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कहां गुम हो गई चंपा : बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि और आम लोगों की राय, बोले-करें इस तरह उपाय; तो संवर जाएगी चंपा

चंपा नदी को सबसे पहले गंदगी से मुक्त कराना होगा। कूड़ा गिराने से रोकेंगे साथ ही लोगों को जागरूक करेंगे। इसके बाद ही स्वच्छ जलधारा की कल्पना की जा सकती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 09:57 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 09:57 AM (IST)
कहां गुम हो गई चंपा : बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि और आम लोगों की राय, बोले-करें इस तरह उपाय; तो संवर जाएगी चंपा
कहां गुम हो गई चंपा : बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि और आम लोगों की राय, बोले-करें इस तरह उपाय; तो संवर जाएगी चंपा

भागलपुर, जेएनएन। चंपा या अन्य नदियों की व्यथा मानवीय हवस और संवेदनहीनता की क्रूर कथा है। नदियों समेत अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर मौजूदा खतरा शहरीकरण की उपज है। भूमंडलीकरण के बाद जैसे-जैसे शहरीकरण की रफ्तार तेज हुई, ईंट, बालू और गिट्टी की मांग भी आसमान छूने लगी। पक्के मकान बनने थे तो सारी चीजें जरूरी थीं। जमीन से मिट्टी, नदी से बालू और पहाड़ से गिट्टी निकालने के लिए इन तीनों संसाधनों का अंधाधुंध दोहन शुरू हो गया।

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चंपा नदी की धारा बेरमा गांव के पास चानन नदी से फूटती है, लेकिन 20 वर्षों से इसमें पानी नहीं जा रहा है। चानन से बेरोकटोक बालू उठाव होने से नदी की पेटी गहरी हो गई है। इसमें दो से तीन-फीट तक पानी बहाव के बाद भी चंपा की धारा सूखी है। -राकेश सिंह, कुसुमखर

चंपा नदी की धारा बंद होने से अमरपुर बेरमा से लेकर बरारी तक 28 किलोमीटर की दूरी तक हजारों एकड़ कृषि प्रभावित हुई है। सिंचाई नहीं होने से किसानों की कमर टूट गई है। इस नदी की धारा को फिर से पुनर्जीवित किए जाने की जरूरत है। - शंकर सिंह, कुसुमखर

नदी सूख जाने से खेती किसानी की बात तो दूर रही, क्षेत्र में लोग पेयजल संकट से भी जूझ रहे हैं। सिंचाई के लिए गाड़ी गई बोरिंग ने भी पानी देना बंद कर दिया है। 1995 तक नदी में धारा बहती थी तो इलाके के लोग खुशहाल थे। -बबलू सिंह, कुसुमखर

दराधी पुल के पास 20 फीट तक नदी से बालू का उत्खनन हुआ। नदी में जगह-जगह टिला बन चुका है। अब बरसात के दिनों में ही इस नदी में पानी बहाव देखने को मिलता है। बालू माफिया के कारण यह नदी मृत हो गई है। -नकुल दास, दराधी

चानन और चंपा के पानी से कतरनी धान की यहां व्यापक खेती होती थी। कतरनी भागलपुर की पहचान है, लेकिन नदी की धारा मर जाने से अब इस क्षेत्र के किसान धान के बजाय दलहन और सब्जी की खेती करने लगे हैं। -शंभू कुमार, दराधी

समय रहते चानन की धारा से चंपा को जीवित नहीं करने की जरूरत है। सरकार अभी जल जीवन हरियाली योजना चला रही है। इस दिशा में हमलोग सरकार का ध्यान आकृष्ट करेंगे। इसमें अन्य लोगों को भी आगे आने की जरूरत है। -विनोद मंडल, कजरैली

चंपा के विलुप्त होने से इलाके के लोगों की खुशहाली छिन गई है। पहले यहां के लोग खेतीबारी और पशुपालन से अपना जीवकोपार्जन कर लिया करते थे। चंपा की धारा मर जाने के बाद लोग जीवकोपार्जन के लिए शहर की ओर पलायन कर चुके हैं। -पांचु पासवान, कजरैली

10 साल से पहले खेतों में नदी के पानी से सिंचाई किया करते थे। अब कम बारिश होने से नदी में जलाशय का पानी नहीं आ रहा है। चंपा नदी सुख जाने से गांव में भी जलापूर्ति संकट गहराने लगा है। - पुतुल देवी, वासुदेवपुर

चंपा नदी के सूखने से खेती चौपट हो गई है। बाल-बच्चों की पढ़ाई और जीविका चलाना भी मुश्किल हो गया है। गांव के युवा पढ़ाई छोड़ रोजी-रोटी के लिए दिल्ली मुंबई चले गए हैं। महिलाएं पशुपालनकर किसी तरह घर चला रही हैं। -इंदिरा देवी, वासुदेवपुर

