श्रावणी मेला : आस्था की डुबकी में चहक उठा स्पैनिश युवती और नेपाल के युवक का प्यार Bhagalpur News
श्रावणी मेला में स्पैनिश बाला अपने पति और दोस्त के साथ सुल्तानगंज पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गंगा स्नान कर देवघर रवाना हुए। जुवां में बोल बम था।
भागलपुर [बॉबी मिश्रा]। सुल्तानगंज की पावन उत्तरवाहिनी गंगा में आस्था की डुबकी लगाते ही स्पैनिश बाला का नेपाल में पनपा प्यार चहक उठा। उनके पति ने जो कुछ बताया था, यहां आने के बाद उसका अनुभव कहीं अधिक था।
नेपाल में परवान चढ़ा प्यार शादी के बंधन में तब्दील हुआ तो पति की बाबा भोले के प्रति असीम भक्ति की कायल स्पेन की मारिया इस साल उनके साथ सुल्तानगंज पहुंच गईं।
यहां का नजारा देखा तो बरबस बोल पड़ीं-वाउ! रियली...ब्यूटी ऑफ सुल्तानगंज...। गजब की खूबसूरती। जैसा सुना था, ठीक वैसा ही। वे भगवा वस्त्र धारण किए हुए कांवरियों की उस कतार को देख रही थीं, जो गंगाजल लेकर देवघर की ओर प्रस्थान कर रहे थे। मारिया चकित थीं। आस्था और भक्ति का यह रूप उन्होंने पहली बार देखा था। वे बार-बार बोल रही थीं, वाकई! बहुत खूबसूरत है यह जगह। वे अजगबीनाथ मंदिर को निहारे जा रही थीं। बाबा भोलेनाथ और उनके प्रति करोड़ों लोगों की इस आस्था से उनके पति ने उन्हें परिचित कराया था।
मारिया ने बताया कि पिछले साल अपने ही देश की एक दोस्त मैरीबैल के साथ नेपाल भ्रमण पर गई थीं, जहां ध्रुव कुमार विजय से प्यार हो गया। ध्रुव दिव्यांग है। लेकिन प्यार तो प्यार होता है। मारिया ने दिव्यांग ध्रुव से वहीं शादी कर लीं
इसके बाद ध्रुव ने मारिया को सुल्तानगंज से देवघर तक की कांवर यात्रा के बारे में बताया था। ध्रुव पिछले 13 वर्षों से कांवर लेकर जा रहे हैं। मारिया ने भी इच्छा जाहिर की और इस बार सावन में यहां आ गईं। मारिया के साथ उनके पति ध्रुव और उनकी दोस्त मैरीबैल भी सुल्तानगंज पहुंचे। मारिया ने कहा कि स्पेन में भी लोगों की धर्म-अध्यात्म में काफी दिलचस्पी है। वहां लोग प्रभु यीशु की आराधना करते हैं। लेकिन भारत में सैकड़ों देवी-देवता पूजे जाते हैं। यहां के सर्वधर्म समभाव ने भी उन्हें काफी प्रभावित किया है। उन्होंने वेबसाइट पर जाकर श्रावणी मेले की जानकारी ली। यह पहला मौका है, जब वे भारत आई हैं। वे भारत की सभ्यता-संस्कृति के बारे में जानने को लालायित थीं। वेबसाइट के माध्यम से भारत के बारे में जानकारी लेती रहती थीं। उन्होंने गंगा की अविरलता, अजगबीनाथ मंदिर, कांवरिया पथ आदि का भ्रमण किया और यहां की खूबसूरत यादों को जेहन में बसाकर देवघर की ओर पैदल बढ़ गईं। लेकिन उनके साथ वाहन भी है।
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