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हर साल की त्रासदी हो चुकी है स्वीकार्य, बाढ़ की पीड़ा में ‘मेले’ की मुस्कान Bhagalpur News

भागलपुर इन दिनों बाढ़ की चपेट में है। साथ ही दुर्गा पूजा शुरू है। लोग बाढ़ त्रासदी को प्रत्‍येक वर्ष झेलते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 09:19 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 09:19 AM (IST)
हर साल की त्रासदी हो चुकी है स्वीकार्य, बाढ़ की पीड़ा में ‘मेले’ की मुस्कान Bhagalpur News
हर साल की त्रासदी हो चुकी है स्वीकार्य, बाढ़ की पीड़ा में ‘मेले’ की मुस्कान Bhagalpur News

भागलपुर [शंकर दयाल मिश्र]। बाढ़ की पीड़ा के बीच जिद्दोजहद करती जिंदगी मुस्कान के दो पल भी इसी में ढूंढ रही। एक आइसक्रीम के ठेले से हांक लगा रहा दुकानदार-बाढ़ पीड़ित मेला..बाढ़ पीड़ित मेला..आइसक्रीम।

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सबौर से आगे कहलगांव की ओर कुछ सौ मीटर दूरी पर एनएच पर घुटना तक पानी बह रहा है। लोग नाव का इंतजार करते हुए। यहीं कई लोग सेल्फी भी ले रहे कि फिर वही हांक-बाढ़ पीड़ित मेला.. बाढ़ पीड़ित मेला..!

यह आइसक्रीम के ठेले के साथ खड़े शंकर की यह आवाज थी। वह सबौर के ही ऊंचे इलाकों में एक भिट्ठी का रहने वाला है। उसने बताया कि आइसक्रीम बेचने निकला था, बाढ़ देखने की इच्छा हो गई तो यहां चला आया। दो घंटे में करीब आठ सौ रुपये का आइसक्रीम बेच चुका हूं।

इंजीनियरिंग कॉलेज और पास के नवटोलिया चौका में कमर भर तक पानी प्रवेश कर चुका है। लिहाजा बाढ़ पीड़ित यहां सड़क के किनारे प्लास्टिक का तंबू टांगकर शरण ले चुके हैं।

कई दिनों के बाद मौसम साफ हुआ तो कई लोग बाइक और कार से सबौर की ओर बढ़ते भी नजर आ रहे थे। वैसे इन्हें पानी की ओर से जाने से रोकने के लिए प्रशासन ने सबौर दुर्गामंदिर के आगे बैरिकेडिंग की है, पर यह सिर्फ नाम के लिए है। कई लोग सड़क पर पानी में चलते हुए कुछ सौ मीटर दूर घोषपुर पुल तक जा रहे थे। वहां बाढ़ के पानी ने रास्ता पूरी तरह से काट रखा है।

शंकर के बाढ़ पीड़ित मेला.. आइसक्रीम.. की आवाज लगाने पर नाव के इंतजार में बैठी बाढ़ पीड़ित रमावती देवी (घोषपुर), मंदोदरी देवी (फरका), प्रीति कुमारी (फरका) और यहां घूमने आई प्रेमनगर सबौर की उमा देवी, फतेहपुर के मासूम रजा बरबस मुस्कुरा उठते हैं। मासूम कहते हैं कि यह अच्छी बात नहीं है, हम उनकी पीड़ा को समझने की जगह बाढ़ का आनंद लेने यहां आ जाते हैं, पर यह शायद हमारा स्वभाव है। हालांकि वहीं बैठे पीड़ितों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा कि कौन क्या कर रहा है। बाढ़ आती रहेगी यह उन्होंने स्वीकार कर रखा है। पंकज मंडल, कमलेश्वरी पासवान आदि प्रभावितों ने बताया कि घर में कमर से ऊपर पानी है। लोगों ने छतों पर शरण ले रखी है। जिनके पास गाय-माल है वे राहत शिविरों में आए हैं, बाकी अपने-अपने घरों में ही हैं।


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