पहले खेतों को चंपा नदी का पानी मिलता था। गांव में पेयजल संकट भी नहीं था, लेकिन बीते 10 वर्षों से यह स्थिति गंभीर हो गई है। जब से नदी सूखी है क्षेत्र के लोगों के चेहरे भी सुख गए हैं। इस समस्या पर सरकार भी गंभीर नहीं है। अब हमलोगों को इसके लिए आंदोलन करना पड़ेगा। - पुटो देवी, बेरमा

सुलतानगंज मोतीचक से गंगा की धारा त्रिमुहान घाट पर तीन दशक पहले मिलती थी। इससे खगडिय़ा समेत शहजादपुर पंचायत के किसान नाव से अनाज बेचने चंपा पुल घाट पर आया करते थे। नदी में पानी नहीं रहने से नाविकों का रोजगार ठप हो गया। - सिकंदपुर मंडल, शहजादपुर

शासन प्रशासन की लापरवाही से चंपा की यह दुर्दशा है। बेतरतीब उत्खनन की वजह से नदी का स्रोत बंद हुआ है। इससे गांव से लेकर शहर में जलापूर्ति संकट गहराने लगा है। समय रहते नदी का जीर्णोद्धार करना होगा। - सारजाहनंद मिश्र, नाथनगर

नदी में पानी नहीं रहने से मछली पालकों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। 1995 के पहले नदी में मछली पालन कर दर्जनों लोगों की जीविका चलती थी। खेतों में सिंचाई की समस्या नहीं थी। - देवी मंडल, पुरानी सराय

पुरानी सराय से महादेवपुर और नारायणपुर के लिए नाव 1980 तक चलती थी। नदी में 10 फीट से अधिक पानी हुआ करता था। अब धारा बंद होने से लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। नदी सिमट गई। - जगदीश मंडल, पुरानी सराय

चंपा नदी साहेबगंज की ओर से गुजरती है। नाले का पानी गिरने से नदी प्रदूषित हो गई है। दो दशक पहले साफ पानी बहता था, लेकिन अब काला पानी। खेतों में फसलों की सिंचाई करने लायक भी पानी नहीं बचा है। - अर्जुन प्रसाद, साहेबगंज

नदी में एक बांस गहरी पानी होता था। 35 वर्ष पहले चंपा नदी में कोहवारा गंगा धार का प्रवाह बंद होने से प्रभाव पड़ा है। साहेबगंज की ओर से दियारा जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था। - सुमर प्रसाद यादव, साहेबंगज

नदी का जलस्रोत नाले के पानी में घुलमिल गया है। इससे भूगर्भ के जल पर असर पड़ा है। चापाकल का पानी भी बदबू करने लगा है। लोगों को स्वच्छ पानी भी नहीं मिल पाता है। -जुगल महतो, दिलदारपुर

सालों भर अनवरत बहने वाली नदी अब बरसाती बनकर रह गई है। इस स्रोत को नए सिरे से लौटाना होगा। जनहित में सरकार को प्रयास करना चाहिए। - सरयू रजक, दिलदारपुर

चंपा नदी को सबसे पहले गंदगी से मुक्त कराना होगा। कूड़ा गिराने से रोकेंगे, साथ ही लोगों को जागरूक करेंगे। इसके बाद ही स्वच्छ जलधारा की कल्पना की जा सकती है। - सुनील कुमार

चंपा नदी से हमारी सभ्यता जुड़ी हुई है। इसके अस्तित्व को मिटने नहीं देंगे। समय-समय पर बैठकों में नदी के स्रोत को खोलने और अविरल धारा को लेकर आवाज बुलंद किया जाता रहा है। इसके उत्थान को लेकर समिति तत्पर रहेगी। -पप्पु यादव, अध्यक्ष, सार्वजनिक पूजा समारोह समिति

जिस नदी ने हमें जीवन दिया और आज उसकी दुर्दशा पर लोग मौन धारण किए हुए हैं। चंपा की जल धारा प्रभावित होने का असर भूगर्भ के जल पर पड़ा है। समय रहते इसे नहीं बचाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब हम बूंद-बूंद को तरसेंगे। -आचार्य जैनेंद्र मिश्र

 दैनिक जागरण ने अभियान चलाकर ना सिर्फ लोगों को जागरूक किया है, बल्कि नई पीढ़ी को नदी का महत्व भी बताया है। चंपा नदी हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। नदी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन चलाया जाएगा।  - अशोक कुमार राय

नदी को नाले में तब्दील करने में नगर निगम की बड़ी भूमिका है। नदी का तट कूड़े की भेंट चढ़ गया है। जो बचा बालू माफिया ने पूरा कर दिया। चंपा की आजादी के लिए बड़े स्तर पर अभियान लाने की आवश्यकता है। -रघुनंदन यादव

इस अभियान से नदी को लेकर लोगों की मानसिकता बदली है। इस मुहिम में हम अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है। जहां भी जरुरत होगी बढ़चढ़ कर नदी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगे।  - पप्पू यादव, समाजसेवी

