आदिवासी समाज में शिक्षा की लौ जला रहे डाक्टर मरांडी
पेशे से किसान डा. मरांडी आदिवासी समाज के लोगों को शिक्षा की महत्ता से अवगत कराने के साथ ही बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा बांटते हैं।
कटिहार(आलोक मेहता) । आदिवासी समाज के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किसान डाक्टर मरांडी अनूठी मुहिम चला रहे हैं। पेशे से किसान डा. मरांडी आदिवासी समाज के लोगों को शिक्षा की महत्ता से अवगत कराने के साथ ही बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा बांटते हैं। किसानी से बचे समय में वे शिक्षा से जुड़े कार्यों और लोगों को जागरूक करने में बिता रहे हैं। उनकी इस मुहिम में परिवार की भी सहभागिता रहती है। उनके पुत्र संजय मरांडी भी उनकी पहल को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके प्रयास से गांव के सौ से अधिक बच्चे स्कूली शिक्षा से जुड़ चुके हैं।
कोढ़ा प्रखंड के लगभग 450 परिवार की आबादी वाले मुंशी मिलिक गांव के रहने वाले डॉक्टर मरांडी ने आदिवासी समाज के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने को लेकर वे प्रयास कर रहे हैं। बच्चों के साथ ही ग्रामीण महिला पुरूष को भी वे साक्षर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। मरांडी बताते हैं कि शिक्षा के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। अगर आदिवासी समाज के लोग शिक्षा के महत्व से अवगत होंगे तो निश्चित ही समाज का विकास होगा और लोग मुख्यधारा से जुड़ेंगे।
कैसे मिली डाक्टर मरांडी को प्रेरणा :
आदिवासी समाज की स्थिति और जीविका के साधन के लिए शराब आदि के निर्माण को लेकर विपरीत जीवनशैली उन्हें टीस देती है। ग्रामीण क्षेत्र में शराब का निर्माण होने के कारण नौनिहालों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता था। इसको लेकर उन्होंने समाज के बदलाव की ठानी और इसके लिए शिक्षा को हथियार बनाने का फैसला लिया। इसके बाद उन्होंने बच्चों को शिक्षित बनाने का बीड़ा उठाया और उनका प्रयास अब सफलता की बुलंदियों का छू रहा है। लगातार प्रयास के बाद हुई विद्यालय की स्थापना : शिक्षा को लेकर उनके प्रयास और बच्चों में पढ़ने की ललक के बाद लगातार प्रयास और शिक्षा प्रेमियों एवं स्थानीय लोगों के प्रयास से गांव में प्राथमिक विद्यालय मुंशी मिलीक की स्थापना हुई। अब गांव में बच्चें विद्यालय जाकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। 60 वर्षीय डाक्टर मरांडी आज भी पूरे उत्साह के साथ शिक्षा को लेकर पहल कर रहे हैं। उनके प्रयास से अब गांव की फिजा बदल रही है और बच्चे शिक्षा के प्रति प्रेरित हो रहे हैं।