क्लाइमेट स्मार्ट विलेज : किसान, किसानी और प्रकृति को मिल रहा लाभ, जानिए... क्या है यह योजना Bhagalpur News
भागलपुर के कुछ गांवों में क्लाइमेट स्मार्ट विलेज योजना की शुरुआत की गई। इस योजना से किसान किसानी और प्रकृति को काफी लाभ मिला।
भागलपुर [ललन तिवारी]। क्लाइमेट स्मार्ट विलेज परियोजना को भागलपुर कृषि विज्ञान केन्द्र ने धरातल पर उतारा है। इस परियोजना को चार कॉरिडोर में बांटा गया है जिसमें 8 जिलों का चयन किया गया है। योजना के तहत मुख्य पथों के दोनों किनारे के गावों का चयन कर वहां की जलवायु के अनुसार सुसज्जित किसानी का विकास किया जाएगा। जो नई वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित होगा।
परियोजना के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र ने मुख्य सड़क किनारे के 15 गांवों का चयन किया। उन गांव में 789.6 हेक्टेयर जमीन किसानों से लिया। उस जमीन पर रबी फसल (गेहूं, दलहन) नई तकनीक से खेती कराई। नतीजा बेहतर आया। नई तकनीक के पहले जहां गेहूं का उत्पादन 28 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। नई तकनीक से खेती के बाद उत्पादन अब 32 से 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा। दलहन में मसूर की उपज 11 की जगह 16 क्विंटल हुई। फसलों का उत्पादन तो बढ़ा ही प्रति हेक्टेयर 60 लीटर डीजल की बचत हुई। 25 प्रतिशत तक पानी की बचत हुई। यह तकनीक पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी बेहतर साबित हुई। उदाहरण स्वरूप 944.15 किलोग्र्राम कार्बनडाइ आक्साइड का उत्सर्जन भी कम हुआ। 1,757 किसान परिवार को नॉलेज स्मार्ट बनाने का प्रयास किया गया।
क्या है योजना, क्या होगा किसानों को फायदा
क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर के तहत क्लाइमेट स्मार्ट विलेज बनाने की परियोजना से किसान अपनी आय को दो गुणा कर सकेंगे। साथ ही मुख्य पथों के दोनों किनारे के गावों और खेतों में विकसित खेती विदेश के खेती किसानी का एहसास कराएगा।
चार हिस्सों में बिहार को बांटा गया
दरभंगा समस्तीपुर, नालंदा शेखपुरा, पूर्णिया कटिहार सहित भागलपुर और मुगेंर जिला के एनएच 80 के दोनों किनारे के गांवों का चयन किया गया है। भागलपुर अंतर्गत सुल्तानगंज प्रखंड के श्रीरामपुर, अकबरनगर, कमरगंज, मोतीचक, फतेहपुर, तिलकपुर, खेरहिया, वसंतपुर, और कहलगांव प्रखंड के लौगांय, हबीबपुर, देवरी, रामपुर, रमजानीपुर, बभनगामा, कलगीगंज सहित 15 गावों का चयन किया गया है।
क्लाइमेट स्मार्ट विलेज योजना से किसानी एक नए रूप में हो रही है। किसान और प्रकृति दोनों को स्मार्ट बनाया जा रहा है। - डॉ. विनोद कुमार, इंचार्ज, कृषि विज्ञान केंद्र सबौर
नई तकनीक से स्मार्ट किसानी सूबे की खास पहचान बन रही है। वहीं किसान आय और ज्ञान अर्जन कर रहे हैं। गांव का भी विकास हो रहा है। - डॉ. प्रेम कुमार, कृषि मंत्री