चंपा को उद्गम स्थल से वापस लाना के लिए शासन-प्रशासन दोनों को जगाने की जरूरत है। नदी से नाला बनाने वाले सिस्टम से अब सवाल भी पूछा जाएगा। इसमें अविरल धारा प्रवाहित होने तक आंदोलन चलाया जाएगा।- देवाशीष बनर्जी

चंपा नदी भागलपुर की पहचान है। इसे किसी भी सूरत में धूमिल नहीं होने दिया जाएगा। दैनिक जागरण का यह कदम पूरी तरह सराहनीय है। पूरी तन्मन्यता से जुटने की जरूरत है।  - पंकज मालवीय, संयोजक जन जल, बिहार

चंपा को फिर से जीवित करने का बीड़ा दैनिक जागरण ने उठाया है। यह काफी सराहनीय कदम है। लोगों को इस अभियान का खुलकर समर्थन करना चाहिए। -शिवशंकर सिन्हा

दादा से सुनी थी चंपा नदी की कहानी। इसके पानी से आसपास के इलाकों के लोग खेती करते थे। चंपा में पानी सालों भर रहता था। अब यह सूख गया है। -वशारुल हक

-मानसून के आगमन से दिल दहल उठता था। हर वर्ष यही नजारा रहता था। चंपा में पानी रहता था। अब चंपा नदी को नजर लग गई। सरकार इस नदी को फिर से पुर्नजीवित करे। -डॉ. दीपक कुमार यादव

1983 तक नदी में पानी की कमी नहीं थी, इसकी धारा गंगा में मिलती थी। सबसे पहले बालू के उत्खनन पर रोक लगा देनी चाहिए। इसके बाद चानन व गंगा के मुहाने पर ड्रेजिंग कर नदी को जोड़ा जाए। - रामशरण, समाजसेवी

चंपा को पुनर्जीवित करने के लिए जिला परिषद में प्रस्ताव पारित किया गया। नदी के मुख्य स्रोत को देख मन दुखी होता है। चंपा के गौरव को वापस लाने के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। डॉ. अशोक कुमार आलोक, जिला परिषद सदस्य

चंपा नदी के उत्थान के लिए सामाजिक स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी। इसमें सामाजिक संगठन व समाजसेवी को शामिल किया जाएगा। इस मंच के माध्यम से अभियान जारी रखा जाएगा। - देवाशीष बनर्जी, पूर्व पार्षद

चंपा को नाले से मुक्ति दिलाने के बाद ही अविरल धारा की कामना की जा सकती है। नदी में जमी गाद को निकालना होगा ताकि जलस्तर बना रहे। इससे जलस्रोत का द्वार भी खुल जाएगा। - अशोक कुमार राय, समाजसेवी

पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं, लेकिन जो जलस्रोत है वो समाप्त होते जा रहे हैं। प्राकृति ने हमें नदी दिया, लेकिन हम लोग इसको भी संभाल कर नहीं रख सके। - तरुण किरण, शिक्षक

नदी में शहर के नालों को गिरने से रोकना होगा। गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर सिंचाई कार्य में उपयोग किया जाए। इसकी जलधारा लौटने से पांच हजार किसानों को लाभ मिलेगा। - वशारूल हक, मुखिया

सभी को चंपा नदी कहने की आदत डालनी होगी। नदी से लोगों की संवेदनाएं जुड़ी हैं। नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए लोग आगे आने लगे हैं। - तारकेश्वर झा, समाजसेवी

नदी को नाला क्यों कहा गया, इसके लिए हमलोग जिम्मेदार हैं। माई को दाई नहीं बनने दें। इस मुहिम में लोगों को आगे आना होगा। ठोस कार्ययोजना बनाना होगा। - पंकज मालवीय, जलजन जोड़ों अभियान के संयोजक

दैनिक जागरण ने अभियान के माध्यम से हमें चंपा नदी की वास्तविक जानकारी दी है। अपने संस्कृति को यूं ही नहीं खोने देंगे। जन आवाज बनें, इसके लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाया जाएगा। लोगों को जोड़ा जाएगा।- सुनील कुमार

शाहकुंड प्रखंड क्षेत्र से निकले वाली चंपा नदी के पानी को लेकर किसानों के बीच संघर्ष हो रहा है। पानी के लिए किसानों को श्रमदान कर बांध बनाना पड़ता है। डीडीसी को बालू उत्खनन रोकने और चेक डैम बनाने की मांग की गई थी। - नंदलाल कुमार, मुखिया

जागरण ने जगाया। अब लोगों को आगे आने की जरुरत है। नदी के प्रति जब तक संवेदना और वेदना नहीं होगी तब तक हम लोगों को अपने मकसद में सफलता नहीं मिल सकती है। - शंभू राय, जिला संख्यिकी अधिकारी

