राजनीतिक रसूख में पुलिस से दिनेश मुनी की खत्म हुई लुकाछिपी
खगड़िया जिले के पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह की 12 अक्टूबर 2018 में दिनेश मुनि ने हत्या कर दी थी। तब से वह फरार चल रहा था। एसटीएफ ने नारायण दियारा में दिनेश को मार गिराया।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। कभी मामूली चोरी और लूटपाट कर जरायम की दुनियां में प्रवेश करने वाले कुख्यात दिनेश मुनि की एसटीएफ से लुकाछिपी सदा के लिए खत्म हो गई। बुधवार की देर रात 2.30 बजे स्पेशल टास्क फोर्स ने तगड़ी मोर्चाबंदी में उसे नवगछिया के नारायणपुर दियारा में मार गिराया। 50 हजार के ईनामी दिनेश ने तेजी से इलाके के बदमाशों को संगठित कर खगडिय़ा, भागलपुर से लेकर अररिया तक तगड़ा नेटवर्क तैयार कर रखा था। उसका प्रभाव उपरोक्त जिले में ऐसा था कि चुनावी बैतरनी पार करने में नेताओं तक को उसकी जरूरत पडऩे लगी थी। उसके इस प्रभाव के कारण वर्ष 2014 से राजनीतिक संरक्षण मिलना शुरू हुआ।
राजनीतिक संरक्षण मिलने पर दियारा में इसने अपने गिरोह की तगड़ी मोर्चाबंदी कर ली। गिरोह के लिए एसएलआर, सेमी आटोमेटिक राइफल, कारबाइन जुटा लिया था। दियारा के कोल-ढाब के मछली कारोबार, अवैध शराब निर्माण, फसल लूट, मवेशी तस्करी पर इसके गिरोह का वर्चस्व कायम हो गया था। सूबे के एक कद्दावर नेता का संरक्षण प्राप्त दिनेश पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद गिरोह का विस्तार करने में लगा था। उक्त नेता के संरक्षण में खगडिय़ा, नवगछिया पुलिस जिले के अलावा मधेपुरा, पूर्णिया और अररिया जिले में शराब बेचने का नेटवर्क तैयार कर लिया था। दियारा में शराब की डंपिंग और लोकल मेड इंग्लिश और देसी दारू तैयार भी कराता था।
दिनेश मुनि के इस नेटवर्क की जानकारी पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह को लग चुकी थी। दिनेश और उसके साथियों के साथ मुठभेड़ के पूर्व उसे दबोचने की बेताबी आशीष में थी। 12 अक्टूबर 2018 को आशीष सिंह उसे दबोचने में सफल हो जाते तो खगडिय़ा से अररिया तक फैले दारू नेटवर्क, गिरोह में शामिल चेहरे और संरक्षण देने वाले नेता बेनकाब हो जाते। लेकिन तब मुठभेड़ में जाबांज अवर निरीक्षक ही उस कुख्यात की गोली के शिकार हो गए। एसटीएफ की इस ताजा कार्रवाई से इलाकाई आपराधिक समीकरण में बड़े बदलाव की संभावना है।