Effect Of Covid-19: रिकॉर्ड तोड़ लिखा गया वसीयतनामा, बिहार के पूर्णिया में चौंकाने वाले आंकड़े
Effect Of Covid-19 वसीयतनामा लिखाने वाले लोगों ने साफ कहा कि उन्हें यही चिंता है कि असमय मौत के बाद उनकी संपत्ति का क्या होगा बच्चे आपस में न लड़े इसलिए भी ये कदम उठा रहे हैं। बाकि कोरोना कब सांसें छीन ले कोई नहीं जानता।
पूर्णिया [राजीव कुमार]।: Effect Of Covid-19: कोरोना काल में जिंदगी पर जिस कदर भरोसा डगमगाया है, उससे वसीयतनामा लिखने की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। कोरोना काल में हर किसी को इस बात का भय सता रहा है कि पता नहीं कब मौत उनके दरवाजे पर दस्तक दे दे। इस कारण हर कोई इस बात की चिंता करने लगा है कि पता नहीं उनकी मौत के बाद उनकी जायदाद एवं संपति का क्या होगा।
कोरोना काल के प्रथम लहर एवं दूसरी लहर के चार महीनों के आंकड़े इस बात की गवाही दे रही है कि वसीयतनामा लिखने की रफ्तार तेज हुई है। निबंधन विभाग एवं न्यायालय में लिखे जा रहे आंकड़े के अनुसार कोरोना काल के पूर्व वसीयतनामा लिखने की संख्या एक साल में जितनी होती थी, उतनी संख्या कोरोना काल में एक माह में लिखी जा रही है।
वसीयतनामा लिखने वालों में 95 फीसदी संख्या 70 से अधिक उम्र वालों की है। वसीयत लिखने वालों में पांच फीसदी ऐसे लोग भी जिन्होंने अपनी वसीयत किसी संस्था मंदिर या ट्रस्ट के नाम लिख दी है। कुछ वसीयत लिखने वाले लोगों ने अपनी जायदाद का पांच से दस फीसद तो किसी ने पच्चीस फीसद तक अनाथ बच्चों एवं असहाय लोगों की सेवा करने वाले लोगों के लिए अपनी वसीयत लिखी है।
दूसरी लहर में सबसे ज्यादा लिखी गई वसीयत
- पूर्णिया में कोरोना काल के दौरान हर माह औसतन 130 वसीयतनामा लिखा जा रहा है।
- कोराना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल 2021 से 26 जून 2021 तक 540 वसीयतनामा निबंधन कार्यालय एवं न्यायालय में लिखा गया।
- इसी तरह कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2010 तक 1263 वसीयतनामा लिखा गया।
- कोरोना काल के पूर्व लिख गए वसीयतनामा के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पूर्णिया जिले में 2017 में एक साल के दौरान 123 वसीयत वर्ष 2018 में 113 एवं 2019 में 107 वसीयत लिखा गया।
इन वर्षों में जो वसीयत लिखी गयी वह अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा लिखी गयी। लेकिन कोरोना काल में यह कहानी उलट हो गयी है की और इस दौरान लिखे गए वसीयतनामा में 20 फीसदी जहां अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा लिखा गया है वहीं अस्सी फीसदी वसीयतनामा के मामले बहुसंख्यक समुदाय के लोगों के हैं। 2021 में सबसे अधिक मई माह वसीयतनामा किया गया जिसकी संख्या 216 रही, जबकि 2021 के सितम्बर माह में सबसे अधिक 207 वसीयतनामा लिखी गयी।
क्या कहते हैं वसीयतनामा लिखने वाले
कोरोना काल में अपनी वसीयतनामा लिखने वाले केनगर के महेन्द्र साह ने कहा कि कोरोना ने ऐसा माहौल बना दिया है की कल पर भरोसा रहा ही नहीं। इस कारण उनकी मौत के बाद किसी तरह का विवाद ना हो इसको लेकर उन्होंने अपनी वसीयत में तीन बेटों के अलावा अपनी दो बेटियों एंव पत्नी के नाम भी बराबर- बराबर चल अंचल संपति की वसीयत लिख दी है ताकि किसी तरह का कोई विवाद ना हो।
पेशे से शिक्षक से अवकाश ग्रहण करने वाले भवानीपुर के त्रिलोकी साह ने कहा कि उनको कोई संतान नहीं है इस कारण उन्होंने मरने के बाद आधी संपति पत्नी एवं अपनी आधी संपति गरीब एवं निस्हाय लोगों की सेवा करने वाली संस्था को दान करने की वसीयत लिखी है।
'कोरोना काल में वसीयतनामा लिखने की रफ्तार में काफी तेजी आई है, पहले जहां औसतन हर माह 20 से 25 वसीयतनामा लिखा जाता था अब वह पांच गुणा बढ़कर 130 तक हर माह औसतन पहुंच गया है, कोराना काल में इसमेंं वृद्धि लोगों की जिदंगी पर से भरोसा डगमगाना बताया जा रहा है।'- उर्मिलेश प्रसाद उप निबंधक पूर्णिया
यहां लिखी जाती हैं वसीयत
वसीयतनामा जिले के निबंधन कार्यालय के अलावा सिविल कोर्ट में किया जाता है। वसीयत के लिए निबंधन कार्यालय में दो हजार का शुल्क अदा करना पड़ता है। दो हजार की शुल्क अदा करने के बाद कोई भी व्यक्ति अपनी वसीयतनामा निबंधन कार्यालय में करा सकता है। इसके अलावा सिविल कोर्ट में अधिवक्ता के माध्यम से भी कोई वसीयतनामा अपनी दर्ज करा सकता है।