दैनिक जागरण के सराहनीय प्रयास से चंपा नदी के प्रति लोग जागरूक हुए हैं। नदी का स्वरूप मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है। इसके लिए राज्य स्तर पर भी पहल किए जाने की जरूरत है। - डॉ. केडी प्रभात, समाजसेवी

चंपा में स्नान करने के लिए भीड़ लगा रहती थी। पिता जी से इस नदी के बारे में सुनता था। इसके पानी से मंदिर में पूजा होती थी। अब सब समाप्त हो गया। -भवेश यादव

विलुप्तप्राय चंपा को खोजने का प्रयास किया जा रहा है। दैनिक जागरण सामाजिक दायित्व बखूबी से निर्वहन कर रहा है। इसे फिर से जीवित करने के लिए हर प्रयास किया जाएगा। -डॉ. अशोक कुमार आलोक, जिप सदस्य।

चंपा नदी को सरकारी दस्तावेज में नाला बना दिया गया है। इस नदी के पानी से कई गांवों के लोग खेतों की सिंचाई करते थे। कतरनी की पैदावार इसी नदी के पानी से होता था। -रंजीत यादव

चंपा नदी को फिर से जीवित करने के लिए ग्रामीण और युवा वर्ग को खुलकर सामने आना होगा। दैनिक जागरण के इस अभियान में कंधे से कंधे मिलाकर चलने की जरूरत है।  -रघुनंदन यादव

चंपा नदी को सबसे पहले गंदगी से मुक्त कराना होगा। इसमें कूड़ा गिराने से अब हमलोग रोकेंगे। लोगों को जागरूक करेंगे। इसके बाद ही स्वच्छ जलधारा की कल्पना की जा सकती है।  -राबिया खातुन, छात्रा

चंपा नदी है, नाला नहीं। पहले यह कहने की आदत डालनी होगी। इसकी शुरुआत पहले अपने घर से करेंगे। परिजनों को नदी के इतिहास की जानकारी भी देंगे।  -सादिमा परवीन, छात्रा

विलुप्त होती नदी को देख लगता है कि हमने अपने बड़े जलस्रोत को खो दिया है। नतीजा जलसंकट जैसी समस्या उत्पन्न हो गई। नदी को बचाने के लिए सरकार कदम उठाए। -रीतिका कुमारी, छात्रा

दैनिक जागरण ने अभियान के माध्यम से हमें चंपा नदी की विस्तृत जानकारी दी है। अपनी संस्कृति को यूं ही नहीं खोने देंगे। बड़ों का साथ लेकर इसे प्रदूषित करने वालों को रोकेंगे। - ऋषिका कुमारी, छात्रा

नदी की दुर्दशा को देख व्यवस्था पर गुस्सा भी आ रहा है। नाले के पानी का निकास सीधा नदी में है। इस पर रोक लगाई जाए। इसके लिए सामाजिक चेतना जगाकर रहेंगे। - जेबा, छात्रा

चंपा में गंदगी देख आहत हैं। इसकी सफाई के साथ जलस्रोत को खोलने की पहल हो तो नदी को नया जीवन मिल जाएगा। सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए।  -तस्कीन, छात्रा

पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। लेकिन जो जलस्रोत है, वह भी समाप्त होते जा रहे हैं। प्रकृति ने हमें नदी का वरदान दिया, पर इसको भी संभाल कर नहीं रख सके। -यासमीन, छात्रा

घर में बुजुर्गो से चंपा नदी के बारे में काफी सुना था। लेकिन, जो भी सुना वह नदी तो बची ही नहीं है। इसके संरक्षण को लेकर आस-पड़ोस को जागरुक करेंगे। रैली में शामिल होकर गर्व महसूस कर रहे हैं। -खुशी परवीन, छात्रा

चंपा नदी को बचाने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरुरत है। पहले तो नदी में थोड़ा पानी भी रहता था। लेकिन अब तो गंदे पानी की बदबू से खड़ा रहना भी मुश्किल है।  -वुशरा, छात्रा

नेता, अधिकारी व शिक्षाविदों को अब अपनी चुप्पी तोड़ लेनी चाहिए। इन्हें बच्चों के भविष्य की चिंता करनी होगी। नदी संरक्षण को लेकर अब आवाज बुलंद करने का समय आ गया है।  -रोमा कुमारी, छात्रा

जिसके लिए चंपानगर और नाथनगर जाना जाता है उस चंपा नदी की अस्मिता खतरे में हैं। इसमें नालों का पानी गिर रहा है। नदी की अविरल धारा को लौटने के लिए उद्गम स्थल से खोदाई हो। स्कूल में समय-समय पर चंपा नदी से जुड़ी जानकारी पर वाद-विवाद व पेंटिंग प्रतियोगिता भी कराएंगे।  - आभा कुमारी, प्रधानाचार्य, इंटरस्तरीय बालिका विद्यालय

