिया। इस पिता को अब लोग पपीता मैन कहकर पुकारते हैं। बिहार और गुजरात सरकार भी इन्हें प्रगतिशील किसान के खिताब से सम्मानित कर चुकी है।

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कोसी में सबकुछ गंवाने के बाद बेटियों के सुझाव पर की पपीते की खेती नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड क्षेत्र के सधुआ गाव निवासी उमेश दास का घर और खेती योग्य जमीन 11 वर्षो पूर्व कोसी नदी में समा गई थी। तब उमेश के सामने अचानक दुखों का पहाड़ टूटा पड़ा था। पत्‍‌नी, एक बेटे और पांच बेटियों के भरण-पोषण और शादियों की बड़ी जिम्मेदारी सामने थी। बेरोजगारी और आर्थिक संकट के दौर से गुजरते पिता ने तब बेटियों के सुझाव पर पपीते की खेती करने की ठानी। 2007 में चापर दियारा में 15 हजार रुपये लीज पर एक एकड़ जमीन ली और पपीते की खेती शुरू की। इसमें बेटियों ने भी भरपूर साथ दिया। नतीजा, मुनाफा हुआ और घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। आर्थिक संकट दूर होने के बाद उमेश ने सबसे पहले एक-एक अपनी पांचों बेटियों की अच्छे घरों में शादी की। बेटा भी अच्छी तालिम हासिल कर शिक्षक बन गया। फिलहाल ढ़ाई एकड़ जमीन पर किसान पपीता उगा रहे हैं।

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एक लाख खर्च कर कमाते हैं पाच लाख

किसान उमेश ने बताया कि पहली बार बाजार से बीज लाकर पपीते की खेती की तो कम मुनाफा हुआ। तब सबौर कृषि विश्वविद्यालय से पपीता का फल मंगवाकर खुद खेत में बीचड़ा तैयार किया। इसके बाद एक एकड़ में 1400 पौधे लगाए। नौ माह में फल टूटने लगता है। अभी ढ़ाई एकड़ जमीन पर पपीता उगा रहे हैं। इसमें एक लाख रुपये का खर्च आता है और कमाई पाच लाख रुपये तक हो जाती है। अभी दूर-दूर के किसान पपीते की खेती सीखने के लिए आते हैं।

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कई जगहों से हो चुके हैं सम्मानित

उमेश के पपीते की खेती की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी हैं। पहली बार 2009 में बिहार दिवस पर पटना बुलाकर किसान उमेश दास को सम्मानित किया गया था। 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेद्र मोदी ने किसान उमेश दास को अहमदाबाद बुलाकर सम्मानित किया था। गुजरात सरकार ने उमेश दास को प्रगतिशील किसान का सम्मान दिया था। साथ ही 51 हजार रुपये का चेक दिया था। वहा पर पूरे देश के 528 किसानों को सम्मानित किया गया था। पटना में कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार पर उमेश को पपीते की खेती पर बोलने का मौका मिला था।


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