परिवहन विभाग : छोटे-छोटे काम में लग जाते हैं छह माह
भागलपुर। जिला परिवहन कार्यालय का हाल-बेहाल है। यहां छोटे कार्य के लिए भी लोगों को क
भागलपुर। जिला परिवहन कार्यालय का हाल-बेहाल है। यहां छोटे कार्य के लिए भी लोगों को कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। स्थिति यह है कि लाइसेंस नवीनीकरण में पांच-छह महीने लग जाते हैं। जागरण टीम ने सुबह 11 बजे जिला परिवहन कार्यालय का जायजा लिया। इस दौरान कार्यालय की व्यवस्था की पोल खुल गई।
सुबह 11:30 बजे
कार्यालय खुलते ही सभी काउंटर व कार्यालय में लोगों की भीड़ उमड़ गई। एक काउंटर पर ड्राइविंग लाइसेंस का आवेदन जमा करने के लिए 25-30 लोग लाइन में लग गए। दूसरे काउंटर पर लर्निग लाइसेंस के लिए 25-27 लोग लाइन में खड़े थे। वहीं लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि कार्यो के लिए तीसरे काउंटर पर छह-सात लोग खड़े थे।
सभी काउंटर पर धीरे-धीरे कार्यो का निपटारा किया जा रहा था। कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए भीड़ लगी थी। ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए 70-80 लोग क्लर्क को घेरे हुए थे। तब तक बड़ा बाबू और डीटीओ कार्यालय नहीं पहुंचे थे। पांच-छह महीने से ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए डीटीओ कार्यालय का चक्कर लगाने वाले लोग अपना गुस्सा क्लर्क पर उतार रहे थे। क्लर्क का कहना था कि कुछ लोगों की फाइल नहीं मिल रही है। इसलिए ढूंढने का काम किया जा रहा है।
12 बजे से 2:30 बजे तक
लगातार ढूंढने के बावजूद ड्राइविंग लाइसेंस संबंधी फाइलें नहीं मिलीं। जिन लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस कंप्यूटराइज्ड नहीं है उनमें अधिकांश लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस संबंधी फाइलें गुम हो चुकी हैं। फाइलों का अता-पता नहीं है। दरअसल, लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए दिखावे के लिए फाइलें खोजी जा रही थीं। क्लर्क द्वारा फाइलें नहीं मिलने पर दूसरे दिन फिर आने की बात कहने पर अधिकांश लोग मायूस होकर दोपहर 3:00 बजे कार्यालय से चले गए।
दोपहर 3:45 बजे
वर्किंग ऑवर खत्म होने को था परंतु डीटीओ कार्यालय नहीं पहुंचे थे। बड़ा बाबू भी और उनकी कुर्सी भी खाली पड़ी थी। जबकि सुबह 10:00 बजे से 10:30 बजे तक ही सभी अधिकारी व कर्मचारी के कार्यालय पहुंचने का समय निर्धारित है। लेकिन परिवहन विभाग कार्यालय में समय का पालन नहीं किया जाता। अक्सर सुबह 11:00 बजे के पहले अधिकांश कर्मी नहीं पहुंचते हैं। डीटीओ और बड़ा बाबू कार्यालय कब पहुंचेंगे और कब उठकर चले जाएंगे इसका पता कार्यालय के अन्य कर्मचारियों को भी नहीं है। डीटीओ शहर में वाहनों की चेकिंग के नाम पर कार्यालय गायब रहते हैं। कार्यालय सूत्रों के अनुसार डीटीओ अक्सर दोपहर तीन बजे से शाम चार तक कार्यालय पहुंचते हैं। यदि बड़ा बाबू समय पर कार्यालय पहुंच भी गए तो वह भी किस समय कार्यालय से निकल जाएंगे और फिर किस समय कार्यालय आएंगे यह कहना मुश्किल है। डीटीओ और बड़ाबाबू के कार्यालय में मौजूद नहीं रहने की स्थिति में ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि कार्य प्रभावित होता है। कार्यो में विलंब होता है।
11 से दोपहर दो बजे
अब तक एमवीआइ भी अपने कार्यालय कक्ष में मौजूद नहीं थे। हवाई अड्डे में ऑटो के रूट कोडिंग का काम चल रहा है। एमवीआइ को भी इस कार्य में लगाया गया है। शायद ऑटो के रूट कोडिंग कार्यो की व्यस्तता के कारण एमवीआइ लेट कार्यालय पहुंचे होंगे। इस बारे में डीटीओ संजय कुमार से मोबाइल फोन पर बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन उनके मोबाइल का स्वीच ऑफ था।
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पिछले पांच महीने से ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए कार्यालय का चक्कर काट रहा हूं। कभी फाइल खोजवाने तो कभी साहब के बाहर होने की बात कही जाती है। शाम चार बजे से पहले कभी भी डीटीओ साहब कार्यालय नहीं आते। बड़ाबाबू भी नहीं रहते। किससे शिकायत करें जब कोई सुनने वाला ही नहीं है।
-मु. शाबिर, पूरैनी निवासी
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अगस्त 2016 से ही ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण का का मामला अटका हुआ है। शाम चार बजे से पहले डीटीओ कार्यालय पहुंचते हैं। कभी साहब नहीं हैं तो कभी फाइलें ढूंढने की बात कर कार्यालय के कर्मियों द्वारा टालमटोल किया जाता है।
-नीरज कुमार, भीखनपुर निवासी
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ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए पिछले आठ-नौ दिनों से कार्यालय का चक्कर लगा रहा हूं। कर्मचारियों ने एक-दो दिन में लाइसेंस नवीनीकरण कार्य करने का आश्वासन दिया है। अब देखते हैं दो दिन बाद भी काम हो पाता है या नहीं।
-सुमित कुमार घोष, भीखनपुर निवासी
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क्या कहते हैं कार्यालय लिपिक
परिवहन विभाग कार्यालय के लिपिक का कहना है कि बाढ़ आपदा में डीटीओ की ड्यूटी लगने के कारण लाइसेंस नवीनीकरण का 1400 मामला अटका हुआ था। बाढ़ की ड्यूटी से मुक्त होने के बाद लाइसेंस नवीनीकरण कार्यो में काफी तेजी आई और तकरीबन एक हजार मामले का निष्पादन किया गया। शेष मामलों का जल्द निपटारे की उम्मीद है।