बच्चों की रैली के बाद लोगों में चंपा नदी को लेकर एक विश्वास पैदा हो गया है। चंपा के उद्धार के लिए हमलोग साथ हैं।  -आलोक पाठक

ऐतिहासिक नदी के दिन बहुरने वाले हैं। जागरण ने जागरुकता की अलख जगा दी है, हम इसे एक मिशन के रूप में लेंगे। समाज का भरपूर साथ इस अभियान में रहेगा। - देवाशीष बनर्जी

समाज का हर वर्ग चंपा नदी को बचाने में जागरण के साथ है। चंपा से ही भागलपुर की पहचान है। चंपा की धारा फिर से अविरल होगी। -पप्पू यादव

दैनिक जागरण ने सराहनीय कदम उठाया है। उसकी तारीफ शब्दों से नहीं कर सकता। चंपा नदी फिर से पुनर्जीवित हो, यही लोगों की मांग है। -प्रमोद यादव, मुखिया, नतीपुर बेरिया

जागरण संगिनी क्लब की ओर से महिलाओं को चंपा नदी को लेकर जागरूक किया जाएगा। इसके लिए कई कार्यक्रम भी किए जाएंगे। -श्वेता सुमन

चंपा नदी का पुराना दिन फिर से वापस लाना होगा। इसके लिए संगिनी क्लब महिलाओं के बीच जाएगा और इस अभियान से जोड़ेगा।  -अनुराधा खेतान, सचिव संगिनी क्लब।

दैनिक जागरण का यह अभियान रंग लाएगा। चंपा नदी फिर से अविरल होगी। लोगों को इसके लिए आगे आना होगा। इसके तहत कई कार्यक्रम किए जाएंगे। -वर्षा ऋतु, संगिनी क्लब।

चंपा नदी को सरकारी दस्तावेज में नाला बना दिया गया है। नदी के खोए अस्तित्व को पुनर्जीवित के लिए समाज के सभी वर्ग एक साथ हैं। -तारकेश्वर झा।

दैनिक जागरण के साथ पूरा नाथनगर है। लोग इस अभियान को फलक तक ले जाने में कंधे से कंधे मिलाकर चल रहे हैं। -डॉ. अशोक कुमार आलोक, जिप सदस्य

दैनिक जागरण के इस अभियान में पूरी तन्मन्यता से जुटने की जरूरत है, ताकि चंपा नदी फिर से पुनर्जीवित हो सके। रैली के माध्यम से लोग जागरूक हुए। -शंभू चौधरी।

डैम बन जाए तो नहीं सूखेगी चंपा : चंपा नदी मरी नहीं है। बेतरतीब खुदाई ने उसे मृत जैसा कर दिया है। नदी को फिर से प्रतिष्ठित किया जा सकता है। पहले बढिय़ा से सर्वे किया जाए। ताकि पता चले नदी के पानी को कैसे दूसरी नदी में मिलाया जाए। नदी हमेशा अपने रास्ते को बदलती रहती है लेकिन उसकी धाराएं जिंदा रहती हैं। चंपा के साथ भी कुछ ऐसा ही है। इस नदी की धारा को बदलना नहीं है बल्कि बंद धारा को फिर से चालू किया जाना है। नदी में डैम का निर्माण कर लिया जाए तो वर्ष भर पानी नदी में रखा जा सकता है। - अरुण कुमार, वरीय अभियंता

नदी का स्रोत समाप्त होने से किसानों की सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त हुई। अब भूगर्भ का जलस्तर गिरने से गांव में जलसंकट की समस्या है। चंपा नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए रत्तीपुर बैरिया पंचायत के ग्रामीण एकजुट हैं। दैनिक जागरण मुहिम चलाकर लोगों को जागरूक किया है। इसे अब अभियान बनाकर मुकाम तक ले जाएंगे। -प्रमोद यादव, मुखिया, रत्तीपुर बैरिया

चंपा नदी को बचाने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। इसको पहले की स्थिति में लाने के लिए गहन चिंतन करने की आवश्यकता है। सभी को नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने की पहल करनी होगी। जनआंदोलन खड़ा करना होगा। - केएम शुक्ला, नाथनगर

नदी का स्रोत समाप्त होने से किसानों की सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त हुई। अब भूगर्भ का जलस्तर गिरने से गांव में जलसंकट की समस्या है। चंपा नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए रत्तीपुर बैरिया पंचायत के ग्रामीण एकजुट हैं। दैनिक जागरण मुहिम चलाकर लोगों को जागरूक किया है। इसे अब अभियान बनाकर मुकाम तक ले जाएंगे। -प्रमोद यादव, मुखिया, रत्तीपुर बैरिया

चंपा नदी भागलपुर की समृद्धि का परिचायक है। अगर यह विलुप्त हो जाएगी तो भागलपुर का अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा। सरकार और समाज का कत्र्तव्य है कि नदी के अस्तित्व को लौटने के लिए तन, मन और धन से सहयोग करने को आगे आए। - विजय वर्धन, लहेरी टोला

