मिर्गी का दौरा पडऩे पर मरीज के मुंह में कुछ नहीं डालें, जानिए... क्या कहते हैं चिकित्सक
दैनिक जागरण में आयोजित प्रश्न पहर में आए जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत से मानसिक रोग संबंधी पाठकों ने कई प्रश्न पूछे।
भागलपुर (जेएनएन)। मिर्गी मस्तिष्क विकार है। यह जादू-टोना से नहीं होता। मिर्गी का दौरा तब पड़ता है जब मस्तिष्क में मौजूद कैमिकल्स के बीच असंतुलन हो जाता है। इन्हें न्यूरो ट्रांसमीटर्स कहते हैं। जो एक न्यूरॉन से दूसरे तक संदेश पहुंचाने में मदद करता है। ग्लुटामेट नामक न्यूरोट्रांसमीटर्स न्यूरॉन को उत्तेजित करते हैं। जबकि गामा अमीनो ब्युटिनिक एसिड अवरोधक का काम करते हैं। ग्लुटामेट में गिरावट आने से मिर्गी का दौरा पड़ता है।
अगर घर में मिर्गी का मरीज है तो आसपास ऐसी वस्तुओं को नहीं रखें ताकि मरीज के गिरने से उसे चोट लगे। मिर्गी का दौरा पडऩे पर मरीज के मुंह में कुछ नहीं डालें क्योंकि निगलने से उसकी मौत भी हो सकती है। तनाव की वजह से माइग्रेन होता है। ऐसे मरीज को भीड़ वाले इलाके से दूर रहना चाहिए। नींद नहीं लगना, देर रात तक टीबी और मोबाइल का उपयोग करने से भी सिरदर्द होता है। धीरे-धीरे माइग्रेन में बदल जाता है। दैनिक जागरण में आयोजित प्रश्न पहर में आए जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत से मानसिक रोग संबंधी पाठकों ने कई प्रश्न पूछे।
प्रश्न : गत कई वर्षों से घबराहट होती है, भय भी लगता है।
धनंजय कुमार, तिलकामांझी
उत्तर : मानसिक बीमारी है। अस्पताल में इलाज करवा लें। निर्धारित समय पर सोएं और सुबह जगे। व्यायाम करें।
प्रश्न : मुझे अच्छी तरह नींद नहीं आती है। घबराहट भी होती है।
संजीव रंजन सिंह, फतेहपुर
उत्तर : तनाव की वजह से नींद में कमी है। भीड़ वाले इलाके में नहीं रहें। दैनिक क्रिया समय पर करें, लाभ होगा।
प्रश्न : धार्मिक स्थल पर जाते है तो मन में गलत भावनाएं जागृत होने लगती हैं।
राजेश कुमार सिंह, खगडिय़ा
उत्तर : मन को कंट्रोल में रखें। ध्यान और योगा करें। धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा।
प्रश्न : मानसिक रुप से परेशान रहता हूं, कभी-कभी बेहोश भी हो जाता हूं।
राकेश कुमार, नाथनगर
उत्तर : मिर्गी का दौरा है। लापरवाही नहीं बरतें। अस्पताल में इलाज करवा लें। पढऩे से सिर में दर्द हो रहा है तो हो सकता है आंख की रोशनी कम हो, जांच करवा लें।
प्रश्न : दो माह से सिर में दर्द रहता है। तेज रोशनी और आवाज से बेचैनी बढ़ जाती है।
सोनू सिंह, भागलपुर
उत्तर : माइग्रेन है। तेज आवाज और रोशनी से दिमाग के नस में सूजन होता हे। अत: सिर में तेज दर्द होने लगता है। ज्यादा दर्द हो तो दर्दनाशक दवा खाएं। भीड़ वाले इलाके में जाने से परहेज करें।
प्रश्न : मैं शिक्षक हूं। सिर में तेज दर्द होने लगता है, उल्टी भी होती है। भीड़ वाले स्थान में जाने से पैर में दर्द होने लगता है।
दीपक, अकबरनगर
उत्तर : दर्दनाशक दवा खाएं। माइग्रेन है। भीड़ वाले स्थान पर जाने से बचें। अस्पताल में इलाज करवा लें।
प्रश्न : नींद कम आती है और सिर में दर्द रहता है। गुस्सा भी ज्यादा आता है।
राज बिहारी , पीरपैंती
उत्तर : ऐसा तनाव के कारण हो रहा है। मन को शांत रखने के लिए आसन, प्राणायाम करें। सुबह टहलें।
प्रश्न : तनाव ज्यादा रहने से शरीर में झनझनाहट रहती है। गैस्टिक भी है।
वीरेंद्र ठाकुर, पीरपैंती
उत्तर : दिनचर्या को संतुलित करें। सुबह उठे और टहलें। संतुलित और हल्का भोजन करें। व्यायाम भी करें। तैलीय खाद्य सामग्रियों के खाने से परहेज करें।
प्रश्न : पिछले आठ वर्षों से यात्रा के समय सिर में दर्द होने लगता है। एक माह में 10-12 दिन यात्रा में ही गुजरता है।
विक्की, नाथनगर
उत्तर : हारमोन में गड़बड़ी आने से भी ऐसा होता है। लगातार यात्रा की वजह से भी तनाव होता है। प्रयास करें की कुछ दिन यात्रा स्थगित कर आराम करें।
प्रश्न : मां की उम्र 92 वर्ष है। याददास्त काफी कमजोर हो गई है। कभी हंसने लगती हैं तो कभी रोने लगती हैं।
शंभू राय, नवगछिया
उत्तर : उम्र बढऩे के साथ ही दिमाग की नस सूखने लगती है। इससे याददास्त कमजोर होने लगती है। इलाज से भी ज्यादा लाभ नहीं होगा।
प्रश्न : मेरी उम्र 18 वर्ष है। कभी-कभी सिर भारी हो जाता है। पढऩे के समय सिर में दर्द भी होता है।
राजेश कुमार, सुलतानगंज
उत्तर : अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच करवा लें।
प्रश्न : 30 वर्षों से नींद की दवा खा रहा हूं। तनाव अभी भी रहता है।
भूषण, भीखनपुर
उत्तर : धीरे-धीरे दवा खाना कम कर दें। व्यस्त रहने की आदत डालें। योगा करें।