दुर्गा पूजा 2021: नवरात्र में करें कन्या पूजन, घर आएगी खुशी, दो वर्ष से दस वर्ष तक लड़की में साक्षात माता का स्वरूप
दुर्गा पूजा 2021 नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। दो वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की कन्याएं में साक्षात माता का होती हैं स्वरूप। नवमीं को मंदिरों और अधिकांश हिंदू घरों में होगा कन्या पूजन।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवमीं पूजा को दुर्गा मंदिरों और अधिकांश हिंदू परिवारों में कन्या पूजन किया जाता है। कटघर के पंडित राजेश मिश्र ने बताया कि दो वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी गई हैं। नवरात्र में इसी उम्र की कन्याओं के पैरों का विधिवत पूजन कर भोजन कराया जाता है। मान्यता है कि होम, जप और दान से देवी उतनी प्रसन्न नहीं होतीं, जितनी कन्या पूजन से होती हैं। विधिवत और सम्मानपूर्वक कन्या पूजन कराने से व्यक्ति के मन से सारे भय दूर हो जाते है और बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।
कन्या पूजन कराने का तरीका : कन्या पूजन के लिए उन कन्याओं का ही चयन करें, जिनकी उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से ज्यादा नहीं हो। पूजन के दिन कन्याओं के पैर धोकर, रोली-अक्षत से पूजन कर भोजन कराना कराना चाहिए। फिर पैर छूकर यथाशक्ति दान देना चाहिए।
आयु अनुसार कन्या रूप : नवरात्र में एक पूजा से लेकर सात पूजा तक एक-एक और अष्टमी व नवमी को नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। दो वर्ष की कन्या के पूजन से मां दुख और दरिद्रता दूर करती हैं। तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति कहलाती है। इनकी पूजा करने से धन-धान्य और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से परिवार का कल्याण होता है। पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। इनके पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है। इससे विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है। सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका है। इसकी पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या शांभवी कहलाती है। इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होता है। नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है। दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। यह सारे मनोरथ पूर्ण करती हैं।