नदी प्रकृति का जीवन है। इसका सूखने से पूरे पारिस्थतिकी तंत्र पर असर पड़ता है। चंपा की धारा सूखने से नदी मार्ग में पडऩे वाले गांवों में समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं। चंपा की अनदेखी अगर नहीं रुकी तो आने वाले समय में समस्या और विकराल होगी। चंपा को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। -गौतम कुमार, सहायक प्राध्यापक, टीएमबीयू

चंपा नदी में पानी रहना बहुत जरूरी है। इसे बचाने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना होगा। नदी में पानी नहीं रहने से पूजा करने में भी परेशानी होती है। इसके उद्धार के लिए अगर हमलोगों को आंदोलन करना पड़ा तो करेंगे। अपनी धरोहर को इस तरह बर्बाद होते नही देख सकते। हमलोग डीएम से भी मिलेंगे। -विनय साह, नाथनगर

पिछले 10 वर्षों से चंपा नदी की स्थिति खराब हुई है। पहले जब नदी में पानी रहता था तो आसपास के दर्जनों गांवों में भूजल स्तर ठीक था। नदी के सूखने से इलाके में जल संकट की स्थिति है। खेती-किसानी चौपट हो रही है। इसके उद्धार के लिए सरकार और जनता दोनों को आगे आना होगा। - मु. इरशाद, नाथनगर

चंपा नदी में पहले 25-30 फीट गहराई तक पानी रहता था। नगर निगम पिछले दस वर्षों से इसमें कूड़ा गिरा रहा है। इस कारण नदी सिमटती जा रही है। स्थानीय लोग भी नदी के लेकर गंभीर नहीं रहे। इसकी धारा वापस लाने के लिए जिला प्रशासन और आम आदमी दोनों को आगे आना होगा।  - विजय यादव, नाथनगर

चंपानाला को नदी बनाने के लिए सबसे पहले खुदाई करने की जरूरत है। गंगा की धार से इसकी खुदाई की जाए तो यह फिर से जीवित हो जाएगी। इसके लिए सभी को आगे आना होगा। लोगों को जिला प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाना होगा। - रंजन कुमार, नसरतखनी

चंपा नदी का संरक्षण जरूरी हो गया है। जब यह नदी अपने लय में थी, इलाके के गांव तृप्त थे। अब संकट की स्थिति है। नदी की धारा वापस लाने के लिए योजना बनाने की जरूरत है। सरकारी प्रयास के साथ ही लोगों को भी जागरूक होना होगा। - राजीवकांत मिश्र

बचपन से चंपानाला सुनते आ रहे हैं। नदी को नाले का नाम दे दिया गया है। इस नदी को जीवंत करने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। ताकि क्षेत्र के किसानों की खुशहाली वापस लाई जा सके। - डॉ. मृणाल शेखर

चंपा नदी क्षेत्रवासियों की धरोहर है। नदी सूख जाने से जल स्तर घट रहा है। इससे मानव जीवन पर प्रतिकूल असर पडऩा शुरू हो गया है। इसे बचाने के लिए हर संभव कोशिश किए जाने की जरूरत है। - ऊषा देवी, बांका

विलुप्त हो रही नदियों के स्वरूप को वापस लाने के लिए आम लोगों को जागरूक होना होगा। नदियों से हो रहे अवैध बालू उठाव पर प्रशासन के साथ जनता को भी आगे आना होगा। तभी इस पर रोक लगेगी।  - विमल कुमार, बांका

नदी को गंदा होने से बचाने की जरूरत है। बालू उठाव पर अंकुश लगाना होगा। इससे बहुत हद तक समस्या का समाधान हो जाएगा। नदी को बचाना जरूरी है। - निशा सिंह, बांका

नदियां समाज और देश की संस्कृति है। नदी के सूख जाने से संस्कृति और परंपराओं के मिटने का भी खतरा है। चंपा में पानी नहीं रहने से खेती किसानी को नुकसान हो रहा है। - लखन कुमार झा, बांका

आज सिंचाई के अभाव में खेती किसानी चौपट हो गई है। यदि चंपा नदी जीवंत हो जाएगी तो क्षेत्र के हजारों किसानों के अच्छे दिन आ जाएंगे। हर स्तर पर इसके लिए प्रयास होना चाहिए। - मृत्युंजय शर्मा, बांका

दशकों पूर्व चंपा नदी किसानों के लिए जीवनदायनी थी। बालू के अवैध उत्खनन एवं हो रहे अतिक्रमण ने इस नदी का स्वरूप ही नहीं, बल्कि नाम भी बदल दिया है। हमें हर हाल में नदी की धारा वापस लानी होगी।  - विश्वजीत झा, बांका

चंपा नदी का ऐतिहासिक महत्व पुराणों में भी वर्णित है। विरासत में मिली संस्कृति विलुप्त हो रही है। चंपा की धारा को फिर से जीवित करना होगा।  - रंजीत यादव, बांका

