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सृजन घोटाला : मनी सूट के पूर्व सूद सहित खातावार होगा आकलन Bhagalpur News

खातावार का आकलन के लिए डीडीसी सुनील कुमार ने चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। इसके पूर्व छह सदस्यीय टीम ने मामले की जांच की थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 09:38 AM (IST)
सृजन घोटाला : मनी सूट के पूर्व सूद सहित खातावार होगा आकलन Bhagalpur News
सृजन घोटाला : मनी सूट के पूर्व सूद सहित खातावार होगा आकलन Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। जिला परिषद से जुड़े सृजन घोटाला मामले में मनी सूट के पूर्व सूद सहित घोटाले की राशि का आकलन होगा। डीडीसी व जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सुनील कुमार ने इसके लिए चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम में वरीय लेखा पदाधिकारी, लेखा पदाधिकारी, जिला वित्त प्रबंधक और अंकेक्षक सहायक को रखा गया है। टीम को सृजन में गई राशि का सूद की राशि के साथ बैंक व खातावार आकलन करने को कहा गया है।

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इसके पूर्व छह सदस्यीय टीम ने मामले की जांच की थी। जांच रिपोर्ट में घोटाले के लिए इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। जिला परिषद की एक अरब 19 करोड़ 34 लाख 63 हजार 337 रुपये सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में गया है।

2006 से 2009 के बीच डायवर्ट हुई जिला परिषद की राशि

12 दिसंबर 2006 से 22 अक्टूबर 2009 लक्ष्मी प्रसाद चौहान जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) थे। इनके कार्यकाल में दो करोड़ से अधिक राशि डायवर्ट हुए। 22 अक्टूबर 2009 से 28 दिसंबर 2012 तक गजानंद मिश्र सीईओ थे। 19 करोड़ 42 लाख चार हजार 150 रुपये बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में भेजा गया। 29 दिसंबर 12 से 17 अप्रैल 13 तक प्रभात कुमार सिन्हा सीईओ थे। इनके कार्यकाल में 22 करोड़ 31 लाख 89 हजार 751 रुपये सृजन के खाते में डायवर्ट हुए। 22 अप्रैल 13 से 12 दिसंबर 14 तक राजीव प्रसाद सिंह रंजन थे। इनके कार्यकाल में 23 करोड़ 76 लाख आठ हजार 809 रुपये सृजन के खाते में गए। 13 दिसंबर 14 से तीन अगस्त 15 तक चंद्रशेखर सिंह सीईओ थे। इनके कार्यकाल में 46 करोड़ 48 लाख 93 हजार 559 रुपये जमा हुए। 18 अगस्त 15 से 23 अगस्त 17 तक अमित कुमार सीईओ थे। इनके कार्यकाल में पांच करोड़ 35 लाख 67 हजार रुपये बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में जमा हुए। इन अधिकारियों के चेक के पीछे फर्जी हस्ताक्षर कर राशि को सृजन के खाते में भेजने की बात कही गई है। जांच में बैंक को दोषी ठहराया गया है। कहा गया है कि कैश बुक का संधारण ठीक ढंग से नहीं हो रहा था। चेक सीईओ का मिलता-जुलता हस्ताक्षर है, लेकिन हस्ताक्षर फर्जी है।

जिप की राशि पांच चेक के माध्यम से भेजी गई थी

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच चेक के माध्यम से राशि जिला परिषद से बैंक ऑफ बड़ौदा भेजा गया था। प्रत्येक चेक से दो-दो करोड़ भेजे गए थे। शेष राशि डायवर्ट कर सृजन में भेजा गया था। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा एक चेक जांच टीम को उपलब्ध कराया गया है। जिला परिषद के चेक पर उप विकास आयुक्त के कार्यालय की मुहर है। जिला परिषद की जगह उप विकास आयुक्त की मुहर रहने के बावजूद बैंक ने चेक को जमा कर राशि सृजन के खाते में भेज दिया। उस समय जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी लक्ष्मी प्रसाद चौहान थे।


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