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DOLPHIN: बड़ी शर्मीली व खिलंदड़ है इंसान की ये दोस्‍त, बिहार में संरक्षण को ले बना रोडमैप

DOLPHIN संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल डाॅल्फिन बिहार के सीमांचल की विभिन्न नदियों में बहुतायत में पाई गई है। वन विभाग इसके संरक्षण को लेकर रोड मैप तैयार किया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 09:24 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 10:04 PM (IST)
DOLPHIN: बड़ी शर्मीली व खिलंदड़ है इंसान की ये दोस्‍त, बिहार में संरक्षण को ले बना रोडमैप
DOLPHIN: बड़ी शर्मीली व खिलंदड़ है इंसान की ये दोस्‍त, बिहार में संरक्षण को ले बना रोडमैप

किशनगंज [अमितेष]। खिलंदड़ (Playful) अंदाज की शर्मीली (Shy) डॉल्फिन (Dolphin) का इंसान (Human Beings) के साथ दोस्ताना रिश्‍ता (Friendly Relation) रहा है। पानी में रहने के कारण इसे आम बोलचाल की भाषा में मछली (Fish) कहते हैं, लेकिन यह इंसान की तरह ही एक स्‍तनधारी (Mammal) प्राणाी है। इंसान के बाद सबसे लंबी याददाश्त (Memory) भी इसी की होती है।

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आज संकटग्रस्त प्रजातियों की फेहरिस्त में शामिल यह जीव बिहार के सीमांचल की विभिन्न नदियों में बहुतायत में पाया गया है। वन विभाग (Forest Department) इसके संरक्षण को लेकर रोड मैप बनाया है।

चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम

सीमांचल की महानंदा, कनकई, डोक, नून, मेंची, कनकई व बकरा नदियों में 150 से अधिक डॉल्फिनों के संरक्षण को लेकर ग्रामीणों के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। फिलहाल पारंपरिक तरीके से संरक्षण में जुटा वन विभाग अब रोडमैप तैयार करने में जुट गया है। गत वर्ष इसे लेकर बंगाल और नेपाल (Nepal) के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई थी।  इसमें डॉल्फिन के शिकार पर चिंता जताई गई थी। आपसी सहयोग से इस विलुप्तप्राय व मानव मित्र कहे जाने वाले जलीय जीव के संरक्षण को लेकर आपसी सहमति भी बनी।

केंद्रीय टीम ने अप्रैल में किया था सर्वे

अप्रैल 2019 में केंद्रीय टीम ने किशनगंज जिले में सर्वे किया गया था। दो माह तक चले सर्वेक्षण में सिर्फ किशनगंज जिले में 14 ऐसे स्पॉट चिह्नित किए गए, जहां डॉल्फिन देखी गई। इनमें महानंदा नदी में चार, डोक में एक, मेंची में चार व कनकई में पांच जगहों पर डॉल्फिन दिखी थीं। इन सभी स्थलों को चिह्नित कर नदी घाटों पर उनके संरक्षण को लेकर बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं। इसके अलावा अररिया के नून व बकरा समेत कटिहार जिले में बह रही महानंदा नदी में भी डॉल्फिन बहुतायत में पाई जा रही हैं।

सरकार को सौंपी गई कार्य योजना

अररिया के डीएफओ राम नरेश झा बताते हें कि किशनगंज समेत सीमांचल इलाके की नदियों में डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर कार्य योजना (एसओपी) तैयार कर सरकार को सौंपी गई है।  इसके अलावा बोट, पतवार, ड्रेस समेत अन्य उपकरण भी खरीदे गए हैं। ग्रामीणों के बीच लगातार जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

रेस्‍क्‍यू कर नदी में छोड़ी गई डॉल्फिन

किशनगंज में पदस्थापित वन क्षेत्रीय पदाधिकारी (रेंज ऑफिसर) उमानाथ दुबे बताते हैं कि दिसंबर 2018 में एक डॉल्फिन को रेस्क्यू कर महानंदा नदी में छोड़ा गया था, जो अब भी स्वस्थ है। वहीं नदी किनारे बसे ग्रामीणों के बीच इसके संरक्षण को लेकर हरेक 15-20 दिनों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। महानंदा नदी के सोनापुर घाट, भोटाथाना घाट, रूपाडा घाट, बाराखोला घाट व कनकई नदी के कंचनबाड़ी, मटियारी, लौचा व चरघरिया घाट के अलावा मेंची नदी के पाठामारी, करूआमनी व मेंची-महानंदा के उदगम स्थल पर डॉल्फिन की अठखेलियां प्राय: दिख जाती हैं।


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