तनाव में डॉक्टर साहब, मानसिक रोग विशेषज्ञ से ले रहे सलाह
कोरोना संक्रमितों का इलाज और थर्मल स्क्रीनिंग करते-करते ज्यादातर डॉक्टर साहब खुद अवसाद के शिकार हो चुके हैं।
भागलपुर। कोरोना संक्रमितों का इलाज और थर्मल स्क्रीनिंग करते-करते ज्यादातर डॉक्टर साहब खुद अवसाद के शिकार हो चुके हैं। किसी का मधुमेह बढ़ गया है तो किसी का रक्तचाप। इससे बचने के लिए वे अब मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह ले रहे हैं।
दरअसल, पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में अभी कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसके कारण यहां केवल इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का इलाज किया जाता है। अभी जेएलएनएमसीएच में करीब पौने दो सौ कोरोना मरीज भर्ती हैं। इन मरीजों की देखरेख अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी ही कर रहे है। इससे वे खुद सहमे हुए हैं। कोरोना मरीज के संपर्क में आने से नवगछिया अस्पताल के अब तक चार कर्मचारी संक्रमित भी हो चुके हैं।
28 लाख लोगों की हुई स्क्रीनिंग
जिले में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक करीब पौने दो सौ लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से सघन थर्मल स्क्रीनिंग अभी भी जारी है। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड स्तर तक 28 लाख से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगाया गया है।
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केस स्टडी-एक
सन्हौला पीएचसी में तैनात एक डॉक्टर पिछले कई दिनों से परेशान हैं। वे बताते हैं कि थर्मल स्क्रीनिंग लगातार करने की वजह से वह तनाव में रह रहे हैं। इससे उनका शुगर लेवल भी बढ़ गया। वैसे भी कोरोना मरीज को देखते ही मन में घबराहट होने लगती है। सन्हौला में अब तक कई मरीज पॉजिटिव मिल चुके हैं। ----------------------
केस स्टडी-दो
सनोखर पीएचसी में तैनात एक स्वास्थ्य कर्मचारी को रात में ठीक से नींद नहीं आ रही है। वह बताते हैं कि उन्हें क्वारंटाइन सेंटरों सहित अन्य जगहों पर थर्मल स्क्रीनिंग के लिए लगाया गया है। इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। वे पिछले कई दिनों से अवसाद में हैं और मानसिक दबाव में रहते हैं।
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कोट :
कई डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी मेरे संपर्क में हैं, जो तनाव में हैं। उन्हें अनिद्रा की शिकायत हो गई है। इनमें कुछ डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमितों के इलाज में हैं तो कुछ स्क्रीनिंग करते हैं।
-डॉ. कुमार गौरव, सह प्राध्यापक, मानसिक रोग विभाग, जेएलएनएमसीएच।