एक चिकित्सक के भरोसे जेएलएनएमसीएच की आइसीयू
पूर्व बिहार के इकलौते जेएलएनएमसीएच में चिकित्सकों का टोटा है। इस कारण मरीजों की हो जाती है मौत। जाने पूरी खबर..
भागलपुर। पूर्व बिहार का इकलौता जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) चिकित्सकों के अभाव से जूझ रहा है। यहां की सघन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) महज एक चिकित्सक के भरोसे है जबकि 12 पद स्वीकृत हैं। रोजना पांच मरीज इस यूनिट में भर्ती होने आते हैं लेकिन उपचार कौन करे इसलिए अधिकतर रेफर कर दिए जाते हैं। आइसीयू की स्थापना 2006 में की गई थी। करीब सात साल बाद यहां महज एक चिकित्सक डॉ. राजीव सिन्हा की नियुक्ति की गई।
हर माह हृदय रोग के चार मरीज दम तोड़ देते हैं
आइसीयू में प्रतिमाह 30 से ज्यादा हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को भर्ती किया जाता है। हार्ट अटैक के गंभीर मरीजों को इमरजेंसी से अन्य अस्पताल रेफर किया जाता है। प्रतिमाह हृदय रोग के औसतन चार मरीजों की मौत हो जाती है। अगर अस्पताल में हृदय रोग के मरीजों के इलाज के लिए विशेषज्ञ और अन्य चिकित्सकीय व्यवस्था रहे तो मरीजों को बचाया जा सकता है।
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स्थायी चिकित्सकों की मांग
2013 में अस्पताल अधीक्षक सहित कई वरीय चिकित्सकों ने आइसीयू में स्थायी चिकित्सकों की नियुक्ति की मांग की थी, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई। मौजूदा समय में 20 बेड के आइसीयू में दिन के दो बजे तक मेडिसीन और सर्जरी विभाग के चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हैं। रात में स्नातकोत्तर के छात्र रहते हैं।
---------- ठंड में हार्ट अटैक के ज्यादा मरीज
ठंड के मौसम में हृदय रोग मरीजों में हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। प्रतिदिन एक या दो हार्ट अटैक के मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। सरकार पिछले चार वर्षो से हृदय रोग विभाग खोलने का आश्वासन दे रही है लेकिन अब तक न तो विभाग खुला और न ही आइसीयू में चिकित्सकों की नियुक्ति ही की गई।
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बोले अस्पताल अधीक्षक
हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को रेफर करना पड़ता है। प्रमंडलीय आयुक्त भी विशेषज्ञ की नियुक्ति को लेकर प्रयासरत हैं।
डॉ. आरसी मंडल, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच