बिहार: भागलपुर मेडिकल कॉलेज का गजब कारनामा, उमेश के बदले दिनेश का कर दिया डायलिसिस
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मरीजों के साथ हो रही है घोर लापरवाही। टेक्निशियन बन जा रहा है डॉक्टर। ऐसे में यह तो होना ही था।
भागलपुर [जेएनएन]। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (JLNMCH) में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां कर्मचारियों ने 70 वर्षीय दिनेश तांती का डायलिसिस कर दिया जबकि उमेश यादव का किया जाना था। जानकारी होने के बाद दिनेश तांती का डायलिसिस रोका गया। इस घटना की पुष्टि अस्पताल अधीक्षक ने भी की है।
अस्पताल के मेडिसीन विभाग में बेड संख्या 34 में भर्ती जगदीशपुर प्रखंड के कोला नारायण निवासी उमेश यादव का डायलिसिस होना था। इसकी जगह बेड संख्या 35 पर भर्ती सबौर घोषपुर निवासी दिनेश तांती का डायलिसिस कर दिया गया। परिजनों को जानकारी हुई तो उन्होंने हंगामा भी किया। बताया गया कि टेक्नीशियन श्याम सुंदर और नर्स ने बिना बीएचटी देखे ही दिनेश तांती को डायलिसिस रूम में लेकर चले गए। जब तक कर्मचारी को अपनी गलती का अहसास होता तब तक 15 मिनट तक डायलिसिस किया जा चुका था। आनन-फानन में डायलिसिस बंद किया गया। बताया गया कि डायलिसिस के पूर्व टेक्नीशियन ने चिकित्सक से भी संपर्क नहीं किया।
डायलिसिस प्रभारी डॉ. अंजुम परवेज ने कहा कि बेड 34 पर बेड 35 का मरीज दिनेश तांती बैठ गया। भूलवश टेक्नीशियन उसे डायलिसिस रूम में लेकर चला गया। जब गलती का अहसास हुआ तो डायलिसिस नहीं किया गया।
जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि डायलिसिस प्रभारी से लेकर कर्मचारियों से स्पटीकरण मांगा जाएगा। घटना सही है। प्रथमदृष्टया टेक्नीशियन श्याम सुंदर दोषी है।
मरीज को चुप रहने की धमकी, एक की अस्पताल से कर दी छुट्टी
जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में भर्ती टीबी मरीज दिनेश तांती को चुप रहने की धमकी देते हुए गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मंगलवार को इनडोर मेडिसीन विभाग में बेड संख्या 34 पर भर्ती उमेश यादव के बदले बेड 35 पर भर्ती दिनेश तांती का डायलिसिस किया गया। इसकी पुष्टि अस्पताल अधीक्षक ने बुधवार को की थी। गुरुवार को वे अपनी बात से पलट गए। उन्होंने कहा कि दिनेश तांती को डायलिसिस यूनिट ले जाया ही नहीं गया तो डायलिसिस कैसे हो जाएगा। अखबार में खबर प्रकाशित होने पर अधीक्षक मेडिसीन विभाग गए और टेक्नीशियन को भी फटकार लगाई।
गुरुवार को डॉ. ओवेद अली की यूनिट में भर्ती दिनेश तांती कुछ भी पूछने पर वह भड़क जाता था। कहा, उसे कुछ नहीं कहना है, अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। वहीं, उमेश यादव की पत्नी किरण देवी ने कहा कि दिनेश तांती और उसके पिता धमकाया गया है। दोनों से अखबार वालों से कुछ भी नहीं बताने को कहा गया है। अन्यथा अस्पताल से छुट्टी दिलवा देने की धमकी दी गई है। इधर, डॉ. ओवेद अली ने कहा कि दिनेश तांती को पेट में टीबी है। वह अस्पताल से जाने के लिए बेचैन था।
जेएलएनएमसीएच के सह प्राध्यापक मेडिसीन डॉ. राजकमल चौधरी ने कहा कि जब दिनेश तांती की डायलिसिस यूनिट में जांच की जा रही थी। उसी समय उमेश यादव की पत्नी आ गई। उसने अपने पति का डायलिसिस कराए जाने की बात कही। इसके बाद ही दिनेश को बाहर निकला गया।
कई बार की गई लापरवाही
इनडोर हड्डी रोग विभाग में 2016 में बाएं पैर के बदले दाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया गया। वहीं, उसी विभाग में 29 अक्टूबर 2018 को नर्स द्वारा एक्सपायरी स्लाइन चढ़ा दी गई। अभी भी लापरवाही हो रही है।
लक्ष्मी चौधरी की तरह अधीक्षक चाहिए
जेएलएनएमसीएच में 1996 से 2000 तक लक्ष्मी चौधरी अधीक्षक थे। उनके कार्यकाल में चिकित्सक भी समय पर अस्पताल आते थे और कर्मचारी भी। यह स्थिति अब बदल गई है। कुछ चिकित्सक ऐसे हैं कि समय पर नहीं आते। कर्मचारी अभी भी लक्ष्मी चौधरी को याद करते हैं।
बिना छुट्टी लिए उमेश भी अस्पताल से गया
जेएलएनएमसीएच इनडोर मेडिसीन विभाग में भर्ती किडनी रोग से ग्रसित उमेश यादव भी शुक्रवार को बिना अस्पताल से छुट्टी लिए चला गया। संभवत: उसे जाने के लिए विवश किया गया हो अथवा दलाल द्वारा उसे अस्पताल से क्लीनिक ले जाने के लिए दबाव दिया गया हो।
मंगलवार को डॉ. अभिलेश की यूनिट में बेड संख्या 34 पर भर्ती उमेश यादव का डायलिसिस नहीं कर डॉ. ओवेद अली की युनिट में बेड 35 पर भर्ती टीबी मरीज दिनेश तांती को डायलिसिस यूनिट ले जाया गया था। जिसे वापस किया गया और उमेश यादव का डायलिसिस इसलिए नहीं किया गया कि उसका हीमोग्लोबीन 6.3 ग्राम था। तर्क दिया गया कि आठ ग्राम से अधिक हीमोग्लोबीन रहने पर ही डायलिसिस किया जाएगा। लेकिन शुक्रवार को उमेश यादव का डायलिसिस कर दिया गया। डॉ. अभिलेश कुमार ने बताया कि करीब साढ़े सात ग्राम हिमोग्लोबीन था। उमेश यादव बिना अस्पताल के छुट्टी लिए ही चला गया। दिनेश तांती को गुरुवार को ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।