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Coronavirus Effect: आंगनबाड़ी सेविका ने पोषण का रखा ध्यान, घर-घर जाकर निभाई जिम्मेदारी

corona effect सामाजिक दूरी बनाकर गोदभराई अन्नप्राशन व टीकाकरण कार्य किया गया। पोषण जागरूकता को नियमित रखने का कर रही प्रयास। कुपोषण से बचने के लिए पौष्टिक आहार जरूरी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 05:45 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 05:45 PM (IST)
Coronavirus Effect: आंगनबाड़ी सेविका ने पोषण का रखा ध्यान, घर-घर जाकर निभाई जिम्मेदारी
Coronavirus Effect: आंगनबाड़ी सेविका ने पोषण का रखा ध्यान, घर-घर जाकर निभाई जिम्मेदारी

पूर्णिया, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौरान देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां की रफ्तार रुक सी गई थी. लेकिन आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा अपने पोषक क्षेत्रों में डोर टू डोर भ्रमण कर कोविड-19 का सर्वे के साथ क्षेत्र में नियमित पोषण को लेकर भी कार्य सुचारू रखा गया। पूर्णिया शहरी क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-28 की सेविका कविता कुमारी भी उन्हीं सेविकाओं में शामिल है, जिन्होंने पोषण गतिविधियों को बाधित होने से बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दी है।

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पोषण एवं प्रसव पूर्व सावधानी पर रखी नजर

कोरोना काल में लोगों का ध्यान पोषण से हटकर संक्रमण रोकथाम की तरफ अधिक हुआ. लेकिन कोरोना काल में भी इस बात की पुष्टि हुयी कि बेहतर पोषण संक्रमण से बचाव में असरदार साबित हो सकता है। इस दिशा में सेविका कविता का भी प्रयास सराहनीय रहा। वह कोरोना को लेकर भी क्षेत्र के लोगों को जागरूक करती रहती है। उन्होंने बताया अगर गर्भवती महिलाएं गर्भ के समय अपना खयाल अच्छे से रखेंगी तो होने वाले बच्चों में कुपोषण की सम्भावना खत्म हो जाएगी और नवजात शिशु बिल्कुल स्वास्थ्य होगा। इसलिए कुपोषण से दूरी के लिए सबसे पहले महिलाओं को जागरूक होना ज्यादा जरुरी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके पोषक क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं की संख्या-08 व धात्री महिलाओं की संख्या-12 हैं, जिनके घर का वह नियमित दौरा कर शिशु पोषण के साथ गर्भवती एवं धात्री महिला के भी पोषण का ख्याल रख रही है।

सामाजिक दूरी बनाकर गोदभराई, अन्नप्राशन व टीकाकरण किया गया कार्य

कोविड-19 काल के दौरान केंद्र बंद होने के कारण सेविका कविता कुमारी ने अपने पोषक क्षेत्रों में घर-घर जाकर गोदभराई और अन्नप्राशन का कार्य कराया। इस दौरान सेविका द्वारा पूरी तरह से मास्क पहनकर व सामाजिक दूरी बनाकर सभी कार्य किया गया। उन्होंने बताया कोरोना संक्रमण के कारण लोगों के मन में टीकाकरण को लेकर भी संशय की स्थिति उत्पन्न हुयी थी। ऐसे दौर में उन्होंने लोगों को जागरूक किया एवं अपने पोषक क्षेत्र के लगभग 50 बच्चों को जेई का टीकाकरण लगवाने में मदद भी की।

सही पोषण के रूप में माँ का दूध व सन्तुलित आहार जरूरी

कविता ने बताया कुपोषण के कारण ही बच्चों के बौनापन में भी वृद्धि हो रही है. कुपोषित बच्चों का  स्कूल, कॉलेज में प्रदर्शन बढ़िया नही रहने के कारण वह जिंदगी की रेस में पीछे रह जाते हैं. इसे दूर करने के लिए शिशुओं को छह माह तक मां का दूध ही दें. उसके बाद बच्चे को संतुलित ऊपरी आहार दें. इसके साथ ही नियमित टीकाकरण कराएं, आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का नियमित वजन करवाएं तथा खून की कमी होने पर पौष्टिक आहार जैसे सोयाबीन, केला एवं दूध आदि का आहार दें।

कुपोषण से बचने के लिए पौष्टिक आहार जरूरी:

पूर्णियां सदर सीडीपीओ राजेश रंजन ने कहा कि कुपोषण से बचने के लिए किसी भी व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा होनी चाहिए। भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज सहित पर्याप्त पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिये। आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वादिष्ट व पौष्टिक पोषाहार का नियमित वितरण कराया जाता है, जो अतिकुपोषित बच्चों के लिए जरुरी है. वर्तमान में पोषाहार राशि लाभुकों के बैंक खाते में सरकार द्वारा भेजी जा रही है, जिससे कि लोगों के बीच कोरोना संक्रमण से बचाव रखा जा सके। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं को भी पौष्टिक आहार दिया जा रहा है, ताकि गर्भ में पलने वाला बच्चा कुपोषण का शिकार न हो सके।


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