चंपा नदी को बचाने के लिए अपना पूरा योगदान देने को तैयार हूं। हवा व पानी के अभाव में हम एक पल भी जिंदा नहीं रह सकते हैंं। इनका संरक्षण होना चाहिए। नदियों को बचाने के बजाए हम इससे बालू निकाले जा रहे हैं। नदी के अस्तित्व को मिटने नहीं दिया जा सकता है। - युवराज सिंह, बाराहाट बांका

चंपा नदी को जिसने चाहा, अपने-अपने स्तर से इस्तेमाल किया। नदी का स्रोत बंद होने के बाद लोगों ने निजी स्वार्थ के लिए तटवर्ती क्षेत्र का अतिक्रमण किया। सबसे पहले तटवर्ती क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है। नदी में कूड़ा गिराने पर नगर निगम को प्रतिबंध लगाना होगा।  - चांद झुनझुनवाला, लहरीटोला

 चंपा नदी की कंचन धारा बहा करती थी। त्रिमुहान के पास नदी की चौड़ाई 480 फीट थी। खेतों में नमी बनी रहती थी। बिना सिंचाई और खाद के फसल तैयार हो जाती थी। अब नाले के पानी से सिंचाई करने से फसल से भी बदबू आती है। - ईश्वर मंडल, लालूचक

चंपा नदी में पानी का तेज बहाव हुआ करता था। यहां गंगा और चंपा नदी का मिल हुआ करता था जिससे खेतों में कभी भी पानी की कमी नहीं हुई। अब तो शहर के नाले का पानी प्रवाहित होता है। मूल धारा को वापस लाना होगा। - लालमोहन मंडल, लालूचक

चंपा नदी के इस हाल के लिए कोई माफिया नहीं बल्कि सरकारी तंत्र जिम्मेदार है। मेरे पास 1902 का नक्शा है उसमें चंपा नदी का जिक्र है। नदी का नाम किसने बदला इस पर मंथन करना होगा। बेरमा में नदी के मुहाने से ड्रेजिंग करना होगा, इसमें चेक डैम बनाकर जल संचय करना होगा। - बलदेव मंडल, महाशय डयोढी

नदी की धारा घोघा की ओर मोड़ दी गई, नतीजा चंपा नाले में तब्दील हो गई। इस होकर बरारी से खगडिय़ा की ओर जहाज चलते देखा है। नाथनगर शहर से गांव आने के लिए नाव त्रिमुहान घाट पर लगी रहती थी। नाविक को हर घर से साल में छह किलोग्राम आनाज दिया जाता था। - प्रेमलाल मंडल, अजमेरीपुर

चंपा का जल पवित्र था, लोग स्नान करने के साथ-साथ पीते भी थे। जलधारा समाप्त होने के बाद पंचायत में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ गई है। लोग बीमारी के चपेट में आने लगे हैं। इसके स्रोत को खोलने से नाथनगर की छह पंचायतें खुशहाल हो जाएंगी। - अरुण कुमार मंडल, पूर्व उपप्रमुख, अजमेरीपुर

बुनकर हैंडलूम का साथ छोड़ 1968 से पावरलूम का इस्तेमाल करने लगे। रंग और रसायन युक्त पानी चंपा में बहाया जाने लगा। इसका असर फसलों पर पड़ रहा है। इस पानी से पटवन करने पर मकई की फसल बर्बाद होने लगा है। नदी में मछली मरने लगी है। हमें तो वर्ष 1975 के दौर में प्रवाहित होने वाली चंपा नदी को सरकार लौटा दे। - राम नारायण मंडल, श्रीरामपुर

चंपा पुल के बाद नदी का पानी प्रदूषित हो गया है, जबकि पुल के दक्षिण में नदी का पानी अभी साफ है। शहरीकरण के दौर में लोगों ने जल स्रोत ही खो दिया है। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र का भूजलस्तर गिरा है। दो दशक पहले 30 फीट पर पानी मिलता, अब 60 फीट की गहराई में पानी मिल रहा है। - अरविंद मंडल, श्रीरामपुर

चंपा नदी ने हमें जीवन दिया है। लेकिन प्रशासन की लचर व्यवस्था ने इसके अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया है। नदी का पानी तेजाब बन चुका है। अब इसके पानी के सेवन के मवेशी बीमार पड़ रहे हैं। इस जीवनदायिनी नदी के अस्तित्व को बचाना होगा। इसके लिएलगातार मुहिम चलाने की जरूरत है। - उत्तम राय, श्रीरामपुर

चंपा नदी को अवैध खनन और अतिक्रमण से मुक्त करना होगा। शहर के नाले का पानी व कूड़ा गिराने पर रोक लगाना होगा। नदी से गाद निकालकर अविरल धारा वापस लाई जा सकती है। नर्मदा और साबरमती नदी के तर्ज पर चंपा नदी के लिए कार्ययोजना तैयार हो। -जैनेंद्र कुमार मिश्र, चंपानगर

