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Durga Puja 2020 : कोसी के इस मंदिर में माता की अनुमति से होता है कलश का विसर्जन

Durga Puja 2020 कटिहार के बरारी का भगवती मंदिर की महत्‍ता काफी है। सैकड़ों वर्ष पूर्व इस मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित की गई थी। यहां बलि प्रथा नहीं है। लेकिन इसकी कहानी भी अद्भुत है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 08:53 AM (IST)
Durga Puja 2020 : कोसी के इस मंदिर में माता की अनुमति से होता है कलश का विसर्जन
कटिहार बरारी का भगवती मंदिर, जहां की देवी दुर्गा की ख्‍याति हर ओर है।

कटिहार [भूपेन्द्र सिंह]। Durga Puja 2020 : अपनी धार्मिक व ऐतिहासिक महत्ता को समेटे बरारी का भगवती मंदिर अपनी अलौकिक शक्तियों के लिए दूर दूर तक प्रसिद्व है। कोरोना संक्रमण के फैलाव को लेकर इस नवरात्रा में श्रद्धालु शारीरिक दूरी के बीच माता की पूजा अर्चना में तल्लीन हैं। प्रखंड मुख्यालय से महज पांच सौ मीटर की  दूरी एवं गंगा दार्जिलिंग सड़क के किनारे बरारी हाट पर अवस्थित इस मंदिर से कई किदवंतिया जुड़ी है।

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वैश्नवी मंदिर होने के पीछे का इतिहास

सैकड़ों वर्ष पूर्व जब इस मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित की जा रही थी। उस समय आसपास सहित दूरदराज से अपार भीड़ की मौजूदगी में माता के एक भक्त व अंहिसा के पुजारी नरसिंह सिंह ने बलि प्रथा का कड़ा विरोध करते हुए बलिवेदी पर यह कहकर अपना सिर रख दिया कि अगर ऐसा होता है तो सबसे पहले माता की चरणों में उसका सिर होगा। तभी से यहां बलि प्रथा बंद है। यह मंदिर क्षेत्र में वैश्नवी मंदिर के रूप में विख्यात है।

मंदिर की विशेषता

नवरात्रा  पर यहां खास व आश्चर्यचकित करने वाली परम्परा है। स्थापित कलश का विर्सजन माता की अनुमति अर्थात फुलाइस से होता है। बताया जाता है कि काफी वर्ष पूर्व यहां पिंड की पूजा होती थी, लेकिन धीरे धीरे इसके विकास व  जीणोद्वार को लेकर स्थानीय कुछ प्रबुद्ध क्षद्धालुओं में अवधबिहारी सिंह, मिठ्ठन मर्रर, रामदहिन भारती, बबुजन झा, नेनाय यादव, सेठ चुन्नीलाल आदि ने अटूट श्रद्धा दिखाई थी। धार्मिक न्यास से संबंद्ध व क्षेत्र में अलौकिक शक्ति के लिए प्रसिद्धि के कारण राज दरभंगा महाराज द्वारा मंदिर के नामित कांफी जमीन दान में दी गई थी। वर्तमान में यहां के महाविद्यालय का नामाकरण भी इसी के नाम से है। इसके अलावा मंदिर का अपना धर्मशाला है। इसमें  लगन के समय वर वधू पक्ष ठहराव कर माता के समक्ष शादी का रस्म को पूरा कराया जाता है।

मंदिर का वस्तुकला

मंदिर में माता की आकर्षक संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है। साथ ही अन्य कई देवी देवताओं की आकर्षक प्रतिमा व शिवलिंग स्थापित है।

क्या कहते है पुजारी

मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव विश्वजीत भगवती उर्फ पंकज यादव कहते हैं कि माता की अलौकिक शक्तियों की जितनी भी बखान की जाए कम है। साथ ही यहां माता के दर्शन सहित मेले में पहुंचने वाले क्षद्धालुओं के सेवा व सुविधाओं का हरसंभव ख्याल रखा जा रहा है। मंदिर के पुजारी पुरूषोत्तम उर्फ मांगन झा कहते हैं यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुरादे माता पुरी करती है। बंगाल पर चढ़ाई के दौरान यहां के गंगा - दार्जिलिंग सड़क से गुजरने के दौरान शेरशाह सुरी के सेनापति द्वारा माता से जीत की मन्नत मांगी गयी थी। मुराद पूरी होने पर उनके द्वारा मंदिर निर्माण हेतु सहयोग भी किया गया था। आज भी उनके द्वारा निर्मित गंगा दार्जिलिंग सड़क, भैसदीरा स्थित पलटन पाड़ा का नामांकरण और बरारी हाट स्थित कुंआ का अवशेष स्थापित है।


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