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दुर्गा पूजा महाष्‍टमी: श्मशान घाट में क्‍यों जुटते हैं अघोर साधु? भागलपुर में श्मशानी काली की पूजा

दुर्गा पूजा महाष्‍टमी भागलपुर में श्मशानी काली को याद कर अघोर साधुओं की अष्टमी जगी श्मशान में। बरारी गंगा तट स्थित श्मशान घाट में मौजूद प्राचीन काली माता मंदिर परिसर में दूर-दराज से जुटे अघोर साधकों ने जगाई अष्टमी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 10:28 AM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 10:28 AM (IST)
दुर्गा पूजा महाष्‍टमी: श्मशान घाट में क्‍यों जुटते हैं अघोर साधु? भागलपुर में श्मशानी काली की पूजा
श्‍मशानी काली की पूजा करते अघोर साधु।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। महाअष्टमी बुधवार को जब अवसान बेला में थी। शहर में लोग मां दुर्गा की प्रतिमाओं के दर्शन कर रहे थे, बरारी श्मशान घाट स्थित काली माता मंदिर परिसर में अघोर साधुओं का जत्था श्मशानी काली को जगाने में लीन था। वाहनों के शोर और भीड़ की कोलाहल से दूर अघोरी मंत्रों के जाप से माता काली खप्परवाली को याद कर अष्टमी जगा रहे थे। माता काली के चार रूपों दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली में श्मशानी काली को सुमिरन करते हुए एक जोड़े पाठे की बलि प्रदान कर माता को प्रसन्न करने की अंतिम कोशिश करते हैं।

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बलि पड़ते ही अघोर साधुओं का जत्था गगनभेदी आवाज में माता का नाम ले अठ्ठाहास करते हुए झूमने लगे। यह वही क्षण था जब अघोरियों के हाथ मे मदिरा भी थी और मांगो-मांगो आमी तोमर छेले, तुमी रोख्खा करो....। तारापीठ, प्रयाग, वाराणसी, मुंगेर, बांका, दुमका, गोड्डा, कटिहार, सहरसा,कहलगांव आदि के अलावा भागलपुर और आसपास के इलाके से पहुंचे अघोरी और साधकों का जत्था पहुंचा था। सभी मंत्र साधना में रमे थे।

अघोरी साधकों के जत्थे में हर साल की तरह माता को जगाने पहुंचने वालों में अग्रणी लाल बाबा अपना शरीर छोड़ इस नश्वर संसार से कूच कर चुके हैं। अघोरियों का कहना था कि हमलोगों की भी आंखे लाल बाबा को ढूंढती पर अब वो अभी नहीं लौट सकते। अघोर साधकों की साधना और गाली रूपी प्रसाद पाने के लिए लालायित थे। उन्हें मौनी बाबा धीरज से समझाने का प्रयास किया कि अब बाबा शरीर छोड़ चुके हैं। मौनी बाबा ने श्मशान की जलती चिताओं से निकाली गई जलती लकड़ी से मंदिर के पिछवाड़े तैयार किए गए श्मशानी हवन को भी अभिमंत्रित किया। उन्होंने अपने व्यस्त समय मे भी समय निकाल कर बताया कि मां कालिका की साधना के कई रूप हैं मशान काली, काम कला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली, भद्र काली आदि की साधना होती हैं।

महाकाली को खुश करने के लिए महाकाली के मंत्रों का जाप भी किया गया। मौनी बाबा ने 

साबर मंत्र

आम काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,

चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,

अब बोलो काली की दुहाई... पढऩे मात्र से भक्त का कल्याण होगा, यही हम अघोर साधु भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। जैसे- जैसे रात बीतती गई, अघोर साधुओं का मंत्र साधना, मंत्रोच्चारण के अजीबोगरीब तेवर, मदिरा अर्पण, मांस भक्षण पर नजर डालने वाले लोग खुद ब खुद श्मशान छोड़ तेजी से घरों की ओर कूच करने लगे।


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