नदी के अस्तित्व पर संकट चिंताजनक स्थिति है। हम अंगवासियों को इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा। ताकि हम प्रकृति और अपने पुरखों से मिली विरासत को बचा सकें। अंग संस्कृति सदैव हमारे बीच सुरक्षित रहे। - श्रीकांत कुमार यादव, शिक्षक, फुल्लीडुमर(बांका)

कोई नदी एक दिन में गुम नहीं हो सकती। पौराणिक चंपा नदी को हम चंपा नाला कहने लगे। हमारी अपनी नैतिक जिम्मेदारी है कि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए आवाज बुलंद करें। सामाजिक स्तर पर जागरुकता कार्यक्रम चलाएं। यह तब तक किया जाए जब तक कि सरकार की ओर से नदी की धारा वापस लाने की घोषणा नहीं हो जाती। - दुर्ग विजय झा, छात्र

-चंपा नदी के अस्तित्व को बचाना होगा। उद्गम स्थल से गंगा में मिलने तक चंपा नदी के प्रवाह मार्ग को जीवित करना होगा। इससे शहर में जलापूर्ति संकट का भी निदान हो जाएगा। जनहित में सरकार को कदम उठाना चाहिए। - पंकज कुमार दास, पार्षद, वार्ड 06

पहले दैनंदिन के काम में गांव के लोग चंपा के पानी का ही इस्तेमाल करते थे। जब से नाथनगर के नाले का पानी इसमें गिराया जाने लगा, नदी दूषित हो गई। तीन दशक पहले स्नान किया करते थे। गंदगी की वजह से अब नदी तट पर भी नहीं जाते हैं। -लाखो देवी, पुरानी सराय

चंपा नदी के किनारे नगर निगम ने कूड़ा गिराकर इसके अस्तित्व को मिटाने का प्रयास किया है। कूड़े से ऐसी बदबू आती है कि उधर से गुजरने वाला बेहोश हो जाए। नदी की धारा अविरल को बनाने के लिए शासन-प्रशासन को प्रयास करना चाहिए। -बटेश्वर मंडल, पुरानी सराय

1985 से पहले किसानों को सिंचाई की चिंता नहीं थी। चंपा में पानी का बहाव पर्याप्त था। किसान अब बिजली से संचालित पंपसेट से सिंचाई करने लगे हैं। खेत में नमी नहीं रह गई है। चंपा की धार अगर जीवित हो जाए तो गांवों में खुशहाली लौट आएगी। -केशव मंडल, पुरानी सराय

चंपा नदी के सूखने से पिछले एक दशक में गांव का भूजलस्तर गिरा है। मार्च में चापाकल से पानी नहीं निकल पाता। नदी किनारे के गांवों में पानी की समस्या कभी नहीं हुई थी। इसके उद्गम स्थल के पास इसे जलस्रोत से जोडऩे का प्रयास किया जाना चाहिए। -सकलदेव मंडल, पुरानी सराय

पुरानी सराय और बिहारीपुर घाट पर नदी 20 फीट गहराई में सालों भर पानी प्रवाहित होती थी। मकान बनाने के लिए दरियारपुर से बालू की ढुलाई नाव से होती थी। अब अंधाधुध बालू निकाला जा रहा है। नदी में पानी भी नहीं बचा। -ब्रह्मदेव मंडल, पुरानी सराय

गांव को चंपा नदी की बाढ़ से बचने के लिए पुरानी सराय में बांध बनाना पड़ा है। इसके रौद्र रूप को हमलोगों ने देखा है और अब इसे विलुप्त होते देखना पड़ रहा है। जीवन देनी वाली नदी को लेकर जनांदोलन करना होगा। -सुरेश मंडल, पुरानी सराय

नाथनगर से गुजरने वाली नदी और नहर समाप्त होने लगे हैं। इसके जीर्णोद्धार की बात कोई नहीं करता है। इसके ऐतिहासिक महत्व को समझे बिना चंपा नदी को नाला कह रहे है। जबकि नदी के किनारे मंदिरों की शृंखला है। -परमानंद मंडल, पुरानी सराय

पुरानी सराय घाट पर 1990 के दौर में दो दर्जन से अधिक नावें चलती थीं। दियारा क्षेत्र के किसान अनाज लेकर बड़ी नाव से पहुंचते थे। इससे ग्रामीणों को रोजगार मिल जाया करता था। अब इसकी दुर्दशा को देख मन दुखी होता है। -चुल्हा मंडल, पुरानी सराय

पुरानी सराय नदी में हम दादा के साथ नाव चलाया करते थे। यहां के ग्रामीणों को शहर और बिहारीपुर की ओर जाने वालों को नदी पार कराते थे। 1995 के बाद नाव चलाने के लिए नदी में पानी भी नहीं बचा। रोजगार का साधन बंद हो गया। -अरुण मंडल, पुरानी सराय


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