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'काला' रंग बरसा रहा धन

काला रंग आम तौर पर भले ही शुभ नहीं माना जाता हो पर किसानों के लिए शुभ हो गया है। दरअसल काले रंग का गेहूं-चावल और काला कड़कनाथ किसानों के घर धनवर्षा कर रहा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 02:18 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 06:18 AM (IST)
'काला' रंग बरसा रहा धन
'काला' रंग बरसा रहा धन

भागलपुर। काला रंग आम तौर पर भले ही शुभ नहीं माना जाता हो, पर किसानों के लिए शुभ हो गया है। दरअसल, काले रंग का गेहूं-चावल और काला कड़कनाथ किसानों के घर धनवर्षा कर रहा।

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इसमें औषधीय गुण भी हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में लगे किसान मेला में सोमवार को यह आकर्षण का केंद्र बना रहा। यहां इंजीनियर आशीष कुमार सिंह ने प्रदर्शनी लगाई है। गया के वेस्ट चर्च रोड स्थित पंचकुटी के निवासी आशीष छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल थे।

किसान परिवार से होने के कारण खेती की ओर आकर्षित हुए। प्रायोगिक तौर पर काले धान की खेती की और अच्छा परिणाम मिला तो नौकरी छोड़ खेती करने लगे। वे औरों को भी काले धान और काले गेहूं की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे बताते हैं, काला धान मधुमेह और मोटापा दूर करने में सहायक है। इसमें प्रोटीन और आयरन की मात्रा सामान्य चावल के मुकाबले काफी अधिक है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करने में भी कारगर है। यह मणिपुर की प्रजाति है। वहां इसे चाक हाओ के नाम से जाना जाता है।

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भागलपुर के लिए भी खेती अनुकूल

बीएयू के कृषि विज्ञानियों की मानें तो काले धान की खेती भागलपुर में भी हो सकती है। बाजार में यह महंगे दर पर मिलता है। इसकी काफी मांग भी है।

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इस कारण है फायदेमंद

कृषि विज्ञानी डॉ. शंभु प्रसाद बताते हैं, इस धान का रंग विशेष प्रकार के तत्व एथोसायनीन के कारण काला है। इसमें एंटीआक्सीडेंट ज्यादा है। विटामिन ई, फाइबर और प्रोटीन की बहुलता है। इसमें हाई ब्लडप्रेशर, हाई कोलेस्ट्राल, आर्थराइटिस, एलर्जी के साथ ही कैंसर जैसे रोगों से लड़ने की शक्ति है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करने के साथ ही रक्त नलिकाओं में आर्थोस्क्लेरोसिस प्लेक बनने की संभावना कम करती है। इससे हार्ट अटैक का डर कम हो जाता है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें पाया जाने वाला विशेष एंटी आक्सीडेंट त्वचा और आखों के लिए फायदेमंद है। फाइवर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है।

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120 दिन में तैयार हो जाती है फसल

काले धान की रोपाई से पहले बीज से पौधा तैयार किया जाता है। 15 दिन बाद उसे खेत में रोपा जाता है। इसकी फसल 120 दिन में तैयार हो जाती है। धान की फलिया जब पकने की स्थिति में होती हैं, तब रंग काला होता है।

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कड़कनाथ का रक्त भी काला

प्रदर्शनी में मुर्गे की की प्रजाति कड़कनाथ के चूजे भी थे। यह पूरी तरह काला होता है, खास बात यह कि इसका रक्त भी काला होता है। बैजानी फुलवरिया की शुचिता शर्मा ने बताया कि यह बहुत महंगा बिकता है। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के अनुसार, इसमें प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक है, जिस वजह से कई रोगों में भी उपयोगी है। छत्तीसगढ़ में इसकी फार्मिग अधिक है।


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