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रंग लाई बीएयू के वैज्ञानिकों की मेहनत, अब सूखी जमीन पर भी लहलहाएंगीं फसलें

बारिश या सिंचाई के बाद खाद की तरह हाइड्रोजल का छिड़काव खेतों में किया जाएगा। यह पर्याप्त जलधारण कर लेगा और सूखा होने पर मिट्टी को नमी उपलब्ध कराएगा। जानिए बीएयू का नवीनतम शोध।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 10:21 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 10:21 PM (IST)
रंग लाई बीएयू के वैज्ञानिकों की मेहनत, अब सूखी जमीन पर भी लहलहाएंगीं फसलें
रंग लाई बीएयू के वैज्ञानिकों की मेहनत, अब सूखी जमीन पर भी लहलहाएंगीं फसलें

भागलपुर (ललन तिवारी)। खेती-किसानी के लिए जलवायु परिर्वतन चुनौती बनता जा रहा है। बेमौसम बरसात के चलते समय से पहले खेतों की नमी खत्म हो जा रही है। इस नमी को बनाए रखने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के वैज्ञानिकों ने ठोस दानेदार हाइड्रोजल ईजाद किया है। बारिश या सिंचाई के बाद खाद की तरह हाइड्रोजल का छिड़काव खेतों में किया जाएगा। यह पर्याप्त जलधारण कर लेगा और सूखा होने पर मिट्टी को नमी उपलब्ध कराएगा।

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क्षमता आंकने की चल रही तैयारी
लैब में टेस्ट पूरा होने के बाद वैज्ञानिक अब खेतों में हाइड्रोजल की क्षमता आंकने की तैयारी कर रहे हैं। विवि के मुख्यालय सहित इससे जुड़े तीन कृषि विज्ञान केंद्रों के अंतर्गत एक-एक एकड़ भूमि पर इसका प्रयोग किया जाएगा।

ये होता है हाइड्रोजल
परियोजना के प्रधान अन्वेषक (पीआइ) डॉ. शशांक त्यागी का कहना है कि हाइड्रोजल खेतों में लगी फसल के अनुकूल मिट्टी में नमी बनाए रखने की तकनीक है। यह अपनी क्षमता से 400 गुना अधिक पानी सोखकर पौधों को आवश्यकतानुसार नमी प्रदान करने का काम करेगा। यह ठोस और दानेदार होता है। इसे झोला या बोरा में भी आसानी से ले जाया जा सकता है। कम अवधि वाले फसलों में एक बार इस हाइड्रोजल का उपयोग करने के बाद बार-बार सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस्तेमाल के बाद यह खेतों में आसानी से घुल जाएगा। इसका निर्माण नैनो टेक्नोलॉजी से किया गया है।

बिहार कृषि ​विश्वविद्यालय सबौर

वैज्ञानिक इसका करेंगे अध्ययन : वैज्ञानिक यह अध्ययन करेंगे कि हाइड्रोजल के उपयोग से फसलों की सिंचाई लागत में कितनी कमी आई। फसल उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई और मिट्टी व पर्यावरण पर इसका क्या असर पड़ा।

यहां होगा प्रयोग : बीएयू प्रक्षेत्र, कृषि विज्ञान केंद्र मुंगेर, बांका एवं शेखपुरा के एक-एक एकड़ जमीन में रबी फसल में हाइड्रोजल का मूल्यांकन किया जाएगा।

आठ हाइड्रोजल से होगी तुलना : बीएयू सहित दिल्ली की तीन, महाराष्ट्र की दो, हैदराबाद एवं कोलकता के एक-एक प्राइवेट कंपनी द्वारा तैयार हाइड्रोजल का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। जिसके परिणाम सबसे बेहतर होंगे उसे किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

बीएयू सबौर के कुलपति प्रो डॉ अजय कुमार सिंह

सफलतम शोध : बीएयू के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि विवि के वैज्ञानिकों ने अपने सफलतम शोध से हाइड्रोजल ईजाद किया है। इसका प्रयोग बिहार के परिपेक्ष्य में कितना सफल होता है इसके लिए विवि प्रक्षेत्र सहित मल्टी लोकेशन टेस्ट किया जा रहा है। आने वाले दिनों में इसकी सफलता किसानी के लिए वरदान बन